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मंदिरों में जाने से नहीं चूकते पीएम मोदी, क्या अपनी हिंदुत्व वाली छवि को और मजबूत कर रहे हैं ?

पीएम मोदी शुक्रवार को केदारनाथ में थे. पीएम मोदी ने केदारनाथ दौरे से आगामी विधानसभा चुनावों का शंखनाद कर दिया. अगले साल की शुरुआत में यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव होने हैं और पीएम मोदी ने केदार के द्वार से ही चुनावी माहौल सेट कर दिया. कैसे ? जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर

मोदी
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Published : Nov 5, 2021, 8:56 PM IST

हैदराबाद: 5 अक्टूबर 2021, दिवाली की अगली सुबह जब देश की राजधानी दिल्ली पटाखों के धुंए की में लिपटी हुई थी, तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर केदारनाथ पहुंच चुके थे. पीएम मोदी ने बाबा केदार के दर्शन किए, पूजा-पाठ किया और जनता को संबोधित भी किया. लेकिन सवाल है कि क्या ये केदारनाथ से आगामी विधानसभा चुनावों का शंखनाद था ? खासकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए.

केदार के द्वार से अयोध्या, मथुरा और काशी का जिक्र

केदार की शरण में पीएम मोदी
केदार की शरण में पीएम मोदी

पीएम मोदी भले केदारनाथ में थे लेकिन उनकी जुबां पर अयोध्या, मथुरा और काशी का जिक्र आ ही गया. राम मंदिर के निर्माण से लेकर मथुरा और काशी विश्वनाथ से होते हुए चार धाम तक का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने धर्म, आस्था और धार्मिक यात्राओं को जीवन का अहम हिस्सा बता दिया. केदार के द्वार पर धर्म और आस्था की बात पहली नजर में आम लग सकती है, लेकिन सियासी जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी ने केदारनाथ से आगामी विधानसभा चुनावों का शंखनाद कर दिया है.

केदार के द्वार से पीएम मोदी का चुनावी शंखनाद
केदार के द्वार से पीएम मोदी का चुनावी शंखनाद

यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी सत्ता पर फिर से काबिज होना चाहती है और हर बार की तरह इस बार भी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के सहारे ही वो चुनाव मैदान में जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे के बाद कहा जा सकता है कि वह लाइन लेंथ तय हो गई है जिसपर आगामी यूपी और उत्तराखंड के विधानसभा के लिए बीजेपी चलने वाली है.

हिंदू ह्रदय सम्राट नरेंद्र मोदी

सियासी जानकारों के मुताबिक इसमें कोई दो राय नहीं कि नरेंद्र मोदी हिंदुत्व का बड़ा चेहरा हैं. दिल्ली से लेकर बंगाल चुनाव समेत तमाम विधानसभा चुनावों और 2019 लोकसभा चुनाव तक में बीजेपी हिंदुत्व को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ती है और नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाया गया है. नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विकास, विश्वास की बात भले होती हो, लेकिन सियासी जानकारों के मुताबिक चुनाव के दौरान वोटों के ध्रुवीकरण के लिए नरेंद्र मोदी के हिंदू ह्रदय सम्राट किस्म के टाइटल खूब चलाए जाते हैं और ये बीजेपी के लिए काम भी करते हैं. पश्चिम बंगाल में बीजेपी भले चुनाव हार गई हो लेकिन 3 सीट से 77 सीट तक पहुंचने में नरेंद्र मोदी और हिंदुत्व के एजेंडे का बहुत बड़ा हाथ रहा है. इससे पहले 42 लोकसभा सीटों वाले बंगाल में ही 2014 में 2 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 2019 में 18 सीटें जीती थी.

आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी किया अनावरण
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी किया अनावरण

बंगाल सिर्फ एक उदाहरण भर है. विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव बीते 7 साल में बीजेपी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे को इतना बड़ा बना दिया है कि बाकी दलों के मुद्दे मानों लुप्त हो गए हैं. खासकर उत्तर प्रदेश में.

बाकी दल भी बीजेपी की राह पर

उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड या फिर बंगाल या दिल्ली, बीजेपी ने हिंदुत्व के एजेंडे को इतनी अच्छी तरह भुनाया है कि बाकी दल भी बीजेपी की राह पर चलने को मजबूर हो गए हैं. उत्तर प्रदेश में जो दल कभी दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यकों की बात करती थी वो अब ब्राह्मण, हिंदू और मंदरों की बात करते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हनुमान चालीसा पढ़ने से लेकर अयोध्या पहुंचकर राम लला के दर्शन करना और प्रियंका गांधी के गंगा स्नान से लेकर ममता बनर्जी का चंडी पाठ करने तक सब इन दलों की मजबूरी है.

सियासी जानकार मानते हैं कि पिछले सात सालों में बीजेपी के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के आगे बाकी दलों के मुद्दो गौण हो चले हैं. वरना एक दौर वो भी था जब सियासी दल किसी धर्म या समुदाय विशेष के सहारे अपनी सियासी रोटियां सेंकते थे लेकिन आज हर कोई बीजेपी का रास्ता काटना चाहता है. जानकार मानते हैं कि हर दल जानता है कि अगर बीजेपी का हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का एजेंडा चल निकला और वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो एक और आंधी में पूरा विपक्ष बह जाएगा, इसलिये हर कोई बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगाना चाहता है. सपा से लेकर बसपा और कांग्रेस तक बीजेपी को उसी की पिच पर उतरकर मात देने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : क्या यूपी में खत्म हो गई माइनॉरिटी पॉलिटिक्स, सपा-कांग्रेस क्यों नहीं उठा रही है मुसलमानों के सवाल ?

मंदिर-मंदिर मोदी-मोदी

नरेंद्र मोदी का मंदिर जाना कोई नई बात नहीं है, वो पहले से ही ऐसा करते रहे हैं और इस मुद्दे को पीएम मोदी और उनकी पार्टी भुनाती भी रही है. दूसरे दलों के नेता जब मंदिर या धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं तो उनपर प्रधानमंत्री की नकल का आरोप लगता है. वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में चार बार केदारनाथ जा चुके हैं.

विदेशों में भी कई मंदिरों में गए हैं पीएम मोदी
विदेशों में भी कई मंदिरों में गए हैं पीएम मोदी

इसके अलावा बदरीनाथ से लेकर काशी विश्वनाथ और सोमनाथ से लेकर तिरुपति बालाजी, शिरडी साईँ बाबा और कर्नाटक के मंजूनाथेश्वर मंदिर तक पीएम मोदी देश कई मंदिरों में जाते रहे हैं. उनकी यही छवि हिंदुत्व के उस खांचे में सटीक बैठती है जिसमें दूसरे दलों के नेता ढलने की कोशिश तो करते हैं लेकिन उनका इतिहास इसके आड़े आ जाता है, जबकि नरेंद्र मोदी को पहले से ही हिंदू ह्रदय सम्राट कहा जाता रहा है.

वैसे पीएम मोदी देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी अपनी हिंदुत्व वाली छवि को लेकर सुर्खियां बटोर चुके हैं. नरेंद्र मोदी की वजह से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी हिंदू और हिंदुत्व का जिक्र कर चुके हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद वो कई देशों के दौरों पर मंदिर में पहुंचते रहे हैं फिर चाहे नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर हो या फिर बांग्लादेश का जेशोरेश्वरी काली मंदिर, बहरीन का श्रीकृष्ण मंदिर हो या कनाडा का लक्ष्मी नारायण मंदिर, पीएम मोदी ने अपनी हिंदुत्व वाली छवि को विदेशों में भी बरकरार रखा है. बीजेपी इसे अधिक से अधिक प्रचारित करके उनकी छवि का फायदा उठाती रही है.

राम मंदिर की आधारशिला

भारतीय जनता पार्टी के उदय, संघर्ष और सत्ता तक पहुंचने तक में राम मंदिर आंदोलन का बड़ा हाथ रहा है. बीजेपी इस मुद्दे पर हमेशा से एकाधिकार जताती रही है. इस बार के विधानसभा चुनावों खासकर उत्तर प्रदेश में ये मुद्दा बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखी थी. ऐसे में राम मंदिर का जिक्र बीजेपी के लिए लाजमी है. कांग्रेस समेत तमाम दल भी अब राम का नाम जपने लगे हैं. सियासी जानकार मानते हैं कि राम मंदिर का मुद्दा सुर्खियों में रहा हो या ना रहा हो, बीजेपी सत्ता में रही हो या ना रही हो, मंदिर का मुद्दा हमेशा बीजेपी का रहा है. लेकिन इस बार बाकी दल भी इस मुद्दे में अपनी हिस्सेदारी तलाश रहे हैं. अरविंद केजरीवाल से लेकर प्रियंका गांधी तक मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और सपा से लेकर बसपा तक ब्राह्मणों को लुभाने के लिए जनसभाएं और कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है.

देश के कई मंदिरों में पहुंचते रहे हैं पीएम मोदी
देश के कई मंदिरों में पहुंचते रहे हैं पीएम मोदी

ये पीएम मोदी का स्टाइल है

नरेंद्र मोदी भले केदारनाथ में रहे हों लेकिन उन्होंने वहीं से मथुरा, काशी, अयोध्या का जिक्र छेड़कर यूपी और केदारनाथ त्रासदी को याद करके उत्तराखंड को साधने की कोशिश की. इसके अलावा आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगो, शक्तिपीठों का जिक्र भी पीएम मोदी ने किया. केदारनाथ त्रासदी, केदारनाथ के विकास, चारधाम सड़क परियोजना. हेमकुंड साहिब के दर्शन आसान बनाने का जिक्र और साथ ही उत्तराखंड में 100 फीसदी सिंगल डोज़ का लक्ष्य हासिल करने का जिक्र भी किया. कुल मिलाकर पीएम मोदी ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं.

देश के 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, हिमाचल और गुजरात में अगले साल के आखिर में चुनाव होने हैं और 3 नवंबर को 29 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आए हैं जो बीजेपी के लिए अच्छे तो बिल्कुल नहीं कहे जा सकते. सियासी विश्लेषक मानते हैं कि पीएम मोदी ना तो कोई बात बिना मायने की कहते हैं और ना ही कोई कदम यूं ही उठाते हैं. ये नरेंद्र मोदी का स्टाइल है.

अपनी हिंदुत्व वाली छवि को मजबूत करते रहें हैं नरेंद्र मोदी
अपनी हिंदुत्व वाली छवि को मजबूत करते रहें हैं नरेंद्र मोदी

इसी साल 1 मार्च को जब प्रधानमंत्री ने दिल्ली के एम्स में कोरोना वैक्सीन का पहला डोज़ लिया था तो वैक्सीन लेते नरेंद्र मोदी की तस्वीर के कई मायने थे. पीएम मोदी ने गले में असम का गमछा डाला हुआ था और उन्हें वैक्सीन देने वाली एक नर्स पुडुचेरी और दूसरी केरल से थी, ध्यान रहे कि उस वक्त पश्चिम बंगाल, असम, गोवा, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले थी. उस समय इस बात की खूब चर्चा हुई थी. कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ दौरे से आगामी विधानसभा चुनाव की थीम हिंदुत्व के लाइन लेंथ सेट कर दी है, जो उनके लिए सबसे मुफीद है साथ ही नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपनी हिंदुत्व वाली छवि को और मजबूत भी किया है.

ये भी पढ़ें: 'मास्टरस्ट्रोक' या 'सेल्फ गोल' ?, UP में क्यों हो रही ब्राह्मणों की पूछ ?

हैदराबाद: 5 अक्टूबर 2021, दिवाली की अगली सुबह जब देश की राजधानी दिल्ली पटाखों के धुंए की में लिपटी हुई थी, तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर केदारनाथ पहुंच चुके थे. पीएम मोदी ने बाबा केदार के दर्शन किए, पूजा-पाठ किया और जनता को संबोधित भी किया. लेकिन सवाल है कि क्या ये केदारनाथ से आगामी विधानसभा चुनावों का शंखनाद था ? खासकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए.

केदार के द्वार से अयोध्या, मथुरा और काशी का जिक्र

केदार की शरण में पीएम मोदी
केदार की शरण में पीएम मोदी

पीएम मोदी भले केदारनाथ में थे लेकिन उनकी जुबां पर अयोध्या, मथुरा और काशी का जिक्र आ ही गया. राम मंदिर के निर्माण से लेकर मथुरा और काशी विश्वनाथ से होते हुए चार धाम तक का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने धर्म, आस्था और धार्मिक यात्राओं को जीवन का अहम हिस्सा बता दिया. केदार के द्वार पर धर्म और आस्था की बात पहली नजर में आम लग सकती है, लेकिन सियासी जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी ने केदारनाथ से आगामी विधानसभा चुनावों का शंखनाद कर दिया है.

केदार के द्वार से पीएम मोदी का चुनावी शंखनाद
केदार के द्वार से पीएम मोदी का चुनावी शंखनाद

यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी सत्ता पर फिर से काबिज होना चाहती है और हर बार की तरह इस बार भी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के सहारे ही वो चुनाव मैदान में जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे के बाद कहा जा सकता है कि वह लाइन लेंथ तय हो गई है जिसपर आगामी यूपी और उत्तराखंड के विधानसभा के लिए बीजेपी चलने वाली है.

हिंदू ह्रदय सम्राट नरेंद्र मोदी

सियासी जानकारों के मुताबिक इसमें कोई दो राय नहीं कि नरेंद्र मोदी हिंदुत्व का बड़ा चेहरा हैं. दिल्ली से लेकर बंगाल चुनाव समेत तमाम विधानसभा चुनावों और 2019 लोकसभा चुनाव तक में बीजेपी हिंदुत्व को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ती है और नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाया गया है. नरेंद्र मोदी के चेहरे पर विकास, विश्वास की बात भले होती हो, लेकिन सियासी जानकारों के मुताबिक चुनाव के दौरान वोटों के ध्रुवीकरण के लिए नरेंद्र मोदी के हिंदू ह्रदय सम्राट किस्म के टाइटल खूब चलाए जाते हैं और ये बीजेपी के लिए काम भी करते हैं. पश्चिम बंगाल में बीजेपी भले चुनाव हार गई हो लेकिन 3 सीट से 77 सीट तक पहुंचने में नरेंद्र मोदी और हिंदुत्व के एजेंडे का बहुत बड़ा हाथ रहा है. इससे पहले 42 लोकसभा सीटों वाले बंगाल में ही 2014 में 2 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 2019 में 18 सीटें जीती थी.

आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी किया अनावरण
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भी किया अनावरण

बंगाल सिर्फ एक उदाहरण भर है. विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव बीते 7 साल में बीजेपी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे को इतना बड़ा बना दिया है कि बाकी दलों के मुद्दे मानों लुप्त हो गए हैं. खासकर उत्तर प्रदेश में.

बाकी दल भी बीजेपी की राह पर

उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड या फिर बंगाल या दिल्ली, बीजेपी ने हिंदुत्व के एजेंडे को इतनी अच्छी तरह भुनाया है कि बाकी दल भी बीजेपी की राह पर चलने को मजबूर हो गए हैं. उत्तर प्रदेश में जो दल कभी दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यकों की बात करती थी वो अब ब्राह्मण, हिंदू और मंदरों की बात करते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हनुमान चालीसा पढ़ने से लेकर अयोध्या पहुंचकर राम लला के दर्शन करना और प्रियंका गांधी के गंगा स्नान से लेकर ममता बनर्जी का चंडी पाठ करने तक सब इन दलों की मजबूरी है.

सियासी जानकार मानते हैं कि पिछले सात सालों में बीजेपी के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के आगे बाकी दलों के मुद्दो गौण हो चले हैं. वरना एक दौर वो भी था जब सियासी दल किसी धर्म या समुदाय विशेष के सहारे अपनी सियासी रोटियां सेंकते थे लेकिन आज हर कोई बीजेपी का रास्ता काटना चाहता है. जानकार मानते हैं कि हर दल जानता है कि अगर बीजेपी का हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का एजेंडा चल निकला और वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो एक और आंधी में पूरा विपक्ष बह जाएगा, इसलिये हर कोई बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगाना चाहता है. सपा से लेकर बसपा और कांग्रेस तक बीजेपी को उसी की पिच पर उतरकर मात देने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : क्या यूपी में खत्म हो गई माइनॉरिटी पॉलिटिक्स, सपा-कांग्रेस क्यों नहीं उठा रही है मुसलमानों के सवाल ?

मंदिर-मंदिर मोदी-मोदी

नरेंद्र मोदी का मंदिर जाना कोई नई बात नहीं है, वो पहले से ही ऐसा करते रहे हैं और इस मुद्दे को पीएम मोदी और उनकी पार्टी भुनाती भी रही है. दूसरे दलों के नेता जब मंदिर या धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं तो उनपर प्रधानमंत्री की नकल का आरोप लगता है. वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में चार बार केदारनाथ जा चुके हैं.

विदेशों में भी कई मंदिरों में गए हैं पीएम मोदी
विदेशों में भी कई मंदिरों में गए हैं पीएम मोदी

इसके अलावा बदरीनाथ से लेकर काशी विश्वनाथ और सोमनाथ से लेकर तिरुपति बालाजी, शिरडी साईँ बाबा और कर्नाटक के मंजूनाथेश्वर मंदिर तक पीएम मोदी देश कई मंदिरों में जाते रहे हैं. उनकी यही छवि हिंदुत्व के उस खांचे में सटीक बैठती है जिसमें दूसरे दलों के नेता ढलने की कोशिश तो करते हैं लेकिन उनका इतिहास इसके आड़े आ जाता है, जबकि नरेंद्र मोदी को पहले से ही हिंदू ह्रदय सम्राट कहा जाता रहा है.

वैसे पीएम मोदी देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी अपनी हिंदुत्व वाली छवि को लेकर सुर्खियां बटोर चुके हैं. नरेंद्र मोदी की वजह से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी हिंदू और हिंदुत्व का जिक्र कर चुके हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद वो कई देशों के दौरों पर मंदिर में पहुंचते रहे हैं फिर चाहे नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर हो या फिर बांग्लादेश का जेशोरेश्वरी काली मंदिर, बहरीन का श्रीकृष्ण मंदिर हो या कनाडा का लक्ष्मी नारायण मंदिर, पीएम मोदी ने अपनी हिंदुत्व वाली छवि को विदेशों में भी बरकरार रखा है. बीजेपी इसे अधिक से अधिक प्रचारित करके उनकी छवि का फायदा उठाती रही है.

राम मंदिर की आधारशिला

भारतीय जनता पार्टी के उदय, संघर्ष और सत्ता तक पहुंचने तक में राम मंदिर आंदोलन का बड़ा हाथ रहा है. बीजेपी इस मुद्दे पर हमेशा से एकाधिकार जताती रही है. इस बार के विधानसभा चुनावों खासकर उत्तर प्रदेश में ये मुद्दा बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 5 अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखी थी. ऐसे में राम मंदिर का जिक्र बीजेपी के लिए लाजमी है. कांग्रेस समेत तमाम दल भी अब राम का नाम जपने लगे हैं. सियासी जानकार मानते हैं कि राम मंदिर का मुद्दा सुर्खियों में रहा हो या ना रहा हो, बीजेपी सत्ता में रही हो या ना रही हो, मंदिर का मुद्दा हमेशा बीजेपी का रहा है. लेकिन इस बार बाकी दल भी इस मुद्दे में अपनी हिस्सेदारी तलाश रहे हैं. अरविंद केजरीवाल से लेकर प्रियंका गांधी तक मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और सपा से लेकर बसपा तक ब्राह्मणों को लुभाने के लिए जनसभाएं और कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है.

देश के कई मंदिरों में पहुंचते रहे हैं पीएम मोदी
देश के कई मंदिरों में पहुंचते रहे हैं पीएम मोदी

ये पीएम मोदी का स्टाइल है

नरेंद्र मोदी भले केदारनाथ में रहे हों लेकिन उन्होंने वहीं से मथुरा, काशी, अयोध्या का जिक्र छेड़कर यूपी और केदारनाथ त्रासदी को याद करके उत्तराखंड को साधने की कोशिश की. इसके अलावा आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगो, शक्तिपीठों का जिक्र भी पीएम मोदी ने किया. केदारनाथ त्रासदी, केदारनाथ के विकास, चारधाम सड़क परियोजना. हेमकुंड साहिब के दर्शन आसान बनाने का जिक्र और साथ ही उत्तराखंड में 100 फीसदी सिंगल डोज़ का लक्ष्य हासिल करने का जिक्र भी किया. कुल मिलाकर पीएम मोदी ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं.

देश के 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, हिमाचल और गुजरात में अगले साल के आखिर में चुनाव होने हैं और 3 नवंबर को 29 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आए हैं जो बीजेपी के लिए अच्छे तो बिल्कुल नहीं कहे जा सकते. सियासी विश्लेषक मानते हैं कि पीएम मोदी ना तो कोई बात बिना मायने की कहते हैं और ना ही कोई कदम यूं ही उठाते हैं. ये नरेंद्र मोदी का स्टाइल है.

अपनी हिंदुत्व वाली छवि को मजबूत करते रहें हैं नरेंद्र मोदी
अपनी हिंदुत्व वाली छवि को मजबूत करते रहें हैं नरेंद्र मोदी

इसी साल 1 मार्च को जब प्रधानमंत्री ने दिल्ली के एम्स में कोरोना वैक्सीन का पहला डोज़ लिया था तो वैक्सीन लेते नरेंद्र मोदी की तस्वीर के कई मायने थे. पीएम मोदी ने गले में असम का गमछा डाला हुआ था और उन्हें वैक्सीन देने वाली एक नर्स पुडुचेरी और दूसरी केरल से थी, ध्यान रहे कि उस वक्त पश्चिम बंगाल, असम, गोवा, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले थी. उस समय इस बात की खूब चर्चा हुई थी. कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ दौरे से आगामी विधानसभा चुनाव की थीम हिंदुत्व के लाइन लेंथ सेट कर दी है, जो उनके लिए सबसे मुफीद है साथ ही नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपनी हिंदुत्व वाली छवि को और मजबूत भी किया है.

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