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दावानल से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर, बढ़ रही अस्थमा के मरीजों की संख्या

अल्मोड़ा के जंगल लगातार आग से धधक रहे हैं. जंगलों में लगी आग से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. धुंए से लोगों की आंखों में जलन के साथ ही दमा और खांसी के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है.

जंगल की आग
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Published : May 31, 2019, 5:24 PM IST

अल्मोड़ाः जिला समेत आसपास के जंगलों में कई दिनों से आग लगी हुई है. आग से अब तक सैकड़ों हेक्टेअर वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. आग के कारण निकले धुएं से चारों तरफ धुंध ही धुंध देखने को मिल रही है. जहां दावानल से पर्यावरण और वन्य जीवों पर संकट गहरा रहा है. वहीं, लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है.

जंगलों की आग से दमा और खांसी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

अल्मोड़ा के जंगल लगातार आग से धधक रहे हैं. फायर सीजन शुरू होते ही जिले में अब तक 310 आग की घटनाएं हो चुकी हैं. जिससे यहां करीब 500 हेक्टेअर वन क्षेत्र स्वाहा हो चुका है.
जिस कारण अल्मोड़ा के चारों तरफ इन दिनों धुंध ही धुंध छाई हुई है. जिसके चलते तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. धुंध और गर्मी के चलते जहां दिन के समय लोगों का बाजार में निकलना मुश्किल हो गया है. वहीं, जंगलों में लगी आग से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

धुंए से लोगों की आंखों में जलन के साथ ही दमा और खांसी के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. डॉक्टरों का कहना है कि सास और दमा के मरीजों को सावधानियां बरतनी चाहिए. आग के कारण धुंध से खासकर बच्चों व बुजुर्गों को सांस व त्वचा संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंः चमोली: गहरी खाई में गिरी कार, एक की मौत दूसरे की तलाश जारी

जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक आर सी पंत का कहना है आग के धुएं से सांस, दमा, समेत त्वचा की एलर्जी के मरीजों की संख्या में इन दिनों काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. ऐसे में सांस और दमा के मरीजों को काफी सावधानी बरतने की जरूरत है.

साथ ही आग से प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोग अपने घरों को पूरा बंद करके ना सोयें रात को खिड़की खुली रहने दें. क्योंकि बंद घर में घुसे धुंए में कार्बन मोनोऑक्साइड बन जाता है. जो स्वास्थ्य के लिए घातक होता है.

अल्मोड़ाः जिला समेत आसपास के जंगलों में कई दिनों से आग लगी हुई है. आग से अब तक सैकड़ों हेक्टेअर वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. आग के कारण निकले धुएं से चारों तरफ धुंध ही धुंध देखने को मिल रही है. जहां दावानल से पर्यावरण और वन्य जीवों पर संकट गहरा रहा है. वहीं, लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है.

जंगलों की आग से दमा और खांसी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

अल्मोड़ा के जंगल लगातार आग से धधक रहे हैं. फायर सीजन शुरू होते ही जिले में अब तक 310 आग की घटनाएं हो चुकी हैं. जिससे यहां करीब 500 हेक्टेअर वन क्षेत्र स्वाहा हो चुका है.
जिस कारण अल्मोड़ा के चारों तरफ इन दिनों धुंध ही धुंध छाई हुई है. जिसके चलते तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. धुंध और गर्मी के चलते जहां दिन के समय लोगों का बाजार में निकलना मुश्किल हो गया है. वहीं, जंगलों में लगी आग से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

धुंए से लोगों की आंखों में जलन के साथ ही दमा और खांसी के मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. डॉक्टरों का कहना है कि सास और दमा के मरीजों को सावधानियां बरतनी चाहिए. आग के कारण धुंध से खासकर बच्चों व बुजुर्गों को सांस व त्वचा संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंः चमोली: गहरी खाई में गिरी कार, एक की मौत दूसरे की तलाश जारी

जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक आर सी पंत का कहना है आग के धुएं से सांस, दमा, समेत त्वचा की एलर्जी के मरीजों की संख्या में इन दिनों काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. ऐसे में सांस और दमा के मरीजों को काफी सावधानी बरतने की जरूरत है.

साथ ही आग से प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोग अपने घरों को पूरा बंद करके ना सोयें रात को खिड़की खुली रहने दें. क्योंकि बंद घर में घुसे धुंए में कार्बन मोनोऑक्साइड बन जाता है. जो स्वास्थ्य के लिए घातक होता है.

Intro:अल्मोड़ा जिला समेत आसपास के जंगलों में इन दिनों कई दिनों से आग लगी हुई । आग से अब तक सैकड़ो हेक्टेअर वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है। आग के कारण निकले धुंए से चारो तरफ धुंध ही धुंध देखने को मिल रही है। जंगल की आग से जहाँ पर्यावरण और जंगली जीवो, पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है वही इंसानों के स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है।


Body:अल्मोड़ा के जंगल लगातार आग से धधक रहे है । जिस कारण अल्मोड़ा के चारों तरफ इन दिनों धुंध छाई हुई है । जिसके चलते तापमान में भी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है । धुंध और गर्मी के चलते जहाँ दिन के समय लोगों का बाजार में निकलना मुश्किल हो गया वही जंगलों में लगी आग से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जंगलों में आग के कारण वातावरण में छायी धुंध से आंखों में जलन, दमा, खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है ।डॉक्टरों का कहना है कि सास और दमा के मरीजों को सावधानियां बरतनी चाहिए। आग के कारण धुंध से खासकर बच्चों व बुजुर्गों को सांस व त्वचा संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक आर .सी पंत का कहना है आग के धुएं से सांस दमा समेत त्वचा की एलर्जी के मरीजो की संख्या में इन दिनों काफी इजाफा देखने को मिल रहा है वह कहते है कि सांस और दमा के मरीजो को काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। साथ कि आग से प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोग अपने घरों को पूरा बंद करके ना सोये रात को खिड़की खुली रहने दे क्योंकि बंद घर मे घुसे धुंए में कार्बन मोनोऑक्साइड बन जाता है जो स्वास्थ्य के लिए घातक होता है।

अल्मोड़ा में फ़ायर सीजन शुरू होने के बाद 310 आग की घटनाये हो चुकी है जिससे यहां जिले में 500 हेक्टेअर वन क्षेत्र स्वाहा हो चुका है।

बाइट आर सी पंत ,वरिष्ठ चिकित्सक जिला अस्पताल अल्मोड़ा



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