ग्वालियर। शहर के बीचों-बीच बने तारा माई के मंदिर की स्थापना 1952 में की गई थी. तारा माई भगवान राम की कुलदेवी हैं. उनकी उपासना विद्या और तंत्र साधना के लिए विशेष मानी जाती है. खास बात यह है कि नवरात्रि के दिनों में यहां भक्तों की मनोकामना के लिए 9 दिन तक शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है. यहां यज्ञ करने वाले भक्त भी इसी मंदिर के होते हैं.
मंदिर में एकांतवास: कहते हैं कि तारा माई का दरबार साधकों के लिए मनोवांछित फलों की प्राप्ति देने वाला है. यही कारण है कि नवरात्रि में यहां साधक तंत्र साधना विधि से तारा माई की आराधना करते हैं. तारा माई के मंदिर में एकांतवास होता है. इस दौरान यहां किसी तरह का कोई शोर-शराबा नहीं होता है. यहां नवरात्रि में रात भर साधकों द्वारा माला का जाप किया जाता है. यहां पर जो भक्त पहुंचता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
नेताओं की लगती है अर्जी: इस मंदिर पर राजनीतिक हस्तियां भी अपना सिर झुकाती हैं. जब किसी भी राजनीतिक हस्ती पर संकट आता है तो वह मां के दरबार में पहुंचता है. कई ऐसे राजनेता हैं, जो तंत्र साधना के जरिए अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. यही कारण है कि कई बड़े नाम यहां एकांतवास में माला का जप करते दिखाई देते हैं. तारा मां के दरबार में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी भी पूजा-अर्चना करने पहुंचते थे. उनके साथ ही मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर जैसे बड़े नेता भी यहां आ चुके हैं.
दिन-रात चलती है आराधना: मंदिर के पुजारी ने बताया कि तारा माई ज्ञान की देवी हैं. ग्वालियर ही नहीं, देश के कोने-कोने से लोग मां के दरबार में पहुंचते हैं. नवरात्रि पर यहां सबसे अधिक भीड़ रहती है. यहां एकांतवास में मां की आराधना दिन-रात चलती रहती है. श्रद्धालुओं ने कहा कि तारा माई का दरबार अनोखा है. यहां पर जो भक्त पहुंचता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है.