देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल का बुधवार को निधन हो गया है. साल 2003 से 2007 तक सुदर्शन अग्रवाल ने उत्तराखंड में बतौर राज्यपाल जिम्मेदारी संभाली थी. स्व.अग्रवाल उत्तराखंड के दूसरे राज्यपाल थे. स्वर्गीय अग्रवाल के निधन पर उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गहरा दुख व्यक्त किया है. स्व. अग्रवाल के निधन पर उत्तराखंड सरकार ने 4 जुलाई को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है.
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अभी दुःखद ख़बर मिली है कि संविधान मर्मज्ञ व हमारे पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवालजी ब्रह्मलीन हो गये हैं।
— Kishore Upadhyay (@KupadhyayINC) July 3, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/WkqLT0F3ZC
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मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/WkqLT0F3ZCअभी दुःखद ख़बर मिली है कि संविधान मर्मज्ञ व हमारे पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवालजी ब्रह्मलीन हो गये हैं।
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उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल श्री सुदर्शन अग्रवाल जी के निधन की खबर से आहत हूं। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को शांति व शोकाकुल परिजनों को संबल प्रदान करें। राज्यपाल के रूप में अग्रवाल जी ने संवैधानिक कर्तव्यों का पूर्ण जिम्मेदारी से निर्वहन किया।
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) July 3, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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स्व. अग्रवाल कुशल प्रशासक, जाने-माने विधिवेता और समाजसेवी भी थे. उत्तराखंड में राज्यपाल रहते हुए उन्होंने अपने सरल स्वभाव के चलते लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बनाई थी. स्व. अग्रवाल उत्तराखंड के साथ-साथ सिक्किम के भी राज्यपाल रह चुके हैं. साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के भी सदस्य रहे हैं. स्व. अग्रवाल पंजाब के लुधियाना से ताल्लुक रखते थे.
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उन्होंने गरीब बालिकाओं की मुफ्त शिक्षा के लिए उन्होंने देहरादून में हिम ज्योति स्कूल की शुरुआत की थी. सुदर्शन अग्रवाल के निधन के बाद उत्तराखंड सरकार ने 4 जुलाई को राजकीय शोक रखने की घोषणा की है. सुदर्शन अग्रवाल यूं तो कई अहम पदों पर रहे, लेकिन उनका समाजसेवी चेहरा आम लोगों की नजरों में सबसे ज्यादा प्रभावी रहा है. उनका सरल स्वभाव और सामाजिक समस्याओं को लेकर उनकी चिंता उत्तराखंड वासियों की यादों में हमेशा बनी रहेगी.