देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के चौंकाने वाले नतीजे सामने आ रहे हैं. कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जहां लालकुआं सीट से हार का सामना करना पड़ा, वहीं अब मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी को भी जनता ने नकार दिया है. सीएम धामी खटीमा विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गए है. इस सीट पर कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने जीत हासिल की है. पुष्कर सिंह धामी की इस हार को बड़ी हार माना जा रहा है. पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद प्रदेश के सियासी गलियारों में सीएम फेस को लेकर अटकलें भी तेज हो गई हैं.
पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से लगातार दो बार चुनाव जीतते आ रहे थे. इस बार जनता ने धामी की उम्मीदों को झटका दिया है. बता दें, बीजेपी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लड़ा. अब पुष्कर सिंह धामी अपनी ही सीट बचाने में विफल साबित हुए हैं.
बता दें, पांच महीने पहले ही बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया था. तब बीजेपी आलाकमान ने कई बैठकों के दौर के बाद दिग्गज नेताओं में सामंजस्य बिठाने की कोशिश करते हुए 45 वर्षीय पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री पद सौंपा था. पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
पुष्कर सिंह धामी का सफरनामा
पुष्कर सिंह धामी का जन्म जनपद पिथौरागढ़ के हड़खोला गांव में हुआ. धामी एक साधारण फौजी परिवार से आते हैं. उन्होंने प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल से पूरी की. धामी के अगर राजनीतिक सफर की बात करें तो साल 1994-1995 में उन्होंने विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ली थी. जिसके बाद वह 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के ओएसडी रहे. 2005 में धामी भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष बने. 2010-12 तक वह शहरी अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष रहे. साल 2012 में पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने.
2013 में वह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बनाये गये. साल 2017 में वह दूसरी बार विधायक चुने गये. 4 जुलाई, 2021 को पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की कमान सौंपी गई. तीरथ सिंह रावत को हटाकर उन्हें राज्य का 11वां मुख्यमंत्री बनाया गया था. साल 2022 में धामी के नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव लड़ा. मगर इस बार पुष्कर सिंह धामी हैट्रिक लगाने से चूक गए. विधानसभा चुनावों में मिली हार से उनके दोबारा सीएम बनने की उम्मीद को भी झटका लगा है.
बता दें, उत्तराखंड में अभी तक कोई भी सिगिंट सीएम चुनाव में उतरकर प्रदेश का सिरमौर नहीं बन पाया. इसे अपवाद कहें या नियति. मगर, उत्तराखंड की जनता ने विधानसभा चुनाव में किसी सिटिंग मुख्यमंत्री को नहीं जिताया. लिहाजा, मुख्यमंत्री पद को लेकर उत्तराखंड में जो भी सियासी प्रयोग हुए हैं वह निरर्थक ही साबित हुए हैं. राज्य गठन के बाद 21 साल के इस युवा उत्तराखंड की राजनीति में एक अध्याय ऐसा भी है जिसे उत्तराखंड के इतिहास में आज तक बदला नहीं जा सका. उत्तराखंड में अभी तक कोई भी सीटिंग सीएम विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाया है.
राज्य गठन के बाद पहली अंतरिम सरकार में 30 अक्टूबर 2021 से 1 मार्च 2002 तक 123 दिनों के लिए मुख्यमंत्री रहे भगत सिंह कोश्यारी के नेतृत्व में उत्तराखंड का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा गया था. तत्कालीन सीएम कोश्यारी अपने गृह जनपद बागेश्वर की कपकोट विधानसभा से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. लेकिन बतौर कैप्टन वह बीजेपी को चुनाव जिताने में नाकाम साबित हुए और फिर कांग्रेस सरकार में उन्होंने बतौर नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई.
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