देहरादून: सूबे में 12 जिलों के त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल जुलाई महीने में समाप्त हो रहा है. जिसके मद्देनजर पंचायती राज महकमा दमखम के साथ पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटा है और उम्मीद जताई जा रही है कि सितंबर माह में चुनाव हो सकते हैं. हालांकि, प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज होने वाली बीजेपी की राज्य सरकार के सामने यह पहला मौका होगा जब वह अपने किये गए कामों के बलबूते चुनाव लड़ेगी. लिहाजा, ये पंचायत चुनाव राज्य सरकार के लिए किसी इम्तिहान से कम नहीं होगा.
बता दें कि साल 2014 के आम चुनाव में सभी प्रदेश में हुए चुनावों में मोदी फैक्टर देखने को मिला था. क्योंकि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर बीजेपी को भारी मतों से जीत मिली था. जिसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी मोदी लहर के चलते प्रदेश में बीजेपी ने 70 में से 57 सीटें हासिल की थी. इसके साथ ही साल 2018 में राज्य के निकाय चुनाव के दौरान भी बीजेपी की नैय्या मोदी के सहारे ही पार लगी और निकाय चुनाव में बीजेपी को अच्छी जीत मिली. ऐसे में 2019 का लोकसभा चुनाव भी मोदी के नाम पर ही लड़ा जा रहा है.
हालांकि, इस साल जुलाई माह में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इसी साल सितम्बर माह में पंचायत चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. जो राज्य सरकार के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है. विधानसभा और निकाय चुनाव जैसी सफलता को दौरान बीजेपी के टेड़ी खीर साबित हो सकती है. क्योंकि पंचायत चुनावों में स्थानीय मुद्दों का ही बोलबाला होता है. ऐसे में राज्य सरकार अपने कामों के बूते ही चुनाव मैदान में उतरेगी. वहीं, यह पंचायत चुनाव सीधे तौर से त्रिवेंद्र सरकार की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा होगा. हालांकि, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी.
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वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार तंज कसते हुए कहा कि 57 विधायकों की प्रचंड बहुमत वाली सरकार जब निकाय चुनाव ही समय पर करवाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई तो पंचायत चुनाव समय पर हों, यह संभव नहीं लगता. धस्माना ने कहा कि पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं. इस समय सभी ग्रामीण क्षेत्रों का हाल बुरा है और विकास की सभी गतिविधियां ठप है, इसलिए कांग्रेस को नहीं लगता है कि सरकार सही समय पर पंचायत चुनाव करा पाएगी और जब चुनाव सही समय पर होते है तो उसका परिणाम बिल्कुल अलग होता है.
जबकि, इस मामले में बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है कि पंचायत चुनाव का अपना एक समय है और जो संवैधानिक व्यवस्था है. उसी को मद्देनजर सूबे में पंचायत चुनाव होंगे. इसलिए लोकसभा चुनाव के नतीजे का संबंध पंचायत चुनाव से नहीं जोड़ा जा सकता. उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी पूरे देश में शानदार प्रदर्शन करेगी और उत्तराखंड में भी पांचों सीटों पर बीजेपी की प्रचंड विजय होगी.