देहरादून: देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर पिछले एक साल से मंदी के दौर से गुजर रहा है. जिसका असर प्रदेश के ऑटोमोबाइल मार्केट पर भी साफ देखा जा सकता है. सूबे की राजधानी देहरादून में ऑटोमोबाइल कंपनियों के शोरूम में पिछले कई महीनों से सन्नाटा पसरा हुआ है. ऑटोमोबाइल सेक्टर में चल रही मंदी को लेकर एआरटीओ देहरादून अरविंद पांडे का कहना है कि पूरे देश में मंदी की वजह से प्रदेश में भी मंदी का दौर चल रहा है.
बता दें कि प्रदेश में पिछले वित्तीय वर्ष यानी साल 2018-19 में अप्रैल से जुलाई महीने के बीच लगभग 25,300 वाहनों का आरटीओ दफ्तर में रजिस्ट्रेशन कराया गया था. वहीं, इस वित्तीय वर्ष यानी कि साल 2019-20 के अप्रैल से लेकर जुलाई महीने के बीच अब तक महज 21,005 वाहनों का ही रजिस्ट्रेशन कराया गया है.
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वहीं, एआरटीओ देहरादून अरविंद पांडे ने कहा कि राजधानी के ऑटोमोबाइल शोरूम में वाहनों की बिक्री में 25 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. जो कहीं न कहीं देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में पिछले लंबे समय से चल रही मंदी के असर को दर्शाता है.
देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में चल रहे मंदी के दौर को लेकर वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार का मानना है कि मंदी के इस दौर की कई वजह हैं. सबसे बड़ी वजह निजी बैंकों का आर्थिक रूप से कमजोर होते चले जाना है. जिसकी वजह से आम लोगों को वाहन खरीदने के लिए लोन नहीं मिल रहा है और वाहनों की डिमांड घट रही है. सुशील ने कहा कि जीएसटी भी मंदी का एक बड़ा कारण हो सकता है.
फिलहाल 28 फीसदी जीएसटी वसूली जा रही है. ऑटोमोबाइल सेक्टर के व्यापारी इसे घटाकर 18 फीसदी करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में यदि जीएसटी रेट में कुछ कमी की जाए तो शायद ऑटोमोबाइल सेक्टर मंदी के दौर से कुछ हद तक उभर पायेगा.
प्रदेश में साल 2018 के अप्रैल-जुलाई में पंजीकृत वाहनों की संख्या-
- अप्रैल - 5,269
- मई- 7,128
- जून- 4897
- जुलाई- 8006
प्रदेश में साल 2019 के अप्रैल-जुलाई में पंजीकृत वाहनों की संख्या-
- अप्रैल- 5,624
- मई- 5,200
- जून- 4,882
- जुलाई- 5,299
गौरतलब है कि सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स ने भी पहली बार ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की बात को स्वीकारा है. अब तक देश भर में करीब साढ़े 3 लाख लोगों की नौकरियां जा चुकी है और अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय मे 10 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इसके अलावा देशभर में इस साल जुलाई माह में पिछले साल की तुलना में चुपहिया वाहनों में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. साथ ही व्यवसायिक वाहनों की बिक्री में भी 37 फीसदी की कमी आई है.