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Independence Day 2021: जानिए भारतीय तिरंगे के धर्म चक्र और 24 तीलियों का अर्थ

प्रत्‍येक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है. यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है. हमारा तिरंगा भी हमें गर्व से भर देता है. भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं. सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी. सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है. आज हम आपको इस चक्र के बारे में बताएंगे.

24 sticks of Dharma Chakra
तिरंगे की 24 तीलियां
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Published : Aug 15, 2021, 9:06 AM IST

देहरादून: हमारे प्यारे तिरंगे पर जो चक्र है, यह अशोक के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है. इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है.

आइये अब अशोक चक्र में दी गयी सभी तीलियों का मतलब (चक्र के क्रमानुसार) जानते हैं.

पहली तीली- ये संयम का प्रतीक है. ये तीली हमें संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है. दूसरी तीली- ये आरोग्य का प्रतीक है. यानी ये तीली हमें निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है.

तीसरी तीली- ये तीली शांति का प्रतीक है. तीसरी तीली हमें देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह देती है. चौथी तीली- ये त्याग का प्रतीक है. चौथी तीली हमें देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास करने की प्रेरणा देती है.

पांचवीं तीली- ये शील का प्रतीक है. पांचवीं तीली व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा देती है. छठवीं तीली- ये सेवा का प्रतीक है. ये तीली देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा देती है.

सातवीं तीली- ये तीली क्षमा का प्रतीक है. ये मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना जगाती है. आठवीं तीली- ये प्रेम का प्रतीक है. देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना जगाना इसका काम है.

नौवीं तीली- ये मैत्री का प्रतीक है. इसका मकसद समाज में मैत्री की भावना प्रसारित करना है. दसवीं तीली- ये बन्धुत्व का प्रतीक है. देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य है. वैसे भी हमारी संस्कृति विश्व बंधुत्व को सपोर्ट करती है.

ग्यारहवीं तीली- ये संगठन का प्रतीक है. इसका अर्थ है राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना. बारहवीं तीली- ये तीली कल्याण का प्रतीक है. देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना इसका उद्देश्य है.

तेरहवीं तीली- ये तीली समृद्धि का प्रतीक है. देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देने की प्रेरणा इससे लेनी है. चौदहवीं तीली- ये तीली उद्योग का प्रतीक है. इसका मकसद देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना है.

पंद्रहवीं तीली- ये तीली सुरक्षा का प्रतीक है. देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहने के लिए ये तीली प्रेरित करती है. सोलहवीं तीली- ये तीली नियम का प्रतीक है. निजी जिंदगी में नियम-संयम से बर्ताव करना सोलहवीं तीली सिखाती है.

सत्रहवीं तीली- ये तीली समता का प्रतीक है. समता मूलक समाज की स्थापना करना इसका उद्देश्य है. वैसे भी हमारे देश में समान न्याय, समान अवसर का कानून है. अठारहवीं तीली- ये अर्थ का प्रतीक है. धन का सदुपयोग करना 18वीं तीली सिखाती है.

उन्नीसवीं तीली- ये तीली नीति का प्रतीक है. देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना इसका उद्देश्य है. बीसवीं तीली- ये न्याय का प्रतीक है. सभी के लिए न्याय की बात करना ये तीली बताती है.

इक्कीसवीं तीली- ये सहकार्य का प्रतीक है. आपस में मिलजुल कार्य करना ये सिखाना इसका उद्देश्य है. बाईसवीं तीली- ये कर्तव्य का प्रतीक है. अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना इस तीली से सीखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें: Positive भारत Podcast : हौसले और हिम्मत से पूरी दुनिया में भारत का तिरंगा लहराया

तेईसवीं तीली- ये अधिकार का प्रतीक है. इससे अधिकारों का दुरुपयोग न करना सीखा जा सकता है. चौबीसवीं तीली- ये तीली बुद्धिमत्ता का प्रतीक है. देश की समृद्धि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना ये तीली सिखाती है.

इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ स्तूप से लिया गया है. इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है.

देहरादून: हमारे प्यारे तिरंगे पर जो चक्र है, यह अशोक के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है. इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है.

आइये अब अशोक चक्र में दी गयी सभी तीलियों का मतलब (चक्र के क्रमानुसार) जानते हैं.

पहली तीली- ये संयम का प्रतीक है. ये तीली हमें संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है. दूसरी तीली- ये आरोग्य का प्रतीक है. यानी ये तीली हमें निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है.

तीसरी तीली- ये तीली शांति का प्रतीक है. तीसरी तीली हमें देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह देती है. चौथी तीली- ये त्याग का प्रतीक है. चौथी तीली हमें देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास करने की प्रेरणा देती है.

पांचवीं तीली- ये शील का प्रतीक है. पांचवीं तीली व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा देती है. छठवीं तीली- ये सेवा का प्रतीक है. ये तीली देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा देती है.

सातवीं तीली- ये तीली क्षमा का प्रतीक है. ये मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना जगाती है. आठवीं तीली- ये प्रेम का प्रतीक है. देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना जगाना इसका काम है.

नौवीं तीली- ये मैत्री का प्रतीक है. इसका मकसद समाज में मैत्री की भावना प्रसारित करना है. दसवीं तीली- ये बन्धुत्व का प्रतीक है. देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य है. वैसे भी हमारी संस्कृति विश्व बंधुत्व को सपोर्ट करती है.

ग्यारहवीं तीली- ये संगठन का प्रतीक है. इसका अर्थ है राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना. बारहवीं तीली- ये तीली कल्याण का प्रतीक है. देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना इसका उद्देश्य है.

तेरहवीं तीली- ये तीली समृद्धि का प्रतीक है. देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देने की प्रेरणा इससे लेनी है. चौदहवीं तीली- ये तीली उद्योग का प्रतीक है. इसका मकसद देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना है.

पंद्रहवीं तीली- ये तीली सुरक्षा का प्रतीक है. देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहने के लिए ये तीली प्रेरित करती है. सोलहवीं तीली- ये तीली नियम का प्रतीक है. निजी जिंदगी में नियम-संयम से बर्ताव करना सोलहवीं तीली सिखाती है.

सत्रहवीं तीली- ये तीली समता का प्रतीक है. समता मूलक समाज की स्थापना करना इसका उद्देश्य है. वैसे भी हमारे देश में समान न्याय, समान अवसर का कानून है. अठारहवीं तीली- ये अर्थ का प्रतीक है. धन का सदुपयोग करना 18वीं तीली सिखाती है.

उन्नीसवीं तीली- ये तीली नीति का प्रतीक है. देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना इसका उद्देश्य है. बीसवीं तीली- ये न्याय का प्रतीक है. सभी के लिए न्याय की बात करना ये तीली बताती है.

इक्कीसवीं तीली- ये सहकार्य का प्रतीक है. आपस में मिलजुल कार्य करना ये सिखाना इसका उद्देश्य है. बाईसवीं तीली- ये कर्तव्य का प्रतीक है. अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना इस तीली से सीखा जा सकता है.

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तेईसवीं तीली- ये अधिकार का प्रतीक है. इससे अधिकारों का दुरुपयोग न करना सीखा जा सकता है. चौबीसवीं तीली- ये तीली बुद्धिमत्ता का प्रतीक है. देश की समृद्धि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना ये तीली सिखाती है.

इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ स्तूप से लिया गया है. इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है.

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