देहरादून: प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली उत्तराखंड सरकार में पारदर्शिता को कितनी तवज्जो दी जाती है इसका अंदाजा आप हर साल होने वाला माननीयों की सम्पति ब्योरे से लगा सकते हैं. उत्तराखंड विधानसभा में अब तक मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों और करीबन 40 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. जो कि त्रिवेंद्र सरकार के जीरो टॉलरेंस के नारे पर सवालिया निशान लगाता है.
चुनी गई सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी को एक पैमाने में रखकर उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही नियमावली 'मंत्री-विधायक अस्तियों और दायित्वों का प्रकाशन अधिनियम 1975 की धारा 3(2) और धारा 4' के तहत सभी विधायकों को निर्धारित समय के भीतर अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा में देना होता है, जो कि एक तरह से सरकार के कर्तव्यों को भी सुनिश्चित करता है, लेकिन उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के मंत्री और विधायक ही इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के 71 विधायकों में से अब तक केवल 25 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है. बाकी के 46 विधायकों में इस नियमावली को लेकर कोई खास रुचि नहीं देखी जा रही है.
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अस्तियों और दायित्वों के प्रकाशन अधिनियम के तहत मौजूदा सरकार की बात करें तो उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के 4 सदस्यों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. इनमें से संपत्ति का ब्योरा देने वाले 5 सदस्यों में स्वर्गीय प्रकाश पंत भी शामिल हैं जो अपनी संपत्ति का ब्योरा दे चुके हैं. वहीं सरकार के विधायकों की बात करें तो इस फेहरिस्त में भाजपा के तकरीबन 30 से ज्यादा विधायक शामिल हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है.
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कांग्रेस के एक भी विधायक ने नहीं उठाई जहमत
संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध करवाने में सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के विधायक भी लापरवाह बने हुए हैं. बता दें कि इस बार विधानसभा में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं. इन 11 विधायकों में से नेता प्रतिपक्ष सहित सभी 11 विधायकों ने अब तक अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध नहीं करवाया है. जो कि अपने आप में संसदीय परंपराओं और विधाई कार्यों के प्रति जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है.
दो निर्दलीय विधायक में से एक ने दिया है संपत्ति का ब्योरा
संसदीय परंपराओं के प्रति निर्दलीय विधायकों की तत्परता अधिक दिखाई देती है. उत्तराखंड विधासनसभा में दो निर्दलीय विधायक हैं. जिनमें धनोल्टी से विधायक प्रीतम पंवार ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दे दिया है. जबकि बात करें दूसरे निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा की तो उन्होंने भी इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई है.
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बाध्यकारी नहीं, बल्कि स्वैच्छिक है प्रावधान, पारदर्शिता के लिए जरूरी: विस. अध्यक्ष
इस पूरे मामले पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि विधानसभा कि इस नियमावली के अनुसार विधायकों को संपत्ति का ब्योरा देने की बाध्यता नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता में सरकार के प्रति विश्वास और पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए विधानसभा के सभी सदस्यों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा के सभी सदस्यों से अपील की है कि सभी सदस्य समय से अपनी संपत्ति का ब्योरा देकर विधानसभा की परंपराओं के प्रति निष्ठा बनाए रखें.