जयपुर. कश्मीर समेत एशिया के ठंडे इलाकों और पूर्वी यूरोप में पाया जाने वाला गुलदाउदी (chrysanthemum) फूलों का पौधा इन दिनों जयपुर को महका रहा है. खास बात यह है कि ये पौधे ठंडे वातावरण में ही पनपता है, पर जयपुर के एक किसान ने 40 डिग्री से ऊपर के तापमान में इन फूलों का उत्पादन करने में कामयाबी हासिल की है. सजावटी फूलों में शुमार इस गुलदाउदी को बेरुत में मुहैया करवाने वाले किसान लालाराम ने इसके लिये खासा मेहनत की है. गौर है कि लालाराम की पहचान एक प्रगतिशील किसान के रूप में है. इन्हें प्रदेश के पॉली हाउस की शुरुआत करने वाले किसान के रूप में भी पहचाना जाता है.
उत्सवों की पहचान बनी गुलदाउदी : पारंपरिक गुलाब के फूलों से इतर जाकर दिलचस्पी रखने वाले लोगों को शादी ब्याह की सजावट से लेकर छोटे-मोटे जलसों में अतरंगी फूलों की जरुरत होती है. ऐसे में फ्लावर डेकोरेशन के मार्केट में बड़ी संभावनाओं को देखते हुए किसान लालाराम ने पारंपरिक सब्जी का उत्पानद छोड़ फूलों की खेती करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने पॉली हाउस की उपज को भी बदल दिया. आम तौर पर शिमला मिर्च और खीरे की खेती के लिये पहचाने जाने वाले पॉली हाउस में ऑफ सीजन की फसल लेने के मकसद से गुलदाउदी पर काम किया और सफलता हासिल की. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि वे मुनाफे अच्छा होने के कारण अब फूलों की खेती करते हैं. इसके लिये वे अक्सर मौसम की चुनौती को भी स्वीकार करते हैं. अब बाजार की डिमांड के मुताबिक महंगी किस्म के फूलों की उगा रहे हैं.
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फूलों से चौगुनी हुई आमदनी : किसान लालाराम बताते हैं कि फूलों की खेती को अपनाकर उनकी आमदनी सब्जियों के मुकाबले चार गुना ज्यादा है. गुलदाउदी की डिमांड पर पहले दिल्ली के जरिये फूल मंगाए जाते थे, पर लालाराम ने जयपुर में ही इसे उगाना शुरु कर दिया. पहले सर्दियों में इसकी पैदावार ली और फिर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक विपरीत परिस्थितियों में भी इसका उत्पादन की. उन्होंने पॉली हाउस में ही ठंडा वातावरण बनाया. वे गुलदाउदी के अलावा भी अन्य फूलों की उगा रहे हैं. लालाराम बताते हैं कि उनकी नर्सरी में गेंदे की विदेशी नस्ल को उगाने में भी सफलता हासिल की है. वे हॉलैण्ड की किस्म का गेंदा जयपुर में उगा रहे हैं. वे दो लाख रुपए के बीज आयात करके वे करीब 17 से 18 लाख रुपए का मुनाफा कमाते हैं. लालाराम ने अन्य किसानों को सुझाव देते हुए बताया कि वे अपने अनुभव के आधार पर ये कह सकते हैं कि ठान लेने के बाद कुछ भी नामुमकिन नहीं है.