देहरादून: प्रदेश के जाने-माने कवि और साहित्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी सरकार के नकारात्मक रवैये से नाराज हैं. प्रदेश में साहित्यकारों और कवियों की हो रही अवहेलना से वे काफी हताश हैं. ईटीवी भारत से खास बात करते हुए पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने अपना दर्द बयां किया. उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश के साहित्यकारों को लगातार भूलती जा रही है.
साहित्य अकादमी अवॉर्ड और पद्मश्री से सम्मानित लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि प्रदेश में साहित्यकारों और कवियों की लगातार अनदेखी की जा रही है. सरकार दिनों दिन कला प्रेमियों और साहित्यकारों को भूलती जा रही है. लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि उन्हें अब तक साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान मिल चुके हैं, लेकिन कभी भी प्रदेश के किसी जनप्रतिनिधि ने उन्हें इसकी शुभकामनाएं देना तक जरूरी नहीं समझा.
पढ़ें-बैंकॉक में PM मोदी : जापान के प्रधानमंत्री से मिले पीएम मोदी
उन्होंने कहा कि उन्हें मिलने वाले सम्मान से प्रदेश का नाम रोशन हुआ है, लेकिन राज्य सरकार का साहित्यकारों और कवियों के प्रति रवैया संस्कृति शून्यता को दर्शाता है.
पढ़ें-क्या पंचायत चुनाव के बाद पहाड़ चढ़ेंगे 300 शिक्षक? HRD मंत्री तक पहुंची सिफारिश
बता दें कि हाल ही में लीलाधर जगूड़ी को केके बिरला फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2018 के लिए 28वें व्यास सम्मान से नवाजा गया है . लीलाधर जगूड़ी को साल 2013 में प्रकाशित उनकी किताब 'जितने लोग उतने प्रेम' के लिए व्यास सम्मान 2018 से नवाजा गया है. जिसमें उन्होंने प्रेम के अलग-अलग रूपों पर प्रकाश डाला है.
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1997)
- पद्मश्री सम्मान
- रघुवीर सहाय सम्मान
- भारतीय भाषा परिषद् शतदल सम्मान
- नमित पुरस्कार
- आकाशवाणी पुरस्कार
- व्यास सम्मान