देहरादून: उत्तराखंड के सियासी गलियारों में पंचायत चुनाव को लेकर चर्चाएं गर्म हैं. प्रशासनिक अमला भी पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटा है. वहीं बात अगर राज्य के दोनों प्रमुख दलों की करें तो वो अभी से पंचायत चुनावों में जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन परिसीमन, आरक्षण और नए एक्ट की तकनीकी समस्याएं सरकार के सामने परेशानी खड़ी कर सकती हैं. सूत्रों की मानें तो सरकार पंचायत चुनाव और अधिसूचना की तारीखें बढ़ा सकती है.
प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा हो या कांग्रेस दोनों दलों में बैठकों का दौर युद्ध स्तर पर जारी है. इन्हीं बैठकों के जरिए दोनों सियासी दल पंचायत चुनाव में जीत की रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी का पूरा फोकस सरकार की योजनाओं को जनता के बीच ले जाने पर है. उन्होंने कहा कि वे कार्यकर्ताओं को जरिए आम लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम करेंगे. अजय भट्ट ने कहा कि आज के समय में लोगों का भरोसा उनकी पार्टी की तरफ बढ़ा है. पंचायत चुनावों में जीत की बात कहते हुए भट्ट ने कहा कि इस बार वे बड़े अंतर से जीतेंगे.
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वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी पंचायत चुनाव में जीत को लेकर दावा करने से पीछे नहीं हट रही है. कांग्रेस प्रवक्ता आरपी रतूड़ी का कहना है कि कांग्रेस पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तरह से गंभीर है. उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने जिलों में प्रभारियों का गठन कर दिया है. साथ ही सभी को चुनाव को लेकर निर्देशित कर दिया गया है. आरपी रतूड़ी का कहना है कि बैलेट पेपर से होने वाले चुनाव के बूते ही कांग्रेस ने निकाय चुनाव में जीत दर्ज की थी. उन्होंने कहा कि अगर पंचायत चुनाव भी बैलेट पेपर से होते हैं तो निश्चित ही इससे परिणाम निष्पक्ष होंगे, जो कि कांग्रेस के लिए बेहतर होंगे.
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वहीं बात अगर प्रशासनिक अमले की करें तो निर्वाचन आयोग भी पंचायत चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों में जुटा है. हालांकि तकनीकी स्तर पर अभी काफी तैयारियां बाकी हैं. राज्य निर्वाचन अधिकारी चंद्रशेखर भट्ट का कहना है कि पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां पूरी कर दी गई हैं. सभी जिलों में मतपत्र के साथ ही निर्वाचन सामग्री भेजी जा चुकी है, मतदाता सूची भी तैयार की जा चुकी है.
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चंद्रशेखर भट्ट का कहना है कि जैसे ही सरकार से आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है उसके बाद ही अधिसूचना जारी हो जाएगी. भट्ट ने कहा इन सबके बीच एक पेंच परिसीमन और आरक्षण का भी है. उन्होंने कहा कि ये सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है. जिससे कि इतनी जल्दी निजात मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. जिसके चलते सरकार पंचायत चुनाव की तारीखें बदल कर थोड़ा और समय ले सकती है.