देहरादून: 16वीं शताब्दी में जन्मे श्री गुरु राम राय की याद में हर साल राजधानी देहरादून में ऐतिहासिक झंडा जी मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें हिस्सा लेने के लिए देश के अलग-अलग कोनों से लोग यहां पहुंचते हैं. शुक्रवार को राजधानी में इस ऐतिहासिक झंडा जी मेले का आगाज हो गया है. झंडा जी आरोहण खंडित होने के बावजूद भी आपार जनसैलाब के बीच पूरे विधि-विधान और हर्षोल्लास के झंडा चढ़ाया गया.
झंडाजी आरोहण होते यहां अटूट धार्मिक आस्था रखने वाले देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं ने माथा टेककर मनौतियां मांगी. झंडा जी मेला एक महीने तक चलता है. परंपरा के मुताबिक श्री गुरु राम राय के प्रति बेहद आस्था रखने वाले श्रद्धालु झंडा जी साहिब में माथा टेकना अपना सौभाग्य समझते हैं. झंडा जी में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं के बीच पहुंचकर ईटीवी भारत ने इसकी महता को समझने का प्रयास किया.
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शहर का नाम डेरादून से हुआ देहरादून
कहा जाता है कि श्री गुरु राम राय जी के डेरा डालने से ही देहरादून का नाम पड़ा. ऐसी मान्यता है कि श्री गुरु राम राय जी ने 1676 ईसवीं में किरतपुर(पंजाब) से आकर दून घाटी नगर में अपना डेरा झंडाजी वाले स्थल पर जमाया था. तभी से इस शहर का नाम डेरादून पड़ा, जो बदलते दौर के साथ देहरादून हो गया.
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श्री गुरु राम राय जी के जन्मदिवस के मौके पर हर साल झंडा आरोहण किया जाता है. पिछले 344 सालों से लगातार बदस्तूर ये मेला चला आ रहा है. हर साल महीने भर चलने वाले इस मेले में दूर-दूर से पहुंचकर श्रद्धालु अपना जीवन धन्य करते हैं.
करोना वायरस पर भारी झंडा जी आस्था
कई सालों की तुलना में इस बार देहरादून का मौसम बारिश से भीगा रहा, यहां बादलों की अटखेलियों के साथ ही सर्द मौसम श्रद्धालुओं के लिए चुनौती बना रहा. बावजूद इसके झंडा जी मेले में पहुचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई. बात अगर कोरोना वायरस की करें तो इसे लेकर मेले में विशेष इंतजामात किये गये हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो बारिश, ठंड और कोरोना का असर यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं पर बेअसर रहा.