देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर हर सीट पर राजनीतिक दल अपनी जीत के समीकरणों को तैयार कर रहे हैं, मगर इस बार भाजपा पुरोला विधानसभा सीट (Purola assembly) में अपनी ही रणनीति के कारण घिरती हुई दिखाई दे रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह इस सीट पर भाजपा के नेताओं की संभावित बगावत को माना जा रहा है. यही नहीं इस सीट पर लोगों की विधायक को बदलने की प्रवृत्ति भी भाजपा के खिलाफ जाती हुई दिखाई दे रही है.
उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में से एक पुरोला विधानसभा (Purola assembly) राजनीतिक रूप से बड़े दंगल का मैदान बनी हुई है. इस सीट पर हाल ही में राजनीतिक दलबदल की राजनीति हावी रही. इसके बाद बदले हुए समीकरण भाजपा में बगावत की स्थिति को पैदा कर गए हैं. बता दें साल 2017 में कांग्रेस के राजकुमार (Rajkumar) ने जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2022 के चुनाव आते-आते राजकुमार ने पाला बदल दिया. जिसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए.
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राजकुमार (Rajkumar) इससे पहले सहसपुर से भाजपा के विधायक थे. बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था. अब फिर से भाजपा में राजकुमार की वापसी हो गई. इसके बाद समीकरण काफी बदल गए हैं. भाजपा से इस सीट पर विधायक का चुनाव मालचंद लड़ते आये हैं. कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेश जुवांठा भी पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे. इस तरह पुरोला सीट पर फिलहाल टिकट के दावेदार के रूप में भाजपा में 3 बड़े चेहरे हो गए हैं. पहला कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राजकुमार, दूसरा पूर्व विधायक मालचंद और तीसरा राजेश जुवांठा.
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राजकुमार के भाजपा में आने से बढ़ी तकरार: उत्तरकाशी जिले की पुरोला विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर भाजपा में अब तकरार की स्थिति बन गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी में कांग्रेस विधायक राजकुमार के भाजपा में शामिल होने के बाद यह तय है कि भाजपा राजकुमार को ही आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने जा रही है.
उधर भाजपा में पूर्व विधायक मालचंद पहले से ही इस सीट पर दावेदार थे, जबकि कांग्रेस से भाजपा में आने वाले राजेश जुवांठा भी बड़े दावेदार हैं. यह तीनों ही इस विधानसभा सीट पर विधायक रह चुके हैं. मालचंद तो इस सीट पर दो बार विधायक रहे हैं. ऐसे में राजकुमार के भाजपा में आने से राजनीतिक समीकरणों का बिगड़ना तय है.
वहीं, इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के नेता कहते हैं कि प्रदेश में टिकट किसे दिया जाएगा, यह भाजपा का पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करता है. अभी किसी का भी टिकट फाइनल नहीं हुआ है. लिहाजा चुनाव को लेकर स्थितियां कैसी रहेंगी, इसका फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व करेगा.
पुरोला में अब तक रहे राजनीतिक समीकरण
- पुरोला विधानसभा में राजनीतिक समीकरण काफी दिलचस्प रहे हैं. इस सीट पर जिस पार्टी की सरकार रही है, उसका राज्य स्थापना के बाद से अब तक कोई भी विधायक नहीं रहा है. यानी प्रदेश में सरकार बनाने के साथ यह विधानसभा नहीं दिखी है.
- पहले 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के माल चंद ने 41% वोट पाकर कांग्रेस की शांति जुवांठा को चुनाव हराया. शांति को 32% वोट मिल थे.
- साल 2007 में शांति जुवांठा के बेटे राजेश जुवांठा ने कांग्रेस से ताल ठोकी और निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने वाले मालचंद को चुनाव हराया. राजेश को 37% तो मालचंद को 36% वोट पड़े.
- 2012 में मालचंद भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने 40% वोट पाकर निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार को चुनाव हरा दिया. राजकुमार को 31% वोट पड़े थे.
- उसके बाद 2017 में राजकुमार ने कांग्रेस ज्वाइन की. उन्होंने 35.93% वोट पाकर भाजपा के मालचंद को चुनाव हराया. मालचंद को 33.89% वोट पड़े थे.
कांग्रेस ने इस सीट पर खेला नया दांव: उत्तराखंड कांग्रेस ने इस सीट पर एक बड़ा दांव खेला है. दरअसल 2017 में निर्दलीय रूप से इस सीट पर चुनाव लड़ने वाले दुर्गेश्वर लाल को पार्टी में शामिल कराया. दुर्गेश्वर लाल को 2017 में 27.27% वोट मिले थे. उन्होंने तब बीजेपी-कांग्रेस को बड़ी टक्कर दी थी.
इस मामले में कांग्रेस के नेता कहते हैं कि भाजपा ने जिस तरह दलबदल करवाया है, वह भाजपा के लिए ही नुकसान साबित होगा. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पृथ्वी पाल कहते हैं कि भाजपा ने किस रणनीति के तहत कांग्रेस के राजकुमार को भाजपा में लिया वह समझ से परे है. उन्हें लगता है कि अब भाजपा में बगावत होना तय है. इससे कांग्रेस की जीत भी निश्चित हो गई है.