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यहां सूखे पत्ते खाने को मजबूर हैं कई गुर्जर परिवार, घर तक पहुंचा ETV BHARAT

उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे सहारनपुर जिले के लांडी बाड़ा गांव का ये मामला है. आईएसबीटी से लगभग 8 किलोमीटर दूर गुर्जरों के इस गांव में पिछले तीन दिनों से खाने पीने का सामान पूरी तरह से खत्म हो गया है. लॉकडाउन के कारण यहां रसद भी नहीं पहुंच पाई है. जिसके कारण यहां के लोग, मासूम बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं.

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Published : Mar 30, 2020, 5:36 PM IST

Updated : Mar 30, 2020, 11:46 PM IST

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लांडी-बाड़ा गांव में सूखे पत्ते खाने को मजबूर कई गुर्जर परिवार

सहारनपुर / देहरादून: देशभर में लॉकडाउन के एलान के बाद सड़कों, गलियों और शहरों में सन्नाटा छा गया है. लोग अपने घरों में कैद होकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए ये समय बड़ी मुसीबतें लेकर आया है. बेघर, असहाय, गरीब, मजदूर लोग सड़कों पर भूख और भय के साथ कोरोना से जंग लड़ने को मजबूर हैं. इसकी बानगी यूपी और उत्तराखंड की सीमा से सटे लांडी-बाड़ा गांव से सामने आई है, जहां कई परिवार पिछले तीन दिनों से खाने-पीने को मोहताज हैं. यहां के लोगों की मजबूरी देखिए कि इस कठिन दौर में जिंदा रहने के लिए इन्हें सूखे पत्तों को उबालकर खाना पड़ रहा है.

यहां सूखे पत्ते खाने को मजबूर हैं कई गुर्जर परिवार

मामला उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे सहारनपुर जिले के लांडी बाड़ा गांव का है. आईएसबीटी से लगभग 8 किलोमीटर दूर गुर्जरों के इस गांव में पिछले तीन दिनों से खाने पीने का सामान पूरी तरह से खत्म हो गया है.

लॉकडाउन के कारण यहां रसद भी नहीं पहुंच पाई है. जिसके कारण यहां के लोग, मासूम बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं. इतना ही नहीं इन गुर्जरों के पास जानवरों का चारा भी खत्म हो गया है. जिससे इनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं. लिहाजा इनके जानवर सूखी घास खाकर जीने को मजबूर हैं. हर बीतते दिन के साथ इन गुर्जरों की जिंदगी और कठिन होती जा रही है.

पढ़ें- IFS ट्रेनी अफसर की सैंपल रिपोर्ट पहले नेगेटिव अब आई पॉजिटिव, बढ़ी चिंता

यूपी और उत्तराखंड की सीमा से सटे इस गांव के लोगों की परेशानी के बारे में जैसे ही ईटीवी भारत को पता चला तो टीम तुरंत मौके पर जाकर इन का दर्द समझने की कोशिश की. जैसे ही टीम मौके पर पहुंची तो यहां के हालात देखकर हमारी आंखों से भी आंसू छलक उठे. यहां मौजूद बड़े, छोटे, बुजुर्ग सभी इस आस में सरकारी अमले की राह देख रहे थे कि कब इन तक सरकारी मदद पहुंचेगी. जैसे ही ईटीवी भारत की टीम ने यहां के लोगों से बात की तो इनका दर्द छलक आया. लोगों ने बताया पिछले तीन दिनों से गांव में कुछ भी खाने के लिए नहीं हैं. वे लोग जैसे कैसे जी रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी लोग अपना पेट भरने के लिए सुबह और शाम सूखे हुए पत्तों को उबालकर खा रहे हैं.

पढ़ें- कांग्रेस ने राज्य सरकार पर साधा निशाना, 31 मार्च को छूट वापसी के फैसले को बताया गलत

इन लोगों ने बताया कि पालतू पशु इनके जीवन का जरिया हैं, मगर उनके लिए भी यहां कुछ नहीं बचा है. जिसके कारण उनकी परेशानियां और बढ़ गई है. गुर्जरों के इस पूरे गांव में एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों की तादाद में लोग रहते हैं. जिसे देखते हुए ईटीवी भारत ने पहल करते हुए कुछ समाजसेवियों की मदद से इन गांव तक खाने पीने का सामान पहुंचाया. जिसमें राहुल नाम के सख्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राहुल देहरादून की एक फार्मा कंंपनी में काम करते हैं और ऐसे ही जरुरतमंद लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. ईटीवी भारत और राहुल के प्रयास से यहां के कुछ परिवारों के लिए खाने का तो जुगाड़ हो गया मगर फिर भी यहां कई ऐसे परिवार बच गये जिन्हें अभी भी खाने की दरकार है.

पढ़ें- सहस्त्रधारा में कोरोना को हराने के लिए स्थानीय लोगों की पहल, बेरिकेडिंग लगाकर कर रहे ड्यूटी

यहां से निकलने के बाद टीम ने सहारनपुर जिले के जिलाधिकारी अखिलेश कुमार से संपर्क किया और उन्हें इस गांव के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद उन्हें तुरंत अधिकारियों को यहां राहत सामग्री पहुंचाने का आदेश जारी किया.

गुर्जर परिवारों को राहत देने के लिए ईटीवी भारत की पहल पर जिलाधिकारी ने भले ही राहत सामग्री पहुंचाने का आदेश तो दे दिया है मगर ऐसे में देखना ये होगा कि यह आदेश कब तक अमल में लाया जाता है.

बहरहाल हमारी कोशिश यही है कि कठिन परिस्थितियों में रह रहे लोगों को किसी तरह से सरकारी राहत पहुंच जाए, क्योंकि ये सभी लोग शहर से कोसों दूर बैठे हैं जिनकी आवाज न तो सरकार तक पहुंचती है और न ही शासन तक.

सहारनपुर / देहरादून: देशभर में लॉकडाउन के एलान के बाद सड़कों, गलियों और शहरों में सन्नाटा छा गया है. लोग अपने घरों में कैद होकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए ये समय बड़ी मुसीबतें लेकर आया है. बेघर, असहाय, गरीब, मजदूर लोग सड़कों पर भूख और भय के साथ कोरोना से जंग लड़ने को मजबूर हैं. इसकी बानगी यूपी और उत्तराखंड की सीमा से सटे लांडी-बाड़ा गांव से सामने आई है, जहां कई परिवार पिछले तीन दिनों से खाने-पीने को मोहताज हैं. यहां के लोगों की मजबूरी देखिए कि इस कठिन दौर में जिंदा रहने के लिए इन्हें सूखे पत्तों को उबालकर खाना पड़ रहा है.

यहां सूखे पत्ते खाने को मजबूर हैं कई गुर्जर परिवार

मामला उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे सहारनपुर जिले के लांडी बाड़ा गांव का है. आईएसबीटी से लगभग 8 किलोमीटर दूर गुर्जरों के इस गांव में पिछले तीन दिनों से खाने पीने का सामान पूरी तरह से खत्म हो गया है.

लॉकडाउन के कारण यहां रसद भी नहीं पहुंच पाई है. जिसके कारण यहां के लोग, मासूम बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं. इतना ही नहीं इन गुर्जरों के पास जानवरों का चारा भी खत्म हो गया है. जिससे इनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं. लिहाजा इनके जानवर सूखी घास खाकर जीने को मजबूर हैं. हर बीतते दिन के साथ इन गुर्जरों की जिंदगी और कठिन होती जा रही है.

पढ़ें- IFS ट्रेनी अफसर की सैंपल रिपोर्ट पहले नेगेटिव अब आई पॉजिटिव, बढ़ी चिंता

यूपी और उत्तराखंड की सीमा से सटे इस गांव के लोगों की परेशानी के बारे में जैसे ही ईटीवी भारत को पता चला तो टीम तुरंत मौके पर जाकर इन का दर्द समझने की कोशिश की. जैसे ही टीम मौके पर पहुंची तो यहां के हालात देखकर हमारी आंखों से भी आंसू छलक उठे. यहां मौजूद बड़े, छोटे, बुजुर्ग सभी इस आस में सरकारी अमले की राह देख रहे थे कि कब इन तक सरकारी मदद पहुंचेगी. जैसे ही ईटीवी भारत की टीम ने यहां के लोगों से बात की तो इनका दर्द छलक आया. लोगों ने बताया पिछले तीन दिनों से गांव में कुछ भी खाने के लिए नहीं हैं. वे लोग जैसे कैसे जी रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये सभी लोग अपना पेट भरने के लिए सुबह और शाम सूखे हुए पत्तों को उबालकर खा रहे हैं.

पढ़ें- कांग्रेस ने राज्य सरकार पर साधा निशाना, 31 मार्च को छूट वापसी के फैसले को बताया गलत

इन लोगों ने बताया कि पालतू पशु इनके जीवन का जरिया हैं, मगर उनके लिए भी यहां कुछ नहीं बचा है. जिसके कारण उनकी परेशानियां और बढ़ गई है. गुर्जरों के इस पूरे गांव में एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों की तादाद में लोग रहते हैं. जिसे देखते हुए ईटीवी भारत ने पहल करते हुए कुछ समाजसेवियों की मदद से इन गांव तक खाने पीने का सामान पहुंचाया. जिसमें राहुल नाम के सख्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राहुल देहरादून की एक फार्मा कंंपनी में काम करते हैं और ऐसे ही जरुरतमंद लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. ईटीवी भारत और राहुल के प्रयास से यहां के कुछ परिवारों के लिए खाने का तो जुगाड़ हो गया मगर फिर भी यहां कई ऐसे परिवार बच गये जिन्हें अभी भी खाने की दरकार है.

पढ़ें- सहस्त्रधारा में कोरोना को हराने के लिए स्थानीय लोगों की पहल, बेरिकेडिंग लगाकर कर रहे ड्यूटी

यहां से निकलने के बाद टीम ने सहारनपुर जिले के जिलाधिकारी अखिलेश कुमार से संपर्क किया और उन्हें इस गांव के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद उन्हें तुरंत अधिकारियों को यहां राहत सामग्री पहुंचाने का आदेश जारी किया.

गुर्जर परिवारों को राहत देने के लिए ईटीवी भारत की पहल पर जिलाधिकारी ने भले ही राहत सामग्री पहुंचाने का आदेश तो दे दिया है मगर ऐसे में देखना ये होगा कि यह आदेश कब तक अमल में लाया जाता है.

बहरहाल हमारी कोशिश यही है कि कठिन परिस्थितियों में रह रहे लोगों को किसी तरह से सरकारी राहत पहुंच जाए, क्योंकि ये सभी लोग शहर से कोसों दूर बैठे हैं जिनकी आवाज न तो सरकार तक पहुंचती है और न ही शासन तक.

Last Updated : Mar 30, 2020, 11:46 PM IST
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