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भारत की आधी कामकाजी आबादी कर्जदार : रिपोर्ट

क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी (Credit Information Company-CIC) की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि देश की कुल 40 करोड़ कामकाजी आबादी के करीब आधे लोग कर्जदार हैं, जिन्होंने कम से कम एक ऋण लिया है या उनके पास क्रेडिट कार्ड है. ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के मुताबिक ऋण संस्थान (credit institution) तेजी से नए ग्राहकों के लिहाज से संतृप्ति स्तर के करीब पहुंच रहे हैं.

भारत की आधी कामकाजी आबादी कर्जदार
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Published : Jun 29, 2021, 2:28 PM IST

मुंबई : क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी (Credit Information Company-CIC) की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि देश की कुल 40 करोड़ कामकाजी आबादी के करीब आधे लोग कर्जदार हैं, जिन्होंने कम से कम एक ऋण लिया है या उनके पास क्रेडिट कार्ड है. ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के मुताबिक ऋण संस्थान (credit institution) तेजी से नए ग्राहकों के लिहाज से संतृप्ति स्तर के करीब पहुंच रहे हैं.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एक अनुमान के मुताबिक जनवरी 2021 तक भारत की कुल कामकाजी आबादी 40.07 करोड़ थी, जबकि खुदरा ऋण बाजार में 20 करोड़ लोगों ने किसी न किसी रूप में कर्ज लिया है.

गौरतलब है कि पिछले एक दशक में बैंकों ने खुदरा ऋण को प्राथमिकता दी, लेकिन महामारी (Pandemic) के बाद इस खंड में वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है. सीआईसी के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 18-33 वर्ष की आयु के 40 करोड़ लोगों के बीच कर्ज बाजार की वृद्धि की संभावनाएं हैं और इस खंड में ऋण का प्रसार सिर्फ आठ प्रतिशत है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी (Credit Information Company-CIC) की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि देश की कुल 40 करोड़ कामकाजी आबादी के करीब आधे लोग कर्जदार हैं, जिन्होंने कम से कम एक ऋण लिया है या उनके पास क्रेडिट कार्ड है. ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के मुताबिक ऋण संस्थान (credit institution) तेजी से नए ग्राहकों के लिहाज से संतृप्ति स्तर के करीब पहुंच रहे हैं.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एक अनुमान के मुताबिक जनवरी 2021 तक भारत की कुल कामकाजी आबादी 40.07 करोड़ थी, जबकि खुदरा ऋण बाजार में 20 करोड़ लोगों ने किसी न किसी रूप में कर्ज लिया है.

गौरतलब है कि पिछले एक दशक में बैंकों ने खुदरा ऋण को प्राथमिकता दी, लेकिन महामारी (Pandemic) के बाद इस खंड में वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है. सीआईसी के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 18-33 वर्ष की आयु के 40 करोड़ लोगों के बीच कर्ज बाजार की वृद्धि की संभावनाएं हैं और इस खंड में ऋण का प्रसार सिर्फ आठ प्रतिशत है.

(पीटीआई-भाषा)

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