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मित्र पुलिस का नया नारा "भिक्षा नहीं शिक्षा दें", भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का कर रहे पुनर्वास

उत्तराखंड पुलिस इन दिनों एक खास मुहिम चला रही है जिसके अंतर्गत भीख मांगने वाले बच्चों का पुनर्वास कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास हो रहा है.साथ ही दो विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं. इसमें अनेक सामाजिक संगठन भी सहयोग दे रहे हैं.

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Published : Jun 17, 2019, 11:34 PM IST

Updated : Jul 22, 2022, 12:43 PM IST

उत्तराखंड पुलिस चला रही "भिक्षा नहीं शिक्षा दें" अभियान.

देहरादून: राजधानी में बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए उत्तराखंड पुलिस विशेष मुहिम चला रही है. "भिक्षा नहीं शिक्षा दें" इस संदेश के जरिए पुलिस इन दिनों शहर के अलग-अलग स्थानों में जन जागरूकता अभियान चला रही है. इसके तहत भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास किया जा रहा है.

उत्तराखंड पुलिस चला रही "भिक्षा नहीं शिक्षा दें" अभियान.

30 जून तक 2 महीने चलने वाले दूसरे चरण अभियान "ऑपरेशन मुक्ति" के तहत पुलिस सामाजिक संगठनों के जरिए इस संबंध में कार्य कर रही है. इसके अंतर्गत शहर के स्कूल-कॉलेज, चौराहों, सिनेमाघरों बस, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थलों जैसे सार्वजनिक भीड़भाड़ वाले अलग-अलग स्थानों में बैनर पोस्टर, नुक्कड़, शॉर्ट मूवी, सोशल मीडिया ट्रैफिक चौराहे में लाउडस्पीकर आदि के माध्यम से जन जागरूकता अभियान के तहत भिक्षावृत्ति रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई हो रही है.

ऑपरेशन मुक्ति के प्रथम चरण में 292 बच्चों का विवरण तैयार

अभियान के प्रथम चरण में 1 से लेकर 15 मई तक कुल 292 बच्चों का विवरण तैयार कर उन्हें भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाई गई है. ऐसे बच्चों को शिक्षा व स्किल डेवलपमेंट जैसे पुनर्वास कर मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य उत्तराखंड पुलिस ने किया है. इस कार्य में चाइल्ड हेल्पलाइन आसरा ट्रस्ट जैसे सामाजिक संगठनों की मदद मिल रही है. अभियान का दूसरा चरण 31 मई तक चलेगा, जबकि ऑपरेशन मुक्ति का तीसरा चरण 1 जून से 30 जून तक चलाया जाएगा.

4 टीमें बनाई गईं
उत्तराखंड पुलिस विभाग की चार टीमें "ऑपरेशन मुक्ति" के तहत जिला देहरादून में तीन चरणों में अभियान चला रही हैं. इस अभियान में अलग-अलग सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के साथ ड्राइव चलाकर प्रभावी एनफोर्समेंट के माध्यम से बच्चों द्वारा की जा रही भिक्षावृत्ति की रोकथाम करना है.साथ ही पुलिस जनता को भिक्षा न दिए जाने के संबंध में जागरूक करने व भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास करने में जुटी है.

भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चे नशे के आदी
वहीं ऑपरेशन मुक्ति के तहत शिक्षा व स्किल डेवलपमेंट कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने वाले इस अभियान में उत्तराखंड पुलिस को कुछ सामाजिक संगठनों का भरपूर सहयोग मिल रहा है. सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो भिक्षावृत्ति में आने वाले ज्यादातर बच्चे आज नशे का शिकार भी हो रहे हैं.

कुछ मां-बाप द्वारा अपने नशे व पेट की भूख के लिए जबरन मासूम बच्चों को इस कार्य में धकेल रहे हैं. ऐसे में पुलिस विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में दर्जनों बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाकर समाज के मुख्यधारा में जोड़ा जाना एक सराहनीय कार्य है.

वहीं ऑपरेशन मुक्ति के संबंध में उत्तराखंड पुलिस विभाग की मानें तो इस अभियान का शुरुआत देहरादून जिले से तीन चरणों में हो रही है. इसकी सफलता के बाद प्रदेश भर के अन्य शहरों में भी अभियान मुक्ति के तहत " भिक्षा नहीं शिक्षा दें" जन जागरूकता अभियान को धरातल पर प्रभावी रंग दिया जाएगा.

देहरादून: राजधानी में बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए उत्तराखंड पुलिस विशेष मुहिम चला रही है. "भिक्षा नहीं शिक्षा दें" इस संदेश के जरिए पुलिस इन दिनों शहर के अलग-अलग स्थानों में जन जागरूकता अभियान चला रही है. इसके तहत भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास किया जा रहा है.

उत्तराखंड पुलिस चला रही "भिक्षा नहीं शिक्षा दें" अभियान.

30 जून तक 2 महीने चलने वाले दूसरे चरण अभियान "ऑपरेशन मुक्ति" के तहत पुलिस सामाजिक संगठनों के जरिए इस संबंध में कार्य कर रही है. इसके अंतर्गत शहर के स्कूल-कॉलेज, चौराहों, सिनेमाघरों बस, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थलों जैसे सार्वजनिक भीड़भाड़ वाले अलग-अलग स्थानों में बैनर पोस्टर, नुक्कड़, शॉर्ट मूवी, सोशल मीडिया ट्रैफिक चौराहे में लाउडस्पीकर आदि के माध्यम से जन जागरूकता अभियान के तहत भिक्षावृत्ति रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई हो रही है.

ऑपरेशन मुक्ति के प्रथम चरण में 292 बच्चों का विवरण तैयार

अभियान के प्रथम चरण में 1 से लेकर 15 मई तक कुल 292 बच्चों का विवरण तैयार कर उन्हें भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाई गई है. ऐसे बच्चों को शिक्षा व स्किल डेवलपमेंट जैसे पुनर्वास कर मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य उत्तराखंड पुलिस ने किया है. इस कार्य में चाइल्ड हेल्पलाइन आसरा ट्रस्ट जैसे सामाजिक संगठनों की मदद मिल रही है. अभियान का दूसरा चरण 31 मई तक चलेगा, जबकि ऑपरेशन मुक्ति का तीसरा चरण 1 जून से 30 जून तक चलाया जाएगा.

4 टीमें बनाई गईं
उत्तराखंड पुलिस विभाग की चार टीमें "ऑपरेशन मुक्ति" के तहत जिला देहरादून में तीन चरणों में अभियान चला रही हैं. इस अभियान में अलग-अलग सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के साथ ड्राइव चलाकर प्रभावी एनफोर्समेंट के माध्यम से बच्चों द्वारा की जा रही भिक्षावृत्ति की रोकथाम करना है.साथ ही पुलिस जनता को भिक्षा न दिए जाने के संबंध में जागरूक करने व भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों का पुनर्वास करने में जुटी है.

भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चे नशे के आदी
वहीं ऑपरेशन मुक्ति के तहत शिक्षा व स्किल डेवलपमेंट कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने वाले इस अभियान में उत्तराखंड पुलिस को कुछ सामाजिक संगठनों का भरपूर सहयोग मिल रहा है. सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो भिक्षावृत्ति में आने वाले ज्यादातर बच्चे आज नशे का शिकार भी हो रहे हैं.

कुछ मां-बाप द्वारा अपने नशे व पेट की भूख के लिए जबरन मासूम बच्चों को इस कार्य में धकेल रहे हैं. ऐसे में पुलिस विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में दर्जनों बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाकर समाज के मुख्यधारा में जोड़ा जाना एक सराहनीय कार्य है.

वहीं ऑपरेशन मुक्ति के संबंध में उत्तराखंड पुलिस विभाग की मानें तो इस अभियान का शुरुआत देहरादून जिले से तीन चरणों में हो रही है. इसकी सफलता के बाद प्रदेश भर के अन्य शहरों में भी अभियान मुक्ति के तहत " भिक्षा नहीं शिक्षा दें" जन जागरूकता अभियान को धरातल पर प्रभावी रंग दिया जाएगा.

Last Updated : Jul 22, 2022, 12:43 PM IST
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