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राजधानी दून में खुला प्लास्टिक बैंक, तीन चरणों में ऐसे होगा काम

दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में 90 कर्मचारी घर से निकलने वाला प्लास्टिक कूड़े को एकत्र करेंगे. जिसके बाद यहां जमा होने वाले प्लास्टिक कूड़े से भारतीय पेट्रोलियम संस्थान डीजल बनाएगा.

राजधानी दून में बनाया गया प्लास्टिक बैंक
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Published : Nov 5, 2019, 9:43 PM IST

Updated : Nov 5, 2019, 11:00 PM IST

देहरादून: भारतीय पेट्रोलियम संस्थान और गति फाउंडेशन के बीच एक अहम समझौता हुआ है. जिसके तहत देहरादून की सुभाष रोड स्थित दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में पहला प्लास्टिक बैंक बनाया गया है. इस बैंक में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान और गति फाउंडेशन को कचरा उपलब्ध करवाया जाएगा. जिससे भारतीय पेट्रोलियम संस्थान डीजल बनाएगा. दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक का मानना है कि शहर के सभी बड़े संस्थानों में इस तरह के प्लास्टिक बैंक स्थापित किये जाने हैं.

राजधानी दून में बनाया गया प्लास्टिक बैंक

दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में 90 कर्मचारी घर से निकलने वाला प्लास्टिक कूड़े को एकत्र करेंगे. जिसके बाद यहां जमा होने वाले प्लास्टिक कूड़े से भारतीय पेट्रोलियम संस्थान डीजल बनाएगा. दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ गौरव लूथरा ने कहा कि इस मामले को लेकर गति फाउंडेशन से कई समय से बात चल रही थी. जिसके तहत शहर में एक प्लास्टिक बैंक बनाया गया है. उन्होंने कहा कि अगर ये प्रयोग सफल होता है तो इसका दायरा भी बढ़ाया जाएगा.

पढ़ें-सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान को कांग्रेस ने बताया ड्रामा, दाल पोषित योजना पर उठाए सवाल

डॉ गौरव लूथरा ने बताया कि इस बैंक को तीन चरणों में बांटा है. इसमें सबसे पहले अस्पताल के प्लास्टिक को आईआईपी को दिया जाएगा. दूसरे चरण में अस्पताल के स्टॉफ प्लास्टिक देने का काम करेगा. जिसके लिए हमने साइग्रेशन बनाया है. हमारा काम सिर्फ प्लास्टिक को इकट्ठा करना होगा बाकी का काम गति फाउंडेशन करेगा. गति फाउंडेशन का काम आईआईपी को प्लास्टिक ट्रांसपोर्ट करने का होगा.

देहरादून: भारतीय पेट्रोलियम संस्थान और गति फाउंडेशन के बीच एक अहम समझौता हुआ है. जिसके तहत देहरादून की सुभाष रोड स्थित दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में पहला प्लास्टिक बैंक बनाया गया है. इस बैंक में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान और गति फाउंडेशन को कचरा उपलब्ध करवाया जाएगा. जिससे भारतीय पेट्रोलियम संस्थान डीजल बनाएगा. दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक का मानना है कि शहर के सभी बड़े संस्थानों में इस तरह के प्लास्टिक बैंक स्थापित किये जाने हैं.

राजधानी दून में बनाया गया प्लास्टिक बैंक

दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में 90 कर्मचारी घर से निकलने वाला प्लास्टिक कूड़े को एकत्र करेंगे. जिसके बाद यहां जमा होने वाले प्लास्टिक कूड़े से भारतीय पेट्रोलियम संस्थान डीजल बनाएगा. दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ गौरव लूथरा ने कहा कि इस मामले को लेकर गति फाउंडेशन से कई समय से बात चल रही थी. जिसके तहत शहर में एक प्लास्टिक बैंक बनाया गया है. उन्होंने कहा कि अगर ये प्रयोग सफल होता है तो इसका दायरा भी बढ़ाया जाएगा.

पढ़ें-सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान को कांग्रेस ने बताया ड्रामा, दाल पोषित योजना पर उठाए सवाल

डॉ गौरव लूथरा ने बताया कि इस बैंक को तीन चरणों में बांटा है. इसमें सबसे पहले अस्पताल के प्लास्टिक को आईआईपी को दिया जाएगा. दूसरे चरण में अस्पताल के स्टॉफ प्लास्टिक देने का काम करेगा. जिसके लिए हमने साइग्रेशन बनाया है. हमारा काम सिर्फ प्लास्टिक को इकट्ठा करना होगा बाकी का काम गति फाउंडेशन करेगा. गति फाउंडेशन का काम आईआईपी को प्लास्टिक ट्रांसपोर्ट करने का होगा.

Intro:भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ओर गति फाउडेशन के बीच हुए समझौते के तहत देहरादून के सुभाष रोड पर स्थित दृष्टि आई इंस्टीट्यूट में पहला प्लास्टिक बैंक बनाया गया।बैंक में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ओर गति फाउडेशन को कचरा उपलब्ध करवाएगा जिससे संस्थान में डीजल बनाया जा सके।वही दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक का मानना है कि शहर के सभी बड़े संस्थानों में इस तरह के प्लास्टिक बैंक स्थापित किये जाने है।ओर अगर हम सफल हो जाते है तो हमारी बैंक की जितनीं क्षमता हो उतनी हम प्लास्टिक इकट्ठी कर आईआईपी को ट्रांसपोर्ट करेंगे।


Body:फाउंडेशन प्लास्टिक वेस्ट को लेकर हमेशा सतर्क रहा है और अब तक अपने स्तर पर कुड़े के निस्तारण के लिए प्रयास करते रहे है। इसके साथ ही बैंक में प्लास्टिक वेस्ट जमा करने के साथ ही संस्थान के 90 के करीब कर्मचारियों के घर से निकलने वाला प्लास्टिक कूड़ा भी यहां एकत्रित कराया जाएगा।ओर उसके बाद हर प्लास्टिक बैंक सफल रहता है तो बैंक की जितनी क्षमता रहेगी उतनी प्लास्टिक वेस्ट को इकठ्ठा करके आईआईपी को ट्रांसपोर्ट करने का काम करेंगे।


Conclusion:दृष्टि आई इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ गौरव लुथरा ने कहा कि हमारी कुछ समय से गति फाउंडेशन से बात चल रही थी की जो प्लास्टिक मुक्त का अभियान चल रहा है इसके तहत शहर में एक प्लास्टिक बैंक बनाया जाए।और बेकार प्लास्टिक भी काम आनी चाहिए,इसलिए हमने सबसे पहले अपने अस्पताल,स्टाफ के सभी लोग ओर अगर हम सफल हो जाते है तो बाहर के लोगो से भी बेकार प्लास्टिक लेकर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान को देगे।इस बैंक को हमने तीन चरणों मे बांटा है सबसे पहले हम अस्पताल की प्लास्टिक को आईआईपी में दिया जाएगा।दूसरे चरण अस्पताल के स्टाफ प्लास्टिक देने का काम करेगा जिसके लिए हमने साइग्रेशन बनाया है।हमारा काम सिर्फ प्लास्टिक को इकट्ठा करने का होगा बाकी काम गति फाउडेशन का काम रहेगा।गति फाउंडेशन काम आईआईपी को प्लास्टिक ट्रांसपोर्ट करने काम रहेगा।और अगर हमारे बैंक सफल हो जाता है तो जितनीं हमारी क्षमता रहेगी उतना हम लोग प्लास्टिक इक्कठा करके आईआईपी को ट्रांसपोर्ट करेगे।

बाइट-डॉ गौरव लुथरा(निदेशक,दृष्टि आई इंस्टीट्यूट)

बाइट ओर विसुल मेल किये है मेल से उठाने की कृपा करें।
धन्यवाद।
Last Updated : Nov 5, 2019, 11:00 PM IST
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