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प्रशासन की लापरवाही, जिंदा मरीज को घोषित किया मृत

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Published : May 8, 2020, 6:11 PM IST

गुजरात सरकार की अक्षमता को उजागर हुई है. गांधीनगर जिले के अडालज गांव के 40 वर्षीय व्यक्ति वर्सिंह वासफोडिया की 30 अप्रैल को जब जांच हुई, तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन इसके अगले दिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. वर्तमान समय में वर्सिंह वासफोडिया का अहमदाबाद कैसर अस्पताल में इलाज चल रहा है.

corona virus positive youth declared dead
स्वास्थ्य विभाग ने गुजरात सरकार की पूरी अक्षमता को उजागर किया है

गांधीनगर : जिला कलेक्टर, नगर आयुक्त और जिला स्वास्थ्य अधिकारी न केवल कोरोना वायरस को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं, बल्कि एक दूसरे की टांग भी खींच रहे हैं. जिला स्वास्थ्य अधिकारी जिला कलेक्टर की तरह व्यवहार कर रहे हैं और जिला विकास अधिकारी की बात नहीं मान रहे. बता दें कि स्वास्थ्य अधिकारी ने हाल ही में एक युवा को इस तथ्य की पुष्टि किए बिना मृत घोषित कर दिया कि वह कैंसर अस्पताल की पांचवीं मंजिल में उपचाराधीन है.

घटना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि सरकार मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा चलाई जा रही है, जो पैसे कमाने में अधिक रुचि रखते हैं, रोगियों के इलाज में नहीं. गांधीनगर जिला स्वास्थ्य अधिकारी और नगर निगम के चिकित्सा अधिकारी दोनों ही सटीक जानकारी नहीं दे रहे हैं. इसके उलट जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक-दूसरे की टांग खींच रहे हैं.

प्रशासन की बड़ी लापरवाही

यही कारण है कि इस तरह की बड़ी गड़बड़ी हुई है. गांधीनगर के जिला कलेक्टर, नगर आयुक्त, जिला स्वास्थ्य अधिकारी और राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि सहित वरिष्ठ अधिकारियों में से किसी ने भी आज तक अस्पताल का दौरा नहीं किया है. यह जानने की कोशिश नहीं की गई कि कितने रोगियों का उपचार चल रहा है और अस्पताल में क्या सुविधाएं हैं.

यह भी पढ़ें : कोरोना : कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए एचएएल ने किए उपाय, संचालन शुरू

अब सवाल यह है कि क्या रूपाणी सरकार ने कोरोना वायरस के जिंदा मरीज को मृत घोषित करने के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके उदाहरण स्थापित किया?

गांधीनगर : जिला कलेक्टर, नगर आयुक्त और जिला स्वास्थ्य अधिकारी न केवल कोरोना वायरस को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं, बल्कि एक दूसरे की टांग भी खींच रहे हैं. जिला स्वास्थ्य अधिकारी जिला कलेक्टर की तरह व्यवहार कर रहे हैं और जिला विकास अधिकारी की बात नहीं मान रहे. बता दें कि स्वास्थ्य अधिकारी ने हाल ही में एक युवा को इस तथ्य की पुष्टि किए बिना मृत घोषित कर दिया कि वह कैंसर अस्पताल की पांचवीं मंजिल में उपचाराधीन है.

घटना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि सरकार मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा चलाई जा रही है, जो पैसे कमाने में अधिक रुचि रखते हैं, रोगियों के इलाज में नहीं. गांधीनगर जिला स्वास्थ्य अधिकारी और नगर निगम के चिकित्सा अधिकारी दोनों ही सटीक जानकारी नहीं दे रहे हैं. इसके उलट जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक-दूसरे की टांग खींच रहे हैं.

प्रशासन की बड़ी लापरवाही

यही कारण है कि इस तरह की बड़ी गड़बड़ी हुई है. गांधीनगर के जिला कलेक्टर, नगर आयुक्त, जिला स्वास्थ्य अधिकारी और राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि सहित वरिष्ठ अधिकारियों में से किसी ने भी आज तक अस्पताल का दौरा नहीं किया है. यह जानने की कोशिश नहीं की गई कि कितने रोगियों का उपचार चल रहा है और अस्पताल में क्या सुविधाएं हैं.

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अब सवाल यह है कि क्या रूपाणी सरकार ने कोरोना वायरस के जिंदा मरीज को मृत घोषित करने के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके उदाहरण स्थापित किया?

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