नई दिल्ली : देश के कई राज्यों में चिलचिलाती गर्मी से लोगों का बुरा हाल है. यूपी-बिहार में गर्मी के कारण करीब 100 लोगों की मौत की रिपोर्ट सामने आई है. ओडिशा में लू से पहली मौत की पुष्टि हो गई है. ऐसे में इन राज्यों में बारिश ही इस गर्मी से कुछ राहत दे सकती है, लेकिन मानसून इन राज्यों तक अभी नहीं पहुंचा है.
यूपी के बलिया में 44 की मौत : यूपी के बलिया में पिछले 50 घंटे में 44 लोगों की मौत हो गई और लगभग 400 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डॉक्टरों ने कहा कि मौतों के अलग-अलग कारण हैं, जिनमें से भीषण गर्मी एक कारक हो सकती है. उत्तर प्रदेश भीषण गर्मी की चपेट में है और अधिकांश स्थानों पर तापमान 40 डिग्री के आसपास देखा जा रहा है.
शनिवार को बलिया का अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से पांच डिग्री अधिक था. मौसम विभाग के मुताबिक, बलिया में 16 जून को अधिकतम तापमान 42.2 डिग्री सेल्सियस (सामान्य से पांच डिग्री अधिक) और 15 जून को 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
बिहार में लू से 27 लोगों की मौत : बिहार में प्रचंड लू से 27 लोगों की मौत हो गई है, जबकि अधिकांश स्थानों पर पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. यहां भी सूरज की तपिश से लोगों का बुरा हाल है. शनिवार को पटना का अधिकतम तापमान 44.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. शेखपुरा 45.1 डिग्री सेल्सियस के साथ राज्य में सबसे गर्म रहा. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यूपी-बिहार में करीब 100 लोगों की मौत गर्मी की वजह से हो चुकी है.
-
Warning of the day. #India #IMD #heatwave #WeatherUpdate@moesgoi @DDNewslive @airnewsalerts @ndmaindia pic.twitter.com/FKWHSLXJVo
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Warning of the day. #India #IMD #heatwave #WeatherUpdate@moesgoi @DDNewslive @airnewsalerts @ndmaindia pic.twitter.com/FKWHSLXJVo
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 18, 2023Warning of the day. #India #IMD #heatwave #WeatherUpdate@moesgoi @DDNewslive @airnewsalerts @ndmaindia pic.twitter.com/FKWHSLXJVo
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 18, 2023
ओडिशा ने की लू से पहली मौत की पुष्टि : ओडिशा में लगातार गर्म और उमस भरे मौसम के बीच राज्य सरकार ने लू से संबंधित पहली मौत की पुष्टि की है और मृतक के परिवार के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि मंजूर की है. एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी.
अभी नहीं मिलेगी गर्मी से राहत : मौसम विभाग के मुताबिक विदर्भ के कुछ हिस्सों और तटीय आंध्र प्रदेश, बिहार, ओडिशा के कुछ हिस्सों में और गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में लू से लेकर भीषण गर्मी की स्थिति बनी रहेगी.
इसके साथ ही और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, तेलंगाना, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, रायलसीमा, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के अलग-अलग हिस्सों में लू की स्थिति रहेगी.
-
Warning of the day. #India #IMD #heavyrain #heavyrainfall #Weather #WeatherUpdate@moesgoi @DDNewslive @airnewsalerts @ndmaindia pic.twitter.com/sYFFq6i75d
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Warning of the day. #India #IMD #heavyrain #heavyrainfall #Weather #WeatherUpdate@moesgoi @DDNewslive @airnewsalerts @ndmaindia pic.twitter.com/sYFFq6i75d
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 18, 2023Warning of the day. #India #IMD #heavyrain #heavyrainfall #Weather #WeatherUpdate@moesgoi @DDNewslive @airnewsalerts @ndmaindia pic.twitter.com/sYFFq6i75d
— India Meteorological Department (@Indiametdept) June 18, 2023
अल नीनो का असर : मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून लेट होने और कई राज्यों में ज्यादा गर्मी अल नीनो के कारण हो सकती है. भारत में अल नीनो के कारण मानसून के मौसम में वर्षा कम हो जाती है. अलनीनो, जिसका स्पेनिश में अर्थ है छोटा लड़का, भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के पानी के असामान्य रूप से गर्म होने को संदर्भित करता है जो विश्व स्तर पर मौसम की घटनाओं को प्रभावित करता है.
अल नीनो का क्या कारण है? : अलनीनो पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में असामान्य रूप से गर्म पानी से पैदा हुआ एक प्राकृतिक जलवायु पैटर्न है. यह तब बनता है जब भूमध्यरेखीय प्रशांत के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं धीमी हो जाती हैं या हवा के दबाव में बदलाव के रूप में उलट जाती हैं.
प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का पानी हर दो से सात साल में गर्म और ठंडे चरण के बीच वैकल्पिक होता है, बीच में एक तटस्थ चरण आता है. इस उतार-चढ़ाव वाली प्रणाली को अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन या ENSO कहा जाता है.
इस साल की शुरुआत में अल नीनो के अगस्त में उभरने की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन संशोधित भविष्यवाणियों के मुताबिक यह मई-जुलाई की अवधि के दौरान बनेगा. हालांकि, जून के महीने में अलनीनो की ताकत में अचानक वृद्धि ने सभी को चौंकाया है.
सौ साल में 18 बार पड़ा सूखा : एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय संदर्भ में पिछले सौ वर्षों में 18 बार सूखा पड़ा है और इनमें से 13 बार ऐसा अल नीनो के कारण हुआ. 1900 और 1950 के बीच सात बार अल का असर देखा गया. 1951 से 2021 की अवधि में 15 बार इसका असर रहा. 1951 से अलनीनो वाले साले की बात की जाए तो 1953, 1957, 1963, 1965, 1969, 1972, 1982, 1987, 1991, 1997, 2002, 2004, 2009 और 2015 थे.