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उत्तराखंडः सीएम, मंत्री समेत 46 विधायकों ने नहीं दिया संपत्ति का ब्योरा

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Published : Sep 3, 2019, 6:10 PM IST

Updated : Sep 3, 2019, 6:49 PM IST

जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के 71 विधायकों में से अब तक केवल 25 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है. बाकी के 46 विधायकों में इस नियमावली को लेकर कोई खास रुचि नहीं देखी जा रही है.

जीरो टॉलरेंस के नारे को पलीता लगाते 'सरकार' और विधायक

देहरादून: प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली उत्तराखंड सरकार में पारदर्शिता को कितनी तवज्जो दी जाती है इसका अंदाजा आप हर साल होने वाला माननीयों की सम्पति ब्योरे से लगा सकते हैं. उत्तराखंड विधानसभा में अब तक मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों और करीबन 40 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. जो कि त्रिवेंद्र सरकार के जीरो टॉलरेंस के नारे पर सवालिया निशान लगाता है.

जीरो टॉलरेंस के नारे को पलीता लगाते 'सरकार' और विधायक

चुनी गई सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी को एक पैमाने में रखकर उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही नियमावली 'मंत्री-विधायक अस्तियों और दायित्वों का प्रकाशन अधिनियम 1975 की धारा 3(2) और धारा 4' के तहत सभी विधायकों को निर्धारित समय के भीतर अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा में देना होता है, जो कि एक तरह से सरकार के कर्तव्यों को भी सुनिश्चित करता है, लेकिन उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के मंत्री और विधायक ही इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के 71 विधायकों में से अब तक केवल 25 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है. बाकी के 46 विधायकों में इस नियमावली को लेकर कोई खास रुचि नहीं देखी जा रही है.

पढ़ें-उत्तराखंड: भूकंपरोधी तकनीक से बनेंगे सरकारी स्कूल, जर्जर भवनों की सूची तैयार करने का आदेश

अस्तियों और दायित्वों के प्रकाशन अधिनियम के तहत मौजूदा सरकार की बात करें तो उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के 4 सदस्यों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. इनमें से संपत्ति का ब्योरा देने वाले 5 सदस्यों में स्वर्गीय प्रकाश पंत भी शामिल हैं जो अपनी संपत्ति का ब्योरा दे चुके हैं. वहीं सरकार के विधायकों की बात करें तो इस फेहरिस्त में भाजपा के तकरीबन 30 से ज्यादा विधायक शामिल हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है.

पढ़ें-हरीश रावत पर FIR दर्ज करने की तैयारी में CBI

कांग्रेस के एक भी विधायक ने नहीं उठाई जहमत
संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध करवाने में सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के विधायक भी लापरवाह बने हुए हैं. बता दें कि इस बार विधानसभा में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं. इन 11 विधायकों में से नेता प्रतिपक्ष सहित सभी 11 विधायकों ने अब तक अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध नहीं करवाया है. जो कि अपने आप में संसदीय परंपराओं और विधाई कार्यों के प्रति जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है.

दो निर्दलीय विधायक में से एक ने दिया है संपत्ति का ब्योरा
संसदीय परंपराओं के प्रति निर्दलीय विधायकों की तत्परता अधिक दिखाई देती है. उत्तराखंड विधासनसभा में दो निर्दलीय विधायक हैं. जिनमें धनोल्टी से विधायक प्रीतम पंवार ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दे दिया है. जबकि बात करें दूसरे निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा की तो उन्होंने भी इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई है.

पढ़ें-ग्रामीणों से मिलने 5 किलोमीटर पैदल चले डीएम, कहा- जल्द बनेगी सड़क


बाध्यकारी नहीं, बल्कि स्वैच्छिक है प्रावधान, पारदर्शिता के लिए जरूरी: विस. अध्यक्ष

इस पूरे मामले पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि विधानसभा कि इस नियमावली के अनुसार विधायकों को संपत्ति का ब्योरा देने की बाध्यता नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता में सरकार के प्रति विश्वास और पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए विधानसभा के सभी सदस्यों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा के सभी सदस्यों से अपील की है कि सभी सदस्य समय से अपनी संपत्ति का ब्योरा देकर विधानसभा की परंपराओं के प्रति निष्ठा बनाए रखें.

देहरादून: प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली उत्तराखंड सरकार में पारदर्शिता को कितनी तवज्जो दी जाती है इसका अंदाजा आप हर साल होने वाला माननीयों की सम्पति ब्योरे से लगा सकते हैं. उत्तराखंड विधानसभा में अब तक मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों और करीबन 40 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. जो कि त्रिवेंद्र सरकार के जीरो टॉलरेंस के नारे पर सवालिया निशान लगाता है.

जीरो टॉलरेंस के नारे को पलीता लगाते 'सरकार' और विधायक

चुनी गई सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी को एक पैमाने में रखकर उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही नियमावली 'मंत्री-विधायक अस्तियों और दायित्वों का प्रकाशन अधिनियम 1975 की धारा 3(2) और धारा 4' के तहत सभी विधायकों को निर्धारित समय के भीतर अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा में देना होता है, जो कि एक तरह से सरकार के कर्तव्यों को भी सुनिश्चित करता है, लेकिन उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के मंत्री और विधायक ही इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के 71 विधायकों में से अब तक केवल 25 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है. बाकी के 46 विधायकों में इस नियमावली को लेकर कोई खास रुचि नहीं देखी जा रही है.

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अस्तियों और दायित्वों के प्रकाशन अधिनियम के तहत मौजूदा सरकार की बात करें तो उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के 4 सदस्यों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. इनमें से संपत्ति का ब्योरा देने वाले 5 सदस्यों में स्वर्गीय प्रकाश पंत भी शामिल हैं जो अपनी संपत्ति का ब्योरा दे चुके हैं. वहीं सरकार के विधायकों की बात करें तो इस फेहरिस्त में भाजपा के तकरीबन 30 से ज्यादा विधायक शामिल हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है.

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कांग्रेस के एक भी विधायक ने नहीं उठाई जहमत
संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध करवाने में सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के विधायक भी लापरवाह बने हुए हैं. बता दें कि इस बार विधानसभा में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं. इन 11 विधायकों में से नेता प्रतिपक्ष सहित सभी 11 विधायकों ने अब तक अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध नहीं करवाया है. जो कि अपने आप में संसदीय परंपराओं और विधाई कार्यों के प्रति जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है.

दो निर्दलीय विधायक में से एक ने दिया है संपत्ति का ब्योरा
संसदीय परंपराओं के प्रति निर्दलीय विधायकों की तत्परता अधिक दिखाई देती है. उत्तराखंड विधासनसभा में दो निर्दलीय विधायक हैं. जिनमें धनोल्टी से विधायक प्रीतम पंवार ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दे दिया है. जबकि बात करें दूसरे निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा की तो उन्होंने भी इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई है.

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बाध्यकारी नहीं, बल्कि स्वैच्छिक है प्रावधान, पारदर्शिता के लिए जरूरी: विस. अध्यक्ष

इस पूरे मामले पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि विधानसभा कि इस नियमावली के अनुसार विधायकों को संपत्ति का ब्योरा देने की बाध्यता नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता में सरकार के प्रति विश्वास और पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए विधानसभा के सभी सदस्यों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा के सभी सदस्यों से अपील की है कि सभी सदस्य समय से अपनी संपत्ति का ब्योरा देकर विधानसभा की परंपराओं के प्रति निष्ठा बनाए रखें.

Intro:special News---

Note- इस ख़बर की एक बाइट प्रेमचंद अग्रवाल की बाइट wrap से भेजी जा रही है। कृपया वंहा से उठाएं।

एंकर- जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली उत्तराखंड सरकार में पारदर्शिता को कितना तवज्जो दिया जाता है इसका अंदाजा आप हर साल होने वाला माननीयों के सम्पति के ब्यौरे से लगा सकते हैं। उत्तराखंड विधानसभा में अब तक मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों और करीबन 40 विधयकों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा नही दिया है।


Body:वीओ- चुनी गई सरकार की पारदर्शिता और ईमानदारी को एक पैमाने में रखकर उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही नियमावली "मंत्री-विधायक अस्तियों और दायित्वों का प्रकाशन अधिनियम 1975 की धारा 3(2) और धारा 4" के तहत राज्य में निर्वाचित सभी विधायकों को निर्धारित समय के भीतर अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा में देना होता है। जो कि एक तरह से सरकार के कर्तव्यों को भी सुनिश्चित करता है। लेकिन उत्तराखंड में वैसे तो सरकार खुद को जीरो टॉलरेंस की सरकार बताती है लेकिन न जाने ऐसी कौन सी मजबूरी है कि उत्तराखंड के 71 विधायकों में से केवल 25 विधायक ही अब तक अपनी संपत्ति का ब्योरा विधानसभा सचिवालय में जमा कर पाए हैं और बाकी के 46 विधायकों द्वारा इस नियमावली कह लीजिए या फिर परंपरा के प्रति कोई खास रुचि नहीं देखी जा रही है।

बाइट- जगदीश चंद्र, सचिव विधानसभा

मुख्यमंत्री, मंत्री सहित भाजपा के 35 भाजपा विधायकों ने नही दिया सम्पत्ति का ब्यौरा----

अस्थियों और दायित्वों के प्रकाशन अधिनियम के तहत मौजूदा सरकार की बात करें तो उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के 4 सदस्य सदस्यों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। इनमें से संपत्ति का ब्यौरा देने वाले 5 सदस्यों में स्वर्गीय मंत्री प्रकाश पंत भी शामिल है जो अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे चुके हैं। तो वहीं सरकार के विधायकों की बात करें तो इस फेहरिस्त में भाजपा के तकरीबन 30 से ज्यादा विधायक शामिल है जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है।

कांग्रेस के एक भी विधायक ने नहीं उठाई जहमत---

संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध करवाने में सत्तापक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के विधायक भी लापरवाह बने हुए हैं। आपको बता दें कि मौजूदा भाजपा सरकार में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं लेकिन इन्हीं 11 विधायकों में से नेता प्रतिपक्ष सहित सभी के सभी 11 विधायकों ने अब तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध नहीं करवाया है जो कि अपने आप में संसदीय परंपराओं और विधाई कार्यों के प्रति जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है।

दो निर्दलीय विधायक में से एक ने दिया है संपत्ति का ब्यौरा--

संसदीय परंपराओं के प्रति निर्दलीय विधायकों की तत्परता अधिक दिखाई देती है, क्योंकि उत्तराखंड में दो निर्दलीय विधायक धनोल्टी से प्रीतम पंवार और भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा में से धनोल्टी विधायक प्रीतम पंवार ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे दिया है लेकिन अन्य निर्दलीय विधायक ने अभी तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है।

बाध्यकारी नहीं, बल्कि स्वैच्छिक है प्रावधान, लेकिन पारदर्शिता के लिए जरूरी- विस अध्यक्ष.........

इस पूरे मामले पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि विधानसभा कि इस नियमावली के अनुसार माननीय विधायकों को संपत्ति का ब्यौरा देने की बाध्यता नहीं बल्कि स्वैच्छिक प्रावधान है। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कहा कि जनता में सरकार के प्रति विश्वास और पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए विधानसभा के सभी माननीय सदस्यों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना चाहिए और यह एक जनप्रतिनिधि का अपनी जनता के प्रति कर्तव्य भी है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा के सभी सदस्यों से अपील की है जिसमें मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री भी शामिल है कि वह समय से अपनी संपत्ति का ब्यौरा देकर विधानसभा की परंपराओं के प्रति निष्ठा बनाए रखें।

बाइट- प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखंड


Conclusion:
Last Updated : Sep 3, 2019, 6:49 PM IST
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