नई दिल्ली : भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के प्रयासों और सैन्य कर्मियों के संबंधित प्रशिक्षण पर खर्च में वृद्धि के बावजूद, देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) जेंटलमैन कैडेट्स (जीसी) को प्रशिक्षित करने के लिए हथियारों और उपकरणों की अनुपलब्धता का सामना कर रही है. जबकि देश को कुशल सैन्य अधिकारियों को देना वाला यह प्रमुख संस्थान है.
नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा भारतीय सेना में अधिकारियों के चयन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया पर 'प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट' पिछले सप्ताह ही संसद में पेश की गई थी. रिपोर्ट यह बताती है कि नई पीढ़ी के हथियार या उपकरण जैसे मल्टी शॉट ग्रेनेड लॉन्चर (MGL), अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (UBGL), फ्लेम थ्रोअर, लेजर रेंज फाइंडर (LRF) स्पॉटर स्कोप, थर्मल इमेजिंग डिवाइस, इमेज इंटेंसिफायर, हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर (HHTI), फायरिंग रेंज ऑटोमैटिक स्कोरिंग सिस्टम (FRASS) आदि देश की प्रमुख प्रशिक्षण अकादमी आईएमए देहरादून में उपलब्ध नहीं थे.
ये पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर भारतीय सेना के सामरिक अभियानों के साथ-साथ कश्मीर घाटी और भारत के पूर्वोत्तर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं. आधुनिक हथियारों और प्रणालियों के बिना, जेंटलमैन कैडेट्स को उन हथियारों / उपकरणों के पुराने संस्करणों के साथ प्रशिक्षित किया गया और उनका उपयोग करना सिखाया गया, जो नवीनतम तकनीकी विकास और बदलते युद्ध परिदृश्य से मेल नहीं खाते, जिससे कैडेट बेहतर प्रदर्शन से वंचित रह गए.
हालांकि, पूर्व में भी कई बार इस मुद्दे को उठाया गया है. भारतीय सेना के सात कमांड में से एक, आर्मी ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC) की रिपोर्ट में भी इसे इंगित किया गया था, फिर भी यह मुद्दा अनसुलझा है. हालांकि आईएमए विशिष्ट दिनों (स्पेशल डे पर) में स्थानीय इकाइयों और संरचनाओं से लाए गए हथियारों से जेंटलमैन कैडेट्स को ट्रेनिंग देने को कोशिश करता है.
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, आधुनिक उपकरणों और हथियारों तक अपर्याप्त पहुंच के कारण आईएमए में जेंटलमैन कैडेट्स को उच्च प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है, जो कैडेट्स को बदलते युद्ध परिदृश्य से अवगत कराने के लिए यह एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. नेशनल ऑडिटर कैग ने इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय के जवाबों को 'अयोग्य' पाया है.
इसके अलावा बैफल रेंज (baffle range) और नजदीकी क्वार्टर बैटल रेंज की कमी भी एक मुद्दा है, जो विशेष रूप से आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में भारतीय सेना की भागीदारी की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण आवश्यकता है. हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने जून 2020 में इसे हल करने का दावा किया था. 2011 में रक्षा मंत्रालय द्वारा अनुबंध को मंजूरी दिए जाने के बाद रेंज के निर्माण में नौ साल लग गए. बैफल रेंज एक कवर्ड शूटिंग अभ्यास क्षेत्र है जो अनियंत्रित गोलियों के कारण होने वाली संभावित दुर्घटनाओं को रोकता है.
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आधुनिक उपकरणों और हथियारों की कमी आश्चर्यजनक बात नहीं है, क्योंकि कैग ने एक और खुलासा किया है कि लैब्स और ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिकीकरण योजना (MOLTI) के तहत आवंटित धन 2012-2017 की अवधि के दौरान 22 प्रतिशत से भी कम खर्च किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप कुल आवंटित निधि 709.96 करोड़ रुपये में से सिर्फ 152.70 करोड़ रुपये खर्च हुए. MOLTI के तहत किसी संस्थान को वार्षिक आधार पर फंड आवंटित किया जाता है. आईएमए भी MOLTI के तहत धन प्राप्त करता है.