हरिद्वार: मुस्लिम संगठनों और कांग्रेस द्वारा जिस तरह से यह दावा किया जा रहा था कि हरिद्वार की ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र के आर्य नगर में हटाई गई चंदन वाली दरगाह वक्फ बोर्ड में दर्ज दरगाह थी, उसका वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कड़े शब्दों में खंडन किया है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने ऐसे लोगों को कांग्रेस पोषित बताते हुए कहा कि वहां पर अवैध मजार के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ था. उन्होंने यहां एक बार फिर मुख्यमंत्री के स्लोगन कि 'सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं' को दोहराया.
शादाब शम्स ने अवैध मजारों को हटाना सही बताया: उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियान लेंड जिहाद के तहत सरकारी संपत्तियों से अवैध मजारों को हटाए जाने का उत्तराखंड वफ्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने स्वागत किया है. उन्होंने साफ कहा है वफ्फ बोर्ड ओर प्रदेश सरकार का स्लोगन भी है कि 'सही को छेड़ेंगे नहीं, गलत को छोड़ेंगे नहीं'. शादाब शम्स मानते हैं कि जो कार्रवाई अवैध मजारों के ऊपर हो रही है, पूरी तरह से न्याय संगत है.
अवैध मजारें बर्दाश्त नहीं- शादाब शम्स: कुकुरमुक्तों की तरह जंगलों में भू माफियाओं के द्वारा अतिक्रमण करने के लिए यह बनाई गई ये मजारें किसी भी कीमत पर भी बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. धर्म और आस्था के साथ कि कहीं भी चारदीवारी लगाकर और चादर बिछाकर मजार बनाकर उसके ऊपर ताबीज टोटके शुरू कर देते हैं. यह उसके खिलाफ अभियान है. उसको अलग रूप देना विपक्ष के छोटेपन और हल्केपन को दर्शाता है.
अवैध कब्जों के लिए कांग्रेस को बताया जिम्मेदार: शादाब शम्स कांग्रेस पर भी बड़ा आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा बहुत बड़ा खेल इस प्रदेश में किया गया. कांग्रेस के नेताओं द्वारा ही यह पोषित लोग थे जिन्होंने अवैध मजारों के नाम पर सरकारी जमीनों पर कब्जा किया. आज जब यह चीजें खुल रही हैं तो उन्हें परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि हरिद्वार के आर्य नगर की चंदन पीर दरगाह वक्फ बोर्ड की दरगाह थी. यह बात उसके टूटने के बाद बताई गई.
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अवैध कब्जे कर मजारों की कमाई खा रहे लोग- शम्स: शादाब शम्स ने कहा कि ऐसी दरगाह पर काबिज उन लोगों ने पहले यह बात नहीं बताई, क्योंकि वक्फ बोर्ड को बता देंगे तो वहां पर वफ्फ बोर्ड का इंवॉल्वमेंट हो जाएगा. ऐसी दरगाहों को खुद अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी लोगों ने बना रखा था. उसकी कमाई अपने आप खा रहे थे. इसलिए वह लोग नहीं चाहते थे कि यह बात वफ्फ बोर्ड को भी पता चले. साथ ही उन्होंने कहा कि वहां वफ्फ बोर्ड का कहीं उल्लेख नहीं किया गया था.
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पिछले 2 महीने में सरकारी जमीनों पर बनी 260 मजारें हटाई गई हैं. कुल 280 धार्मिक स्थल सरकारी जमीनों से हटाए गए हैं. इनमें 20 मंदिर और 260 मजारें शामिल हैं.