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प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष चुने गए रविंद्र पुरी, हरिद्वार में दूसरे रविंद्र पुरी का हुआ था चुनाव - अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद प्रयागराज

पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक अखाड़ा परिषद की बैठक में अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया गया है. हरि गिरि महाराज का दावा है कि इस बैठक में बहुमत के लिए जरूरी सात अखाड़े शामिल हैं. इसके साथ ही एक अखाड़े ने पत्र भेजकर अपनी सहमति जाहिर कर दी है. बताते चलें कि इससे पहले 20 अक्टूबर की रात हरिद्वार में महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी को अध्यक्ष बनाने की घोषणा हुई थी. अब निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष चुने गए हैं.

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प्रयागराज
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Published : Oct 25, 2021, 4:10 PM IST

Updated : Oct 25, 2021, 7:04 PM IST

प्रयागराज/देहरादूनः संगम नगरी प्रयागराज में दारागंज के मोरी गेट स्थित निरंजनी अखाड़ा के परिसर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई, जिसमें नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया गया है. महंत परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि की अगुवाई में अखाड़ों की यह बैठक शुरू हुई. पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक, इस बैठक में अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष के रूप में निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी का चुनाव किया गया है. हरि गिरि महाराज का दावा है कि इस बैठक में बहुमत के लिए जरूरी सात अखाड़े शामिल हैं. इसके साथ ही एक अखाड़े ने पत्र भेजकर अपनी सहमति जाहिर कर दी है.

अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि का कहना है कि बैठक में जूना, निरंजनी, अग्नि, नया उदासीन, आनंद और आह्वान अखाड़े के संत मौजूद रहे जबकि निर्मोही अणि अखाड़े ने पत्र भेजकर बैठक में लिए जाने वाले फैसले का समर्थन किया. जबकि, इस चुनाव प्रक्रिया से निर्वाणी, दिगंबर, महानिर्वाणी, अटल और बड़ा उदासीन अखाड़े नदारद रहे. आपको बता दें कि इससे अलग पिछले दिनों हरिद्वार में बैठक कर अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट ने नए पदाधिकारियों का ऐलान किया था. उस बैठक में भी निर्मल और निर्मोही अणि अखाड़े के प्रतिनिधि शामिल हुए थे, और उस बैठक में महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी को अखाड़े के नया अध्यक्ष चुना गया था.

इसे भी पढ़ें- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में रार, महंत हरि गिरि ने बैठक को दिया असंवैधानिक करार

इस दौरान महंत हरि गिरि ने बताया कि मनसा देवी मंदिर के महंत रविंद्र पुरी को कई इंजीनियरिंग कॉलेज, डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज चलाने का 20 साल का अनुभव है. एक अनुभवी संत को अध्यक्ष पद पर आसीन करने का प्रस्ताव रखा गया था. अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पांच साल के लिए चुना जाता है लेकिन यह मध्यावधि चुनाव था और महंत रविंद्र पुरी का अध्यक्ष पद पर कार्यकाल वर्ष 2024 तक होगा.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष चुने गए रवींद्र पुरी

महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद से खाली था पद: 20 सितंबर को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद खाली चल रहा था. इसके लिए काफी दिनों से जोड़-तोड़ चल रही थी और अखाड़ों को अपने पक्ष में करने की जोर आजमाइश की जा रही थी. अखाड़ा परिषद के संरक्षक महंत हरि गिरि की ओर से निर्मल अखाड़ा प्रयागराज में परिषद की बैठक बुलाई गई थी. बताया जा रहा है कि 7 अखाड़ों की मौजूदगी एवं निर्मोही अणि अखाड़े की लिखित सहमति से निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी महाराज को अखाड़े का नया अध्यक्ष चुना गया है.

इससे पहले 20 अक्टूबर को हरिद्वार में देर रात 7 अखाड़ों ने बैठक करके अपने अध्यक्ष और महामंत्री का चुनाव कर लिया था. हरिद्वार के कनखल स्थित श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा परिसर में महानिर्वाणी व अटल, निर्मोही अणि, निर्वाणी अणि, दिगंबर अणि, बड़ा अखाड़ा उदासीन व निर्मल अखाड़ा ने नई कार्यकारिणी गठित कर ली थी. महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी अध्यक्ष एवं निर्मोही अणि अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महामंत्री चुने गए थे.

अगले ही दिन यानी 21 अक्टूबर को अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि ने अलग होकर नए अध्यक्ष व महामंत्री पद की घोषणा करने वाले अखाड़ों की बैठक को असंवैधानिक करार दिया था. इसके साथ ही इसे नियमों के विपरीत बुलाई गई बैठक बताया था. उनका कहना था कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व महामंत्री पद के लिए 25 अक्टूबर को प्रयागराज में बुलाई गई बैठक ही सर्वमान्य होगी.

इसी कड़ी में आज 25 अक्टूबर को पहले से तय बैठक में निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी को अखाड़े का नया अध्यक्ष चुना गया है. अब ये विवाद कैसे सुलझेगा की अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी होंगे या फिर महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी, इसको लेकर अब भी असमंजस है. आइए आपको बताते हैं हरिद्वार में 20 अक्टूबर की रात को महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी, जो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे आखिर वो हैं कौन?

कनखल मंदिर के पीठाधीश्वर भी हैं महंत रविंद्र पुरी: महंत रवींद्र पुरी हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर और महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव हैं. 35 साल पहले संन्यास लेकर वे महानिर्वाणी अखाड़े में शामिल हुए थे. रविंद्र पुरी 1998 के कुंभ मेले के बाद अखाड़े की कार्यकारिणी में शामिल हुए. 2007 में उन्हें अखाड़े का सचिव बनाया गया था. बताया जाता है कि महंत नरेंद्र गिरि ने सभी अखाड़ों में व्‍यवस्‍था के लिए एक करोड़ रुपए अखाड़ों को दिलवाए थे, लेकिन महंत रविंद्र पुरी ने महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से सरकार का एक करोड़ रुपए का ऑफर ठुकरा दिया था.

अखाड़ा परिषद में दो फाड़: इस वक्त 13 अखाड़ों में 7 एक ओर हैं, जबकि छह अखाड़े दूसरी ओर. अखाड़े की परंपरा के अनुसार जिस अखाड़े के अध्यक्ष का निधन होता है और वो परिषद में पदाधिकारी होता है, तो उस अखाड़े से जो नाम दिया जाता है उसे ही कार्यकाल पूरा होने तक नया अध्यक्ष बनाया जाता है. इसलिए निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी का नाम सबसे ऊपर था.

अखाड़ा परिषद में कुल 26 सदस्य: कुल 13 अखाड़ों में आपसी सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1954 में गठित अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में हर अखाड़े से दो-दो सदस्य अर्थात कुल 26 सदस्य होते हैं. हर अखाड़ा अपने सचिव एवं श्रीमहंत को परिषद के लिए नामित करता है. चुनाव हाथ उठवाकर करवाया जाता है, जिसके पक्ष में ज्यादा हाथ उठते हैं, वह मनोनीत हो जाता है.

2014 में बढ़ गए सदस्य: वर्ष 2014 में अखाड़ा परिषद में 28 सदस्य हो गए थे. अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि व महासचिव महंत हरि गिरि अतिरिक्त सदस्य थे, क्योंकि उनके अखाड़े से दो-दो सदस्य पहले से नामित थे. लेकिन परिषद का महत्वपूर्ण पद होने के कारण उनको लेकर कोई आपत्ति नहीं थी.

प्रयागराज/देहरादूनः संगम नगरी प्रयागराज में दारागंज के मोरी गेट स्थित निरंजनी अखाड़ा के परिसर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई, जिसमें नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया गया है. महंत परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि की अगुवाई में अखाड़ों की यह बैठक शुरू हुई. पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक, इस बैठक में अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष के रूप में निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी का चुनाव किया गया है. हरि गिरि महाराज का दावा है कि इस बैठक में बहुमत के लिए जरूरी सात अखाड़े शामिल हैं. इसके साथ ही एक अखाड़े ने पत्र भेजकर अपनी सहमति जाहिर कर दी है.

अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि का कहना है कि बैठक में जूना, निरंजनी, अग्नि, नया उदासीन, आनंद और आह्वान अखाड़े के संत मौजूद रहे जबकि निर्मोही अणि अखाड़े ने पत्र भेजकर बैठक में लिए जाने वाले फैसले का समर्थन किया. जबकि, इस चुनाव प्रक्रिया से निर्वाणी, दिगंबर, महानिर्वाणी, अटल और बड़ा उदासीन अखाड़े नदारद रहे. आपको बता दें कि इससे अलग पिछले दिनों हरिद्वार में बैठक कर अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट ने नए पदाधिकारियों का ऐलान किया था. उस बैठक में भी निर्मल और निर्मोही अणि अखाड़े के प्रतिनिधि शामिल हुए थे, और उस बैठक में महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी को अखाड़े के नया अध्यक्ष चुना गया था.

इसे भी पढ़ें- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में रार, महंत हरि गिरि ने बैठक को दिया असंवैधानिक करार

इस दौरान महंत हरि गिरि ने बताया कि मनसा देवी मंदिर के महंत रविंद्र पुरी को कई इंजीनियरिंग कॉलेज, डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज चलाने का 20 साल का अनुभव है. एक अनुभवी संत को अध्यक्ष पद पर आसीन करने का प्रस्ताव रखा गया था. अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पांच साल के लिए चुना जाता है लेकिन यह मध्यावधि चुनाव था और महंत रविंद्र पुरी का अध्यक्ष पद पर कार्यकाल वर्ष 2024 तक होगा.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष चुने गए रवींद्र पुरी

महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद से खाली था पद: 20 सितंबर को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद खाली चल रहा था. इसके लिए काफी दिनों से जोड़-तोड़ चल रही थी और अखाड़ों को अपने पक्ष में करने की जोर आजमाइश की जा रही थी. अखाड़ा परिषद के संरक्षक महंत हरि गिरि की ओर से निर्मल अखाड़ा प्रयागराज में परिषद की बैठक बुलाई गई थी. बताया जा रहा है कि 7 अखाड़ों की मौजूदगी एवं निर्मोही अणि अखाड़े की लिखित सहमति से निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी महाराज को अखाड़े का नया अध्यक्ष चुना गया है.

इससे पहले 20 अक्टूबर को हरिद्वार में देर रात 7 अखाड़ों ने बैठक करके अपने अध्यक्ष और महामंत्री का चुनाव कर लिया था. हरिद्वार के कनखल स्थित श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा परिसर में महानिर्वाणी व अटल, निर्मोही अणि, निर्वाणी अणि, दिगंबर अणि, बड़ा अखाड़ा उदासीन व निर्मल अखाड़ा ने नई कार्यकारिणी गठित कर ली थी. महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी अध्यक्ष एवं निर्मोही अणि अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महामंत्री चुने गए थे.

अगले ही दिन यानी 21 अक्टूबर को अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि ने अलग होकर नए अध्यक्ष व महामंत्री पद की घोषणा करने वाले अखाड़ों की बैठक को असंवैधानिक करार दिया था. इसके साथ ही इसे नियमों के विपरीत बुलाई गई बैठक बताया था. उनका कहना था कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व महामंत्री पद के लिए 25 अक्टूबर को प्रयागराज में बुलाई गई बैठक ही सर्वमान्य होगी.

इसी कड़ी में आज 25 अक्टूबर को पहले से तय बैठक में निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी को अखाड़े का नया अध्यक्ष चुना गया है. अब ये विवाद कैसे सुलझेगा की अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी होंगे या फिर महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी, इसको लेकर अब भी असमंजस है. आइए आपको बताते हैं हरिद्वार में 20 अक्टूबर की रात को महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी, जो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे आखिर वो हैं कौन?

कनखल मंदिर के पीठाधीश्वर भी हैं महंत रविंद्र पुरी: महंत रवींद्र पुरी हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर और महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव हैं. 35 साल पहले संन्यास लेकर वे महानिर्वाणी अखाड़े में शामिल हुए थे. रविंद्र पुरी 1998 के कुंभ मेले के बाद अखाड़े की कार्यकारिणी में शामिल हुए. 2007 में उन्हें अखाड़े का सचिव बनाया गया था. बताया जाता है कि महंत नरेंद्र गिरि ने सभी अखाड़ों में व्‍यवस्‍था के लिए एक करोड़ रुपए अखाड़ों को दिलवाए थे, लेकिन महंत रविंद्र पुरी ने महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से सरकार का एक करोड़ रुपए का ऑफर ठुकरा दिया था.

अखाड़ा परिषद में दो फाड़: इस वक्त 13 अखाड़ों में 7 एक ओर हैं, जबकि छह अखाड़े दूसरी ओर. अखाड़े की परंपरा के अनुसार जिस अखाड़े के अध्यक्ष का निधन होता है और वो परिषद में पदाधिकारी होता है, तो उस अखाड़े से जो नाम दिया जाता है उसे ही कार्यकाल पूरा होने तक नया अध्यक्ष बनाया जाता है. इसलिए निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी का नाम सबसे ऊपर था.

अखाड़ा परिषद में कुल 26 सदस्य: कुल 13 अखाड़ों में आपसी सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1954 में गठित अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में हर अखाड़े से दो-दो सदस्य अर्थात कुल 26 सदस्य होते हैं. हर अखाड़ा अपने सचिव एवं श्रीमहंत को परिषद के लिए नामित करता है. चुनाव हाथ उठवाकर करवाया जाता है, जिसके पक्ष में ज्यादा हाथ उठते हैं, वह मनोनीत हो जाता है.

2014 में बढ़ गए सदस्य: वर्ष 2014 में अखाड़ा परिषद में 28 सदस्य हो गए थे. अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि व महासचिव महंत हरि गिरि अतिरिक्त सदस्य थे, क्योंकि उनके अखाड़े से दो-दो सदस्य पहले से नामित थे. लेकिन परिषद का महत्वपूर्ण पद होने के कारण उनको लेकर कोई आपत्ति नहीं थी.

Last Updated : Oct 25, 2021, 7:04 PM IST
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