उत्तरकाशी (उत्तराखंड): सिलक्यारा टनल हादसे के बाद रेस्क्यू अभियान में लगे अफसरों ने बताया है कि सिल्कयारा सुरंग के ढहे हुए हिस्से में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मलबे को काटने के लिए जल्द ही मैनुअल ड्रिलिंग शुरू की जाएगी. अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका निर्मित हेवी-ड्यूटी ऑगर ड्रिलिंग मशीन को पाइपलाइन से हटाया जाएगा. इसके बाद मैनुअल ड्रिलर्स काम करने लगेंगे. इस तरह सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा. इसके साथ ही सुरंग के ऊपर की पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी भी जोरों पर है.
इसी बीच अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने स्थिति साफ करते हुए बताया कि स्थिति कंट्रोल में है. शुक्रवार शाम ड्रिलिंग करते हुए मशीन टूट गई है, जिसके बाद ऑगर से अब और ड्रिलिंग नहीं होगी. कोई नई ऑगर मशीन भी इस्तेमाल नहीं होगी.
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#WATCH | On Silkyara tunnel rescue operation, International Tunneling Expert, Arnold Dix says, "There are multiple ways. It's not just one way... At the moment, everything is fine... You will not see the Augering anymore. Auger is finished. The auger (machine) has broken. It's… pic.twitter.com/j59RdWMG1a
— ANI (@ANI) November 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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रेस्क्यू ऑपरेशन पर हाईलेवल मीटिंग: इसी के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर सभी एजेंसियों की हाईलेवल मीटिंग हुई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में इस मीटिंग में रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी सभी एजेंसियों व प्रदेश प्रशासन के अधिकारियों मौजूद रहे. बैठक में सभी एक्सपर्ट्स से विचार विमर्श हुआ. बैठक में फैसला लिया गया है कि श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सभी विकल्पों को ध्यान में रखते हुए लगातार काम किया जाएगा. ऑगर मशीन को काटने के लिए हैदराबाद से मंगवाया गया प्लाज्मा कटर शाम तक देहरादून पहुंच जाएगा. मुख्यमंत्री ने बताया कि पाइपलाइन में फंसी ऑगर मशीन को रविवार सुबह तक पूरा निकाल लिया जाएगा.
सीएम ने बताया कि सुरंग में फंसे मजदूरों से डियो कम्युनिकेशन सेटअप के जरिए लगातार बात हो रही है. आज श्रमिक गब्बर सिंह, सबाह अहमद और अखिलेश से बात हुई और सभी मजदूरों के बारे में जानकारी ली गई. उनका कहना है कि वो सभी ठीक हैं. श्रमिकों का कहना है कि निकालने में भले ही वक्त लगे लेकिन सभी को सुरक्षित तरीके से निकालें.
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सिलक्यारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फँसे श्रमिकों को बाहर निकालने हेतु जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी सभी एजेंसियों एवं प्रदेश प्रशासन के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। चिकित्सकों को निरंतर श्रमिक… pic.twitter.com/FwuMZTke07
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श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। चिकित्सकों को निरंतर श्रमिक… pic.twitter.com/FwuMZTke07सिलक्यारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फँसे श्रमिकों को बाहर निकालने हेतु जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी सभी एजेंसियों एवं प्रदेश प्रशासन के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की।
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सिलक्यारा टनल में अब होगी मैनुअल ड्रिलिंग: अधिकारियों ने बताया कि मैनुअल ड्रिलर्स बचे हुए उस मलबे को काटेंगे जो 41 मजदूरों के रेस्क्यू के बीच बाधा बनकर खड़ा है. मैनुअल ड्रिलिंग से इस बाधा बने मलबे को काटा जाएगा. इसके बाद आगे के बचे हिस्से में पाइप डाले जाएंगे. 12 नवंबर को दीपावली की सुबह सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद से 41 श्रमिकों टनल के अंदर फंसे हुए हैं. उसी दिन से इन मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू अभियान चल रहा है जो आज शनिवार को 14वें दिन में प्रवेश कर गया है.
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आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी सिलक्यारा, उत्तरकाशी टनल में फंसे श्रमिकों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी प्रतिदिन श्रमिकों का कुशलक्षेम एवं सुरंग में जारी राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तृत जानकारी ले रहे हैं।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
केंद्रीय एजेंसियां, प्रदेश प्रशासन एवं…
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केंद्रीय एजेंसियां, प्रदेश प्रशासन एवं…आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी सिलक्यारा, उत्तरकाशी टनल में फंसे श्रमिकों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी प्रतिदिन श्रमिकों का कुशलक्षेम एवं सुरंग में जारी राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तृत जानकारी ले रहे हैं।
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बाधा आने से ऑगर मशीन निकालने में लग रहा लंबा समय: रेस्क्यू कार्य में लगे अफसरों ने उम्मीद जताई है कि ऑगर ड्रिलिंग मशीन को पाइपलाइन से बाहर निकालने में जल्द ही सफलता मिल जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी हैवी ड्रिलिंग ऑगर मशीन को अब 22 मीटर पीछे ले जाया जा सकता है. रेस्क्यू अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मैनुअल ड्रिलिंग जल्द ही शुरू हो सकती है. उन्होंने कहा कि बचा हुआ मलबा, जो लगभग 6 से 9 मीटर तक फैला हुआ है, ये बचाव दल और फंसे हुए श्रमिकों के बीच है. इसको मैनुअल ड्रिलिंग के माध्यम से हटा दिया जाएगा.
हर दो से तीन फीट पर आ रही बाधा: बचाव अभियान में शामिल अधिकारियों ने ऑगर को पाइपलाइन से हटाने का फैसला क्यों लिया? इस बारे में वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, अमेरिकन हैवी ड्रिलिंग ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करते समय हर दो से तीन फीट पर कोई रुकावट आ जा रही है. हमें इसे हटाना पड़ता है. हर बार जब बाधा आ रही है तो हमें ऑगर ड्रिलिंग मशीन को 50 मीटर यानी जहां तक अभी पाइपलाइन बिछाई गई है वहां से पीछे ले जाना पड़ता है. मरम्मत करने के बाद, मशीन को 50 मीटर तक पीछे धकेलना पड़ता है. इसमें करीब 5 से 7 घंटे का समय लग रहा है. यही कारण है कि बचाव अभियान में जरूरत से ज्यादा समय लग रहा है.
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Uttarkashi tunnel rescue: BRO personnel to quickly transport machines for vertical drilling to hill top
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Read @ANI Story | https://t.co/yuTzD8NmXU#UttarkashiRescue #SilkyaraTunnel #BRO #VerticalDrilling pic.twitter.com/DH6MGTO3j1
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अब छोटी-छोटी मैनुअल ड्रिलिंग से होगा रेस्क्यू: अब बचाव दल ने अब निर्णय लिया है कि पाइपलाइन को अब छोटी-छोटी दूरी पर मैनुअल ड्रिलिंग के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा. यहां तक कि अगर आगे फिर कोई बाधा आती है, तो उसको मैनुअल रूप से हटाया जा सकता है. अब हम कीमती समय बर्बाद किए बिना पाइपलाइन को आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने बताया कि आगे 5 मीटर तक ड्रिलिंग करने के बाद, बचावकर्मी अंतिम कुछ मीटर तक पहुंचकर उस मलबे को हटा देंगे जो रेस्क्यू टीम और 41 मजदूरों के बीच दीवार बना है.
रेस्क्यू कब तक पूरा होगा समय सीमा तय नहीं: हालांकि, अधिकारी अभी वो समय सीमा देने में असमर्थ हैं जब तक राहत और बचाव अभियान पूरा होता है. उन्होंने कहा कि उन्हें शनिवार यानी आज मैनुअल ड्रिलिंग शुरू होने के बाद सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है. इससे पहले सुरंग स्थल पर सर्वे करने पहुंची विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि सुरंग के अंदर 5 मीटर तक कोई भारी वस्तु नहीं है. पार्सन ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली की टीम ने बचाव सुरंग की जांच के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक का इस्तेमाल किया.
ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का लिया सहारा: ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार, जिसे जीपीआर, जियोराडार, सब सरफेस इंटरफेस रडार या जियो-प्रोबिंग रडार के रूप में भी जाना जाता है, बिना किसी ड्रिलिंग, ट्रेंचिंग या ग्राउंड गड़बड़ी के उप सतह के क्रॉस-सेक्शन प्रोफाइल रिजल्ट देने की सुरक्षित तकनीक है. जिस सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है उसकी जांच करने के बाद, भू भौतिकीविद् और जीपीआर सर्वेक्षण टीम के सदस्य बी चेंदूर ने कहा कि ऑगर ड्रिलर के एक बाधा से टकराने के बाद उन्हें घटनास्थल पर बुलाया गया था.
12 नवंबर से सुरंग में फंसे हैं मजदूर: आपको बता दें कि 12 नवंबर को उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा धंसने के बाद सुरंग के सिल्कयारा की ओर 60 मीटर के हिस्से में गिरे मलबे के कारण 41 मजदूर अंदर फंस गए. तभी से इन मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.
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(एएनआई इनपुट)