हैदराबाद: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के तहत डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के एक स्वतंत्र व्यापार प्रभाग - इंडियाएआई स्वतंत्र व्यापार प्रभाग (IBD) ने शुक्रवार को IndiaAI इनोवेशन चैलेंज की घोषणा की. भारतीय नवोन्मेषक, स्टार्टअप, गैर-लाभकारी संस्थाएं, छात्र, शैक्षणिक या अनुसंधान और विकास संगठन और कंपनियां इस इनोवेशन चैलेंज में भाग ले सकती हैं.
MeitY ने कहा कि "इस चुनौती का उद्देश्य बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को सक्षम करने के लिए प्रभावशाली AI समाधानों को बढ़ावा देना और अपनाना है." विजेताओं को 1 करोड़ रुपये तक का इनाम मिलेगा और उन्हें अपने समाधानों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का अवसर मिलेगा.
स्वास्थ्य सेवा, बेहतर प्रशासन, कृषि, सीखने संबंधी अक्षमताओं के लिए सहायक प्रौद्योगिकी, तथा जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन इस चुनौती के मुख्य क्षेत्र हैं. स्वास्थ्य सेवा में, यह चुनौती निदान और रोगी देखभाल को बढ़ाने, एआई-संवर्धित एक्स-रे का उपयोग करके रोग का शीघ्र पता लगाने, नेत्र विज्ञान के परिणामों को मजबूत करने और वेक्टर-जनित रोग निगरानी में इनोवेशन की मांग करती है.
प्रतिभागी बेहतर सार्वजनिक सेवा पहुंच और शिकायत निवारण के लिए एआई-संचालित भाषा प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा सकते हैं. कृषि के क्षेत्र में, किसानों को एआई-सहायता प्राप्त फसल सलाह, वित्तीय समावेशन और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए भू-स्थानिक विश्लेषण के उपयोग जैसी सेवाओं के साथ सशक्त बनाया जा सकता है.
चुनौती सीखने की अक्षमताओं के लिए सहायक तकनीक की भी मांग करती है, जो उन्नत मल्टीमीडिया एक्सेसिबिलिटी टूल और गेमीफाइड लर्निंग के साथ विशिष्ट सीखने की अक्षमताओं के लिए प्रारंभिक पहचान और सहायता को सक्षम कर सकती है. प्रतिभागी एआई-संचालित प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और बहु-खतरे की संवेदनशीलता मानचित्रण के साथ जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन के लिए इनोवेशन विकसित कर सकते हैं.
यह चुनौती IndiaAI मिशन के भीतर एप्लीकेशन डेवलपमेंट पहल का भी हिस्सा है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई एप्लीकेशन के विकास, तैनाती और अपनाने को आगे बढ़ाना है. आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर है.
IndiaAI, IndiaAI मिशन की कार्यान्वयन एजेंसी है, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में एआई के लाभों का लोकतंत्रीकरण करना, एआई में देश के वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करना, तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और एआई का नैतिक और जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करना है.