पुणे: महाराष्ट्र के पुणे शहर का नाम कोरोना काल के दौरान मुख्य रूप से देश में सबसे ज्यादा मरीजों वाले शहर के रूप में सामने आया. इस दौरान पूरे प्रदेश के लोगों ने देखा कि यहां कोरोना से मरने वालों की संख्या काफी बड़ी थी, जोकि एक गंभीर विषय था. कोरोना काल को बीते इतना समय बीत गया है, लेकिन शवों को ले जाने वाले वाहनों और उनके चालकों की कमी उस दौरान भी लोगों को झेलनी पड़ी और आज भी इस समस्या से लोग जूझ रहे हैं.
ताजा मामला पुणे के कैंप एरिया मोदिखाना का है, जहां रहने वाले चाबुकेश्वर परिवार की 95 वर्षीय दादी का निधन हो गया. शव को मुर्दाघर के लिए रात 10 बजे नवा मोदिखाना कैंप से महज 500 मीटर दूर पटेल अस्पताल ले जाया जाना था. जब परिजन बोर्ड के धोबी घाट पार्किंग स्थल पर शव लाने गए तो उन्होंने पाया कि शव वाहन का चालक उपलब्ध नहीं है. अंत में परिजन दादी के शव को ऑटो रिक्शे में लादकर छावनी अस्पताल के मुर्दाघर ले आए.
हालांकि शवगृह बंद होने के कारण इन परिजनों को ऑटो रिक्शे से शव को ससून अस्पताल ले जाना पड़ा. प्रशासन की इस ढिलाई से परिजनों को काफी परेशानी का सामने करना पड़ा. पुणे छावनी बोर्ड के वाहन विभाग में चालकों की भारी कमी है. रात के समय दमकल के अलावा शववाहन जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए वाहन तो उपलब्ध रहता है, लेकिन उसे चलाने के लिए चालक उपलब्ध नहीं होता है. यह गंभीर मामला बीती रात सामने आया. इससे मृतक के परिजनों ने ऑटो रिक्शे में शव लादकर ले जाने पर काफी आक्रोश व्यक्त किया है.