उत्तरकाशी (उत्तराखंड): हर्षिल घाटी के क्यारकोटी ट्रेक पर निकला पर्वतारोहियों का दल अभियान पूरा कर लौट आया है. करीब 10 वर्षों बाद ट्रेकर्स को 11 से 12 बड़े हिमखंडों को पार करना पड़ा है. ट्रेकिंग दल काफी रोमांचित था. उत्तरकाशी लौटकर उन्होंने अपने अनुभव सुनाए.
क्यारकोटी ट्रेक से लौटे ट्रेकर्स: क्यारकोटी से चार दिवसीय ट्रेक पूरा करने के बाद मुंबई और बेंगलुरु का 15 सदस्यीय दल वापस लौट आया है. यह ट्रेक समुद्र तल से 3,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ट्रेकर्स का कहना है कि इस ऊंचाई पर बड़े हिमखंडों के बीच ट्रेकिंग अब तक का सबसे अलग अनुभव था. एक्सपीरियेंस द हिमालय ट्रेकिंग एजेंसी के संचालक दीपक राणा ने बताया कि 15 सदस्यीय दल 8 मई को हर्षिल से क्यारकोटी ट्रेक के लिए रवाना हुआ था.
बर्फबारी ने ली ट्रेकर्स की परीक्षा: 8 मई को भारी बर्फबारी के चलते इन्हें 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लालढांग में रुकना पड़ा था. वहां पर देर रात तक यह अपने टेंट से बर्फ झाड़ते रहे. अगले दिन मौसम ठीक होने के बाद दल आगे बढ़ा. आगे ट्रेकर्स बड़े-बड़े हिमखंडों के रोमांच से रूबरू हुए. हिमखंड इतनी बड़ी संख्या में थे कि क्यारकोटी के बेस कैंप गंगनानी तक तो सभी ट्रेकर्स पहुंच पाए, लेकिन उसके बाद पांच ट्रेकर्स ने ही 3,900 मीटर की ऊंचाई पर क्यारकोटी को सबमिट किया.
ये भी पढ़ें: बदरीनाथ धाम के साथ सतोपंथ भी पहुंच रहे तीर्थयात्री, नेचर के साथ ट्रेकिंग का उठा रहे लुत्फ
कम ऊंचाई पर हिमखंडों के बीच ट्रेकिंग का रोमांच: यह दल रविवार को 17 किमी लंबी ट्रेकिंग कर वापस लौट आया है. दीपक राणा ने बताया कि पर्वतारोहियों और ट्रेकर्स के लिए 3,900 मीटर की ऊंचाई ट्रेक करना सामान्य बात होती है. लेकिन इस वर्ष मई माह तक हुई बर्फबारी के कारण क्यारकोटी ट्रेक पर 11 से 12 बड़े-बड़े हिमखंडों से सामना हुआ है. इस ट्रेक पर हिमखंडों की संख्या अधिक होने का कारण ही है कि इस पर अधिक मानवीय गतिविधि नहीं होती है. इसलिए अगर किसी को इतनी कम ऊंचाई पर हिमखंडों के बीच ट्रेकिंग का रोमांच लेना हो, तो वह क्यारकोटी आ सकता है.