ETV Bharat / briefs

लोकसभा चुनाव नतीजे करेंगे तय, कब होंगे प्रदेश में पंचायती चुनाव - Congress

इस साल जुलाई माह में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इसी साल सितम्बर माह में पंचायत चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. जो राज्य सरकार के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है.

पंचायत चुनाव
author img

By

Published : May 8, 2019, 10:48 PM IST

देहरादून: सूबे में 12 जिलों के त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल जुलाई महीने में समाप्त हो रहा है. जिसके मद्देनजर पंचायती राज महकमा दमखम के साथ पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटा है और उम्मीद जताई जा रही है कि सितंबर माह में चुनाव हो सकते हैं. हालांकि, प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज होने वाली बीजेपी की राज्य सरकार के सामने यह पहला मौका होगा जब वह अपने किये गए कामों के बलबूते चुनाव लड़ेगी. लिहाजा, ये पंचायत चुनाव राज्य सरकार के लिए किसी इम्तिहान से कम नहीं होगा.

कब होगा प्रदेश में पंचायत चुनाव.

बता दें कि साल 2014 के आम चुनाव में सभी प्रदेश में हुए चुनावों में मोदी फैक्टर देखने को मिला था. क्योंकि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर बीजेपी को भारी मतों से जीत मिली था. जिसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी मोदी लहर के चलते प्रदेश में बीजेपी ने 70 में से 57 सीटें हासिल की थी. इसके साथ ही साल 2018 में राज्य के निकाय चुनाव के दौरान भी बीजेपी की नैय्या मोदी के सहारे ही पार लगी और निकाय चुनाव में बीजेपी को अच्छी जीत मिली. ऐसे में 2019 का लोकसभा चुनाव भी मोदी के नाम पर ही लड़ा जा रहा है.

हालांकि, इस साल जुलाई माह में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इसी साल सितम्बर माह में पंचायत चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. जो राज्य सरकार के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है. विधानसभा और निकाय चुनाव जैसी सफलता को दौरान बीजेपी के टेड़ी खीर साबित हो सकती है. क्योंकि पंचायत चुनावों में स्थानीय मुद्दों का ही बोलबाला होता है. ऐसे में राज्य सरकार अपने कामों के बूते ही चुनाव मैदान में उतरेगी. वहीं, यह पंचायत चुनाव सीधे तौर से त्रिवेंद्र सरकार की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा होगा. हालांकि, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी.

पढ़ें- चार धाम की तैयारियों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर कसा तंज

वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार तंज कसते हुए कहा कि 57 विधायकों की प्रचंड बहुमत वाली सरकार जब निकाय चुनाव ही समय पर करवाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई तो पंचायत चुनाव समय पर हों, यह संभव नहीं लगता. धस्माना ने कहा कि पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं. इस समय सभी ग्रामीण क्षेत्रों का हाल बुरा है और विकास की सभी गतिविधियां ठप है, इसलिए कांग्रेस को नहीं लगता है कि सरकार सही समय पर पंचायत चुनाव करा पाएगी और जब चुनाव सही समय पर होते है तो उसका परिणाम बिल्कुल अलग होता है.

जबकि, इस मामले में बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है कि पंचायत चुनाव का अपना एक समय है और जो संवैधानिक व्यवस्था है. उसी को मद्देनजर सूबे में पंचायत चुनाव होंगे. इसलिए लोकसभा चुनाव के नतीजे का संबंध पंचायत चुनाव से नहीं जोड़ा जा सकता. उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी पूरे देश में शानदार प्रदर्शन करेगी और उत्तराखंड में भी पांचों सीटों पर बीजेपी की प्रचंड विजय होगी.

देहरादून: सूबे में 12 जिलों के त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल जुलाई महीने में समाप्त हो रहा है. जिसके मद्देनजर पंचायती राज महकमा दमखम के साथ पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटा है और उम्मीद जताई जा रही है कि सितंबर माह में चुनाव हो सकते हैं. हालांकि, प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज होने वाली बीजेपी की राज्य सरकार के सामने यह पहला मौका होगा जब वह अपने किये गए कामों के बलबूते चुनाव लड़ेगी. लिहाजा, ये पंचायत चुनाव राज्य सरकार के लिए किसी इम्तिहान से कम नहीं होगा.

कब होगा प्रदेश में पंचायत चुनाव.

बता दें कि साल 2014 के आम चुनाव में सभी प्रदेश में हुए चुनावों में मोदी फैक्टर देखने को मिला था. क्योंकि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर बीजेपी को भारी मतों से जीत मिली था. जिसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी मोदी लहर के चलते प्रदेश में बीजेपी ने 70 में से 57 सीटें हासिल की थी. इसके साथ ही साल 2018 में राज्य के निकाय चुनाव के दौरान भी बीजेपी की नैय्या मोदी के सहारे ही पार लगी और निकाय चुनाव में बीजेपी को अच्छी जीत मिली. ऐसे में 2019 का लोकसभा चुनाव भी मोदी के नाम पर ही लड़ा जा रहा है.

हालांकि, इस साल जुलाई माह में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इसी साल सितम्बर माह में पंचायत चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. जो राज्य सरकार के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है. विधानसभा और निकाय चुनाव जैसी सफलता को दौरान बीजेपी के टेड़ी खीर साबित हो सकती है. क्योंकि पंचायत चुनावों में स्थानीय मुद्दों का ही बोलबाला होता है. ऐसे में राज्य सरकार अपने कामों के बूते ही चुनाव मैदान में उतरेगी. वहीं, यह पंचायत चुनाव सीधे तौर से त्रिवेंद्र सरकार की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा होगा. हालांकि, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी.

पढ़ें- चार धाम की तैयारियों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर कसा तंज

वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार तंज कसते हुए कहा कि 57 विधायकों की प्रचंड बहुमत वाली सरकार जब निकाय चुनाव ही समय पर करवाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई तो पंचायत चुनाव समय पर हों, यह संभव नहीं लगता. धस्माना ने कहा कि पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव के मुद्दे अलग-अलग होते हैं. इस समय सभी ग्रामीण क्षेत्रों का हाल बुरा है और विकास की सभी गतिविधियां ठप है, इसलिए कांग्रेस को नहीं लगता है कि सरकार सही समय पर पंचायत चुनाव करा पाएगी और जब चुनाव सही समय पर होते है तो उसका परिणाम बिल्कुल अलग होता है.

जबकि, इस मामले में बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है कि पंचायत चुनाव का अपना एक समय है और जो संवैधानिक व्यवस्था है. उसी को मद्देनजर सूबे में पंचायत चुनाव होंगे. इसलिए लोकसभा चुनाव के नतीजे का संबंध पंचायत चुनाव से नहीं जोड़ा जा सकता. उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी पूरे देश में शानदार प्रदर्शन करेगी और उत्तराखंड में भी पांचों सीटों पर बीजेपी की प्रचंड विजय होगी.

Intro:उत्तराखंड के हरिद्वार जिले को छोड़ 12 जिलों के त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल जुलाई महीने में समाप्त हो रहा है जिसको देखते हुए पंचायती राज महकमा दमखम से तैयारियों में जुटा है। और उम्मीद किया जा रहा है कि सितंबर माह में पंचायत चुनाव हो सकता है। हालांकि प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्ता सभालने वाली भाजपा सरकार का सत्ता सभालने के बाद यह पहला ऐसा चुनाव होगा जो राज्य सरकार अपने किये गए कामो के बलबूते चुनाव लड़ेगी। और कही न कही राज्य सरकार के लिए यह पंचायत चुनाव बड़े इम्तिहान से कम नहीं होगा। 





Body:साल 2014 और 2014 के बाद से प्रदेश में हुए सभी चुनावो में मोदी का बड़ा फैक्टर देखने को मिला। क्योकि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने प्रदेश की पांचो लोकसभा सीटों को भारी मतों से जीता था। जिसके बाद साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान भी मोदी फैक्टर का इतना फर्क पड़ा कि भाजपा ने 70 में से 57 सीटे लाकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनायीं। इसके साथ ही साल 2018 में राज्य के निकाय चुनाव के दौरान भी भाजपा ने मोदी फैक्टर का फायदा उठाया और भाजपा को निकाय चुनाव में अच्छी जीत मिली थी। और इस लोकसभा चुनाव 2019 में भी भाजपा के प्रत्याशियों ने मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा।


हालांकि इस साल जुलाई माह में त्रिस्तरीय पंचायतो का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, और इसी साल सितम्बर माह में पंचायत चुनाव होना संभावित माना जा रहा है। जो राज्य सरकार के लिए एक बड़ा इम्तिहान भी माना जा रहा है। विधानसभा और निकाय चुनाव जैसी सफलता पंचायत चुनाव में दोहराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगी। क्योकि इस पंचायत चुनाव में मोदी फैक्टर का असर नही होगा। इसलिए यह चुनाव सीधे तौर से सरकार की प्रतिष्ठा से जुडी है। और पंचायत चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रवाशी, सरकार के काम काज पर ही वोट देगी। और इसी वजह से राज्य सरकार द्वारा लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद ही पंचायत चुनाव का समय तय किया जा सकता है।


पंचायत चुनाव का अपना एक समय है और जो संवैधानिक व्यवस्था है और सरकार उसका सम्मान करती है। इसलिए लोकसभा चुनाव के नतीजे का संबंध पंचायत चुनाव से नहीं है। और अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे की बात करें तो भाजपा पूरे देश की तरह ही उत्तराखंड में भी बहुत शानदार सफलता प्राप्त करेगी, और भाजपा उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों को जीतेगी। 

बाइट - देवेंद्र भसीन (प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा)

वही कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए बताया कि 57 विधायकों की प्रचंड बहुमत वाली सरकार ने जब निकाय चुनाव समय से कराने की हिम्मत नहीं की तो पंचायत चुनाव समय पर कैसे करा लेगी। पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव सभी के मुद्दे अलग-अलग होते हैं। इस समय सभी ग्रामीण क्षेत्रों का हाल बुरा है विकास गतिविधियां ठप हैं। इसलिए कांग्रेस को नहीं लगता है कि सरकार सही समय पर पंचायत चुनाव करा पाएगी और जब चुनाव सही समय पर होते है तो उसका परिणाम बिल्कुल अलग होता है।

बाइट - सूर्यकांत धस्माना (प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस)




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.