चंपावत: भारत व नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध माना गया है. लेकिन इन संबंधों को मानव तस्करी का दंश धीरे-धीरे खोखला कर रहा है. इंडो-नेपाल बार्डर से मानव तस्करी का गोरखधंधा लगातार फलफूल रहा है. हर साल सीमांत क्षेत्र में ना जाने कितने मासूमों को बहला-फुसलाकर भारत के अलग-अलग राज्यों में बेच दिया जाता है.
प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से गढ़वाल क्षेत्र में हरिद्वार- कोटद्वार और कुमाऊं मंडल के हल्द्वानी व चंपावत के नेपाल बॉर्डर से लगे बनबसा में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल स्थापित किया है. लेकिन बावजूद इसके मानव तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है.
पढे़ं- राहत भरी खबर: चोराबाड़ी झील से केदारनाथ धाम को नहीं कोई खतरा, विशेषज्ञों ने पहुंचकर की जांच
उत्तराखंड के चंपावत जनपद के बनबसा में मानव तस्करी रोकने के लिए काम कर रहे रीड्स नामक एनजीओ के अधिकारियों की मानें तो बीते कुछ सालों में सैकड़ों मानव तस्करी के मामले संस्था के पास दर्ज हुए हैं. जिनमें से अधिकतर मामले नेपाल से जुड़े हुए हैं. मानव तस्करी का शिकार बनी कई ऐसी लड़कियां हैं. जिनको बनबसा की संस्था द्वारा मानव तस्करों के चंगुल से आजाद कराकर उन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाया गया है.
एनजीओ की रिपोर्ट के अनुसार कई मामलों में पाया गया है कि नेपाल की गरीब लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाया जाता है. जिसके बाद उत्तराखंड के बड़े राज्यों और नगरों में ले जाकर बेच दिया जाता है. जहां उनसे मजदूरी या फिर वेश्यावृत्ति कराई जाती है.
वहीं, चंपावत एसपी धीरेंद्र गुंज्याल बताते हैं कि ऐसे मामलों पर नजर रखने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए स्थानीय पुलिस पूरी तरह सतर्क रहती है. इसके साथ ही बनबसा में बॉर्डर पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल भी बनाया गया है. जो स्थानीय एनजीओ और सीमा क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों के साथ सामंजस्य बनाकर कार्य कर रहा है. उन्होंने बताया कि बीते समय में सीमा पर कई ऐसी लड़कियों को बरामद किया गया है.