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नए बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन का बैंगलुरू एयरपोर्ट पर हुआ जोरदार स्वागत, विमल कुमार ने पहनाई माला - kidambi srikanth

20 साल के लक्ष्य सेन जब स्पेन में आयोजित बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट का ब्रॉन्ज मेडल जीतकर स्वदेश लौटे तो उनका भव्य स्वागत हुआ. बैंगलुरू एयरपोर्ट पर विमल कुमार ने खुद देश के नए बैडमिंटन स्टार का स्वागत किया.

Lakshya Sen received a warm welcome
भारत पहुंचे लक्ष्य सेन
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Published : Dec 22, 2021, 5:21 PM IST

Updated : Dec 22, 2021, 6:46 PM IST

देहरादून/बैंगलुरू: लक्ष्य सेन जब बैंगलुरू एयरपोर्ट पर उतरे तो खेल प्रेमी उनका स्वागत करने के लिए उमड़ पड़े. देश के लिए सबसे कम उम्र में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट का कांस्य पदक लाने वाले लक्ष्य सेन को देखने और बधाई देने के लिए लोग उत्सुक दिखाई दिए. लोगों ने लक्ष्य सेन के साथ सेल्फी लेने की होड़ भी लगा दी. स्पेन से खेल में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लौटे लक्ष्य सेन बस मुस्कुराते हुए खेल प्रेमियों के साथ सेल्फी खिंचवाते रहे.

लक्ष्य सेन के कोच प्रकाश पादुकोण अपने शिष्य की अंतरराष्ट्रीय सफलता से बहुत खुश हैं. आखिर प्रकाश पादुकोण को लक्ष्य सेन की इस उपलब्धि पर गर्व भी क्यों नहीं होता, वो खुद भी 1983 में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट से पदक लेकर लौटे थे.

भारत पहुंचने पर लक्ष्य सेन का जोरदार स्वागत

लक्ष्य सेन बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले भारत के सबसे युवा पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी बने हैं. लक्ष्य ने क्वार्टरफाइनल में एक रोमांचक मैच में चीन के जुन पेंग झाओ को 21-15, 15-21, 22-20 से हरा दिया था. हालांकि लक्ष्य सेन सेमीफाइनल में हमवतन किदांबी श्रीकांत से हार गए थे. लेकिन वो देश के सबसे कम उम्र में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट का मेडल जीतने वाले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए.

Lakshya Sen received a warm welcome
भारत पहुंचे लक्ष्य सेन

पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचे थे लक्ष्य

किदांबी श्रीकांत के बाद लक्ष्य भी पहली बार इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचे थे. लक्ष्य यह कारनामा करने वाले चौथे भारतीय पुरुष खिलाड़ी हैं. इससे पहले प्रकाश पादुकोण ने 1983, बी साई प्रणीत ने 2019 और श्रीकांत ने इसी साल यह कारनामा किया.

उत्तराखंड के हैं लक्ष्य सेन, अल्मोड़ा है जन्मस्थली

भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन उत्तराखंड के हैं. लक्ष्य का जन्म अल्मोड़ा में हुआ. बंगलौर में इन्पायर्ड इंडियन फेडरेशन के समारोह में लक्ष्य को शानदार प्रदर्शन के लिए यूथ आईकॉन ऑफ द ईयर का सम्मान भी दिया गया है. लक्ष्य के पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं. मां निर्मला धीरेन सेन ने भी बेटों के खेल और उनकी सफलता की लिए बहुत कुर्बानी दी है. लक्ष्य के बड़े भाई चिराग सेन भी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.

ये भी पढ़ें: विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में लक्ष्य ने हासिल किया ब्रॉन्ज मेडल, ETV भारत के साथ शेयर की खुशी

क्या उत्तराखंड सरकार करेगी प्रोत्साहित

लक्ष्य सेन कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में प्रकाश पादुकोण की अकादमी में ट्रेनिंग लेते हैं. उत्तराखंड के अनेक खिलाड़ी वहां प्रशिक्षण लेते हैं. उम्मीद है इस शानदार प्रदर्शन के बाद उत्तराखंड सरकार भी बैडमिंटन को लेकर जागरूक होगी. सरकार अगर हैदराबाद की गोपींचद अकादमी और बैंगलुरू की प्रकाश पादुकोण अकादमी जैसी सुविधाएं यहां खड़ी कर दे तो देश और लक्ष्य सेन की तरह और भी बड़े बैडमिंटन सितारे मिल सकते हैं.बैडमिंटन के जानकारों का कहना है कि मुख्य समस्या अकादमी के लिए जमीन मिलने और इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में आती है. उत्तराखंड की वर्तमान धामी सरकार लक्ष्य सेन और उनके जैसे उत्तराखंड के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और डीके सेन जैसे कोच से अनुभव लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की अकादमी खोल सकती है, जिससे उत्तराखंड के नौनिहालों को ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद या बैंगलुरू न जाना पड़े.

देहरादून/बैंगलुरू: लक्ष्य सेन जब बैंगलुरू एयरपोर्ट पर उतरे तो खेल प्रेमी उनका स्वागत करने के लिए उमड़ पड़े. देश के लिए सबसे कम उम्र में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट का कांस्य पदक लाने वाले लक्ष्य सेन को देखने और बधाई देने के लिए लोग उत्सुक दिखाई दिए. लोगों ने लक्ष्य सेन के साथ सेल्फी लेने की होड़ भी लगा दी. स्पेन से खेल में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लौटे लक्ष्य सेन बस मुस्कुराते हुए खेल प्रेमियों के साथ सेल्फी खिंचवाते रहे.

लक्ष्य सेन के कोच प्रकाश पादुकोण अपने शिष्य की अंतरराष्ट्रीय सफलता से बहुत खुश हैं. आखिर प्रकाश पादुकोण को लक्ष्य सेन की इस उपलब्धि पर गर्व भी क्यों नहीं होता, वो खुद भी 1983 में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट से पदक लेकर लौटे थे.

भारत पहुंचने पर लक्ष्य सेन का जोरदार स्वागत

लक्ष्य सेन बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले भारत के सबसे युवा पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी बने हैं. लक्ष्य ने क्वार्टरफाइनल में एक रोमांचक मैच में चीन के जुन पेंग झाओ को 21-15, 15-21, 22-20 से हरा दिया था. हालांकि लक्ष्य सेन सेमीफाइनल में हमवतन किदांबी श्रीकांत से हार गए थे. लेकिन वो देश के सबसे कम उम्र में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट का मेडल जीतने वाले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए.

Lakshya Sen received a warm welcome
भारत पहुंचे लक्ष्य सेन

पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचे थे लक्ष्य

किदांबी श्रीकांत के बाद लक्ष्य भी पहली बार इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचे थे. लक्ष्य यह कारनामा करने वाले चौथे भारतीय पुरुष खिलाड़ी हैं. इससे पहले प्रकाश पादुकोण ने 1983, बी साई प्रणीत ने 2019 और श्रीकांत ने इसी साल यह कारनामा किया.

उत्तराखंड के हैं लक्ष्य सेन, अल्मोड़ा है जन्मस्थली

भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन उत्तराखंड के हैं. लक्ष्य का जन्म अल्मोड़ा में हुआ. बंगलौर में इन्पायर्ड इंडियन फेडरेशन के समारोह में लक्ष्य को शानदार प्रदर्शन के लिए यूथ आईकॉन ऑफ द ईयर का सम्मान भी दिया गया है. लक्ष्य के पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं. मां निर्मला धीरेन सेन ने भी बेटों के खेल और उनकी सफलता की लिए बहुत कुर्बानी दी है. लक्ष्य के बड़े भाई चिराग सेन भी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.

ये भी पढ़ें: विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में लक्ष्य ने हासिल किया ब्रॉन्ज मेडल, ETV भारत के साथ शेयर की खुशी

क्या उत्तराखंड सरकार करेगी प्रोत्साहित

लक्ष्य सेन कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में प्रकाश पादुकोण की अकादमी में ट्रेनिंग लेते हैं. उत्तराखंड के अनेक खिलाड़ी वहां प्रशिक्षण लेते हैं. उम्मीद है इस शानदार प्रदर्शन के बाद उत्तराखंड सरकार भी बैडमिंटन को लेकर जागरूक होगी. सरकार अगर हैदराबाद की गोपींचद अकादमी और बैंगलुरू की प्रकाश पादुकोण अकादमी जैसी सुविधाएं यहां खड़ी कर दे तो देश और लक्ष्य सेन की तरह और भी बड़े बैडमिंटन सितारे मिल सकते हैं.बैडमिंटन के जानकारों का कहना है कि मुख्य समस्या अकादमी के लिए जमीन मिलने और इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में आती है. उत्तराखंड की वर्तमान धामी सरकार लक्ष्य सेन और उनके जैसे उत्तराखंड के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और डीके सेन जैसे कोच से अनुभव लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की अकादमी खोल सकती है, जिससे उत्तराखंड के नौनिहालों को ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद या बैंगलुरू न जाना पड़े.

Last Updated : Dec 22, 2021, 6:46 PM IST
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