देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में आज भी कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्र-छात्राओं के लिए टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है.
गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश के सभी 13 जनपदों के 224 सरकारी स्कूलों में टॉयलेट की उचित व्यवस्था करने के लिए स्वजल से 5.75 करोड़ रुपये की धनराशि भी आवंटित की गई थी, जिसे शिक्षा विभाग द्वारा सभी 13 जनपदों के सरकारी स्कूलों में शौचालय बनाने के लिए बांटा गया था, लेकिन अब तक 5.75 करोड़ की धनराशि से महज 96 लाख रुपए ही सरकारी स्कूलों में टॉयलेट बनाने में खर्च हो सके हैं.
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दरअसल, प्रदेश के कई जनपद ऐसे हैं, जहां स्कूलों में शौचालय निर्माण को लेकर मिले इस बजट को अब तक खर्च ही नहीं किया गया है. इसमें टिहरी जिले का नाम पहले पायदान पर है. इसके अलावा उत्तरकाशी, चमोली, नैनीताल और अल्मोड़ा जनपद में भी अब तक टॉयलेट निर्माण का बजट अब तक खर्च नहीं किया जा सका है.
जिला का नाम | शेष बचा बजट |
टिहरी | 44.78 लाख |
नैनीताल | 12.06 लाख |
चमोली | 11.88 लाख |
उत्तरकाशी | 12.48 लाख |
अल्मोड़ा | 09.00 लाख |
शौचालय निर्माण के लिए मिली हुई धनराशि को अब तक पूरी तरह खर्च न कर पाने को लेकर शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने भी गहरी नाराजगी जाहिर की है. उनकी ओर से सभी जिलों को यह निर्देशित किया गया है कि 10 जनवरी से पहले स्थान के उपयोग का पूरा उपयोगिता प्रमाण पत्र मुहैया कराया जाए. जिससे कि 15 जनवरी तक जलशक्ति मंत्रालय को इसका ब्यौरा सौंपा जा सकें.
बहरहाल, सरकारी स्कूलों में टॉयलेट निर्माण के लिए दी गई धनराशि का पूरी तरह खर्च ना होना शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर कई सवालिया निशान खड़े करता है. एक तरफ प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों की व्यवस्था बेहतर बनाने के दावे करती है. वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश के सरकारी स्कूलों की यह स्थिति सोचने को मजबूर करती है कि जब स्कूलों में छात्र छात्राओं के लिए शौचालय तक की भी व्यवस्था नहीं होगी तो बाकी व्यवस्था का हाल क्या होगा ? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.