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उत्तराखंड में नेपाल बॉर्डर से हो रही मानव तस्करी, दाव पर लगी कई मासूम जिंदगियां - खटीमा

नेपाल से बढ़ती मानव तस्करी प्रदेश और देश के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. इसे रोकने के लिए गढ़वाल क्षेत्र में हरिद्वार- कोटद्वार और कुमाऊं मंडल के हल्द्वानी व चंपावत के नेपाल बॉर्डर से लगे बनबसा में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल भी स्थापित किया है. लेकिन बावजूद इसके मानव तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है.

इंडो-नेपाल बार्डर
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Published : Jun 29, 2019, 8:11 AM IST

Updated : Jun 29, 2019, 10:05 AM IST

चंपावत: भारत व नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध माना गया है. लेकिन इन संबंधों को मानव तस्करी का दंश धीरे-धीरे खोखला कर रहा है. इंडो-नेपाल बार्डर से मानव तस्करी का गोरखधंधा लगातार फलफूल रहा है. हर साल सीमांत क्षेत्र में ना जाने कितने मासूमों को बहला-फुसलाकर भारत के अलग-अलग राज्यों में बेच दिया जाता है.

मानव तस्करी का गढ़ बनती जा रही उत्तराखंड सीमा

प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से गढ़वाल क्षेत्र में हरिद्वार- कोटद्वार और कुमाऊं मंडल के हल्द्वानी व चंपावत के नेपाल बॉर्डर से लगे बनबसा में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल स्थापित किया है. लेकिन बावजूद इसके मानव तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है.

पढे़ं- राहत भरी खबर: चोराबाड़ी झील से केदारनाथ धाम को नहीं कोई खतरा, विशेषज्ञों ने पहुंचकर की जांच

उत्तराखंड के चंपावत जनपद के बनबसा में मानव तस्करी रोकने के लिए काम कर रहे रीड्स नामक एनजीओ के अधिकारियों की मानें तो बीते कुछ सालों में सैकड़ों मानव तस्करी के मामले संस्था के पास दर्ज हुए हैं. जिनमें से अधिकतर मामले नेपाल से जुड़े हुए हैं. मानव तस्करी का शिकार बनी कई ऐसी लड़कियां हैं. जिनको बनबसा की संस्था द्वारा मानव तस्करों के चंगुल से आजाद कराकर उन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाया गया है.

एनजीओ की रिपोर्ट के अनुसार कई मामलों में पाया गया है कि नेपाल की गरीब लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाया जाता है. जिसके बाद उत्तराखंड के बड़े राज्यों और नगरों में ले जाकर बेच दिया जाता है. जहां उनसे मजदूरी या फिर वेश्यावृत्ति कराई जाती है.

वहीं, चंपावत एसपी धीरेंद्र गुंज्याल बताते हैं कि ऐसे मामलों पर नजर रखने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए स्थानीय पुलिस पूरी तरह सतर्क रहती है. इसके साथ ही बनबसा में बॉर्डर पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल भी बनाया गया है. जो स्थानीय एनजीओ और सीमा क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों के साथ सामंजस्य बनाकर कार्य कर रहा है. उन्होंने बताया कि बीते समय में सीमा पर कई ऐसी लड़कियों को बरामद किया गया है.

चंपावत: भारत व नेपाल के बीच रोटी-बेटी का संबंध माना गया है. लेकिन इन संबंधों को मानव तस्करी का दंश धीरे-धीरे खोखला कर रहा है. इंडो-नेपाल बार्डर से मानव तस्करी का गोरखधंधा लगातार फलफूल रहा है. हर साल सीमांत क्षेत्र में ना जाने कितने मासूमों को बहला-फुसलाकर भारत के अलग-अलग राज्यों में बेच दिया जाता है.

मानव तस्करी का गढ़ बनती जा रही उत्तराखंड सीमा

प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से गढ़वाल क्षेत्र में हरिद्वार- कोटद्वार और कुमाऊं मंडल के हल्द्वानी व चंपावत के नेपाल बॉर्डर से लगे बनबसा में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल स्थापित किया है. लेकिन बावजूद इसके मानव तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है.

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उत्तराखंड के चंपावत जनपद के बनबसा में मानव तस्करी रोकने के लिए काम कर रहे रीड्स नामक एनजीओ के अधिकारियों की मानें तो बीते कुछ सालों में सैकड़ों मानव तस्करी के मामले संस्था के पास दर्ज हुए हैं. जिनमें से अधिकतर मामले नेपाल से जुड़े हुए हैं. मानव तस्करी का शिकार बनी कई ऐसी लड़कियां हैं. जिनको बनबसा की संस्था द्वारा मानव तस्करों के चंगुल से आजाद कराकर उन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाया गया है.

एनजीओ की रिपोर्ट के अनुसार कई मामलों में पाया गया है कि नेपाल की गरीब लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाया जाता है. जिसके बाद उत्तराखंड के बड़े राज्यों और नगरों में ले जाकर बेच दिया जाता है. जहां उनसे मजदूरी या फिर वेश्यावृत्ति कराई जाती है.

वहीं, चंपावत एसपी धीरेंद्र गुंज्याल बताते हैं कि ऐसे मामलों पर नजर रखने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए स्थानीय पुलिस पूरी तरह सतर्क रहती है. इसके साथ ही बनबसा में बॉर्डर पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल भी बनाया गया है. जो स्थानीय एनजीओ और सीमा क्षेत्र में सुरक्षा एजेंसियों के साथ सामंजस्य बनाकर कार्य कर रहा है. उन्होंने बताया कि बीते समय में सीमा पर कई ऐसी लड़कियों को बरामद किया गया है.

Intro:summary- नेपाल से लगी उत्तराखंड की सीमा ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केंद्र बनती जा रही है नेपाल की सीधी-सादी युवती युवतियां। मानव तस्कर उत्तराखंड की खुली सीमा का फायदा उठाकर नेपाल से लड़कियां लाकर देश के बड़े-बड़े राज्यों में बेचने का कर रहे हैं काम। पुलिस और एनजीओ की कार्रवाई में आया है यह काला सच सामने।


एंकर- उत्तराखंड की नेपाल क्षेत्र सेल सीमा से लगे क्षेत्रों में मानव तस्करी के मामले आना बड़ी चिंता का कारण बनते जा रहे हैं। नेपाल सीमा पर मौजूद तमाम एजेंसियों की मौजूदगी के बावजूद हर साल सीमांत क्षेत्र में ना जाने कितने मासूमों को बहला- फुसलाकर मानव तस्कर भारत के अलग-अलग प्रांतों में ले जाकर बेचने का गोरखधंधा करते हैं। वही सीमांत क्षेत्र में मानव तस्करी पर रोक लगाने के लिए काम कर रही स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों व नेपाल और भारत की एनजीओ द्वारा सीमा पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों पर पैनी नजर रखने के कारण कई बालाओं का जीवन देह व्यापार के दल - दल में जाने से बचा है। उत्तराखंड के मामलों को लेकर पेश है एक खास रिपोर्ट-


नोट-खबर एफटीपी में - manav taskari ek kadva sach- नाम के फोल्डर में है।





Body:वीओ- आज के आधुनिक समाज में मानव तस्करी को लेकर सरकार द्वारा कई जागरूक अभियान चलाए जाने एवं अनेकों स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रयासों के बावजूद भी सीमांत क्षेत्र में मानव तस्करी एक कड़वी सच्चाई है। उत्तराखंड के सीमांत जनपद उधम सिंह नगर व चंपावत से नेपाल को जोड़ने वाले कई मार्गों के चलते मानव तस्करी के अधिकतर मामले या तो सीमांत ग्रामीण भारतीय क्षेत्रों के होते हैं या फिर पड़ोसी देश नेपाल से जुड़े होते हैं। वैसे तो प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य गढ़वाल क्षेत्र में हरिद्वार- कोटद्वार व कुमाऊं मंडल के हल्द्वानी व चंपावत के नेपाल बॉर्डर से लगे बनबसा में एंटी ह्यूमन ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल स्थापित किया है। ताकि प्रदेश में मानव तस्करी के मामलों पर रोक लगाई जा सके। लेकिन इसके बावजूद भी मानव तस्करी प्रदेश में रुकने का नाम नहीं ले रही है।

वीओ 2- उत्तराखंड के चंपावत जनपद के बनबसा में मानव तस्करी रोकने के लिए काम कर रहे रीड्स नामक एनजीओ के अधिकारियों की बातों पर विश्वास करें तो बीते कुछ सालों में सैकड़ों मानव तस्करी के मामले संस्था के पास दर्ज हुए हैं। जिनमें से अधिकतर मामले नेपाल से जुड़े हुए हैं मानव तस्करी का शिकार बनी कई ऐसी लड़कियां हैं जिनको बनबसा की संस्था द्वारा मानव तस्करों के चंगुल से आजाद कराने के बाद अपनी पनाह में लिया गया। बाद में भारत एवं नेपाल पुलिस के सहयोग से परिजनों तक पहुंचाने का कार्य किया गया है। एनजीओ की रिपोर्ट के अनुसार इन मामलों में नेपाल की गरीब सीधी सादी लड़कियों को बहला-फुसलाकर पाया जाता है। फिर उत्तराखंड के बड़े नगरों एवं राज्यों में ले जाकर भेज दिया जाता है जान से मजबूरन मजदूरी घर के काम में वेश्यावृत्ति कराई जाती है।

वीओ 3- वहीं चंपावत एसपी धीरेंद्र गुंज्याल के अनुसार ऐसे मामलों पर नजर रखने एवं तुरंत कार्रवाई करने के उद्देश्य स्थानीय पुलिस पूरी तरह सतर्क रहती है। साथ ही बनबसा में बॉर्डर पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल भी बनाया गया है। जो स्थानीय एनजीओ एवं सीमा क्षेत्र में तनाव अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ सामंजस्य बनाकर कार्य कर रहा है। जिसके चलते बीते समय में सीमा पर कई ऐसी लड़कियों को बरामद किया गया है। आगे भी हमारा या प्रयास है कि ऐसी घटना पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जा सके।

बाइट- नारायण भट्ट वरिष्ठ पत्रकार नेपाल बॉर्डर

बाइट- प्रकाश चंद समन्वयक रीड्स संस्था नेपाल बॉर्डर बनबसा

बाइट- धीरेंद्र गुंज्याल एसपी चंपावत


Conclusion:फाइनल वीओ-बरहाल यह देखना होगा कि सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा तमाम प्रयासों के बावजूद भी आखिर आधुनिक समाज पर कलंक के समान इस मानव तस्करी पर अंकुश लग सकेगा।
Last Updated : Jun 29, 2019, 10:05 AM IST
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