देहरादून: 'सत्ता का मद' किसे कहते हैं इसकी बानगी बीते दिन बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का एक वीडियो वायरल होने के बाद दिखी. वीडियो सामने आने के बाद प्रदेश बीजेपी संगठन से बिगड़ैल विधायक पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही थी. लेकिन प्रदेश संगठन तबतक इस विवाद पर मुंह ढके सोया रहा जबतक सांसद अनिल बलूनी की इस पूरे मसले पर तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई. हालांकि, अनुशासनहीनता के लिए चैंपियन पहले से ही 3 महीने के लिए पार्टी से निष्कासित चल रहे हैं. ऐसे में उनपर पार्टी अब क्या कार्रवाई करेगी ये देखने वाली बात होगी.
बता दें कि बीजेपी विधायक चैंपियन का उत्तराखंड की अस्मिता को तार-तार करने वाला बीते दिन सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसमें ये बिगड़ैल विधायक शराब के नशे में चूर होकर गालियां बकता दिखाई दे रहा था. जिसके बाद तमाम न्यूज चैनलों में ये मामला सुर्खियां बना रहा लेकिन, प्रदेश के किसी भी नेता का इस पूरे प्रकरण पर कोई बयान आया हो. ऐसे में प्रदेश संगठन की इस पूरे मसले पर चुप्पी कुछ और ही साबित कर रही थी. कुछ पत्रकारों ने इस मसले पर पार्टी नेताओं की प्रतिक्रिया चाही लेकिन, वे भी मीडिया के सामने कुछ बोलने से कतराते नजर आए.
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वहीं, इस प्रकरण पर पहला बयान बीते दिन सुबह करीब 11 बजे दिल्ली से आया. उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने चैंपियन के इस वायरल वीडियो पर न सिर्फ आपत्ति जताई बल्कि उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की बात भी की. जिसके बाद प्रदेश संगठन की नींद टूटी और दोपहर करीब 3 बजे प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने ट्वीट कर इस बिगैड़ल विधायक को कारण बताओ नाटिस जारी करने की बात कही. ऐसे में सवाल उठता है कि इस पूरे प्रकरण पर बीजेपी प्रदेश संगठन क्यों आलाकमान का मुंह ताकता रहा.
प्रदेश संगठन पर सवाल इसलिए भी है क्योंकि अनुशासनहीनता के चलते ये बिगड़ैल विधायक पहले से ही पार्टी से निष्कासित चल रहा है. ऐसे में फिर से चैंपियन को बीजेपी से निष्कासित करने की बात हजम नहीं होती है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, सांसद बलूनी ने आलाकमान से ये बात पक्की कर ली है कि विधायक को पार्टी से बाहर निकाला जाएगा.
वहीं, ईटीवी भारत को प्राप्त जानकारी के मुताबिक, विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को मिली सीआईएसएफ सुरक्षा को 10 दिनों के भीतर हटा लिया जाएगा. इतना ही नहीं, वायरल वीडियो में जो हथियार लेकर चैंपियन नशे में नाचते दिखाई दे रहे हैं उन्हें भी जब्त किया जा सकता है. ताकि इस तरह से कानून का मखौल उड़ाने वाले जनप्रतिनिधियों को साफ संदेश जा सके.