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2022 में विकास दर 14 फीसदी रहने का अनुमान, दो साल से राजस्व घाटा झेल रही सरकार

रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का अनुमान था कि 22 करोड़ का राजस्व सरप्लस होगा, लेकिन दो हजार करोड़ के घाटे का सामना करना पड़ा. हालांकि, आगामी वित्तीय वर्ष के लिए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सरकार राजस्व बचत का बजट लेकर आई है.

विकास दर
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Published : Mar 6, 2021, 3:36 PM IST

देहरादून: कोरोना और लॉकडाउन का बड़ा असर देश की आर्थिक विकास दर पर पड़ा है. जिससे उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रदेश की विकास दर शून्य से 4.2 नीचे रहने का अनुमान है. हालांकि राज्य सरकार को उम्मीद है कि आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास दर में इजाफा हो सकता है.

एफआरबीएम (फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट की रिपोर्ट) की समीक्षा रिपोर्ट में जो सामने आया है. उसके मुताबिक प्रदेश सरकार पिछले 2 साल में अनुमान के हिसाब से न तो खुद का राजस्व हासिल कर पाई है और न ही खर्च कर पाई है. एफआरबीएम एक्ट के तहत सरकार की ओर से जारी की गई मध्यकालीन राजकोषीय नीति के अनुमान बता रहे हैं कि सरकार के सारे पूर्वानुमान ध्वस्त होते रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक आज, नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज

रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का अनुमान था कि 22 करोड़ का राजस्व सरप्लस होगा, लेकिन दो हजार करोड़ के घाटे का सामना करना पड़ा. हालांकि, आगामी वित्तीय वर्ष के लिए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सरकार राजस्व बचत का बजट लेकर आई है.

राज्य सरकार के अनुसार आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास दर 14 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सदन में पेश किए गए बजट के अनुसार करीब 29 हज़ार करोड़ रुपए का खर्च वेतन, पेंशन और ब्याज पर होगा. इसके साथ ही 12,754 करोड़ रुपये राज्य के कर से राजस्व का अनुमान है, तो वहीं वित्तीय वर्ष 2020- 21 में 0 से 4.2 प्रतिशत कम विकास दर रहने का अनुमान है. हालांकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 49.66 करोड़ रुपए राजस्व सरप्लस का अनुमान था जबकि 3,080 करोड़ करोड़ रुपए साल के अंत में राजस्व घाटा हुआ है. वहीं, वर्तमान वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटे की बात करें तो राज्य सरकार को 7,549 करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान था लेकिन 10,802 करोड़ रुपए राजकोषीय घाटा हुआ.

देहरादून: कोरोना और लॉकडाउन का बड़ा असर देश की आर्थिक विकास दर पर पड़ा है. जिससे उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रदेश की विकास दर शून्य से 4.2 नीचे रहने का अनुमान है. हालांकि राज्य सरकार को उम्मीद है कि आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास दर में इजाफा हो सकता है.

एफआरबीएम (फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट की रिपोर्ट) की समीक्षा रिपोर्ट में जो सामने आया है. उसके मुताबिक प्रदेश सरकार पिछले 2 साल में अनुमान के हिसाब से न तो खुद का राजस्व हासिल कर पाई है और न ही खर्च कर पाई है. एफआरबीएम एक्ट के तहत सरकार की ओर से जारी की गई मध्यकालीन राजकोषीय नीति के अनुमान बता रहे हैं कि सरकार के सारे पूर्वानुमान ध्वस्त होते रहे हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का अनुमान था कि 22 करोड़ का राजस्व सरप्लस होगा, लेकिन दो हजार करोड़ के घाटे का सामना करना पड़ा. हालांकि, आगामी वित्तीय वर्ष के लिए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सरकार राजस्व बचत का बजट लेकर आई है.

राज्य सरकार के अनुसार आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में विकास दर 14 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सदन में पेश किए गए बजट के अनुसार करीब 29 हज़ार करोड़ रुपए का खर्च वेतन, पेंशन और ब्याज पर होगा. इसके साथ ही 12,754 करोड़ रुपये राज्य के कर से राजस्व का अनुमान है, तो वहीं वित्तीय वर्ष 2020- 21 में 0 से 4.2 प्रतिशत कम विकास दर रहने का अनुमान है. हालांकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 49.66 करोड़ रुपए राजस्व सरप्लस का अनुमान था जबकि 3,080 करोड़ करोड़ रुपए साल के अंत में राजस्व घाटा हुआ है. वहीं, वर्तमान वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटे की बात करें तो राज्य सरकार को 7,549 करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान था लेकिन 10,802 करोड़ रुपए राजकोषीय घाटा हुआ.

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