छपरा में पीएम मोदी का संबोधन-
- आज बिहार के सामने, डबल इंजन की सरकार है, तो दूसरी तरफ डबल-डबल युवराज भी हैं. उनमे से एक तो जंगलराज के युवराज भी हैं.डबल इंजन वाली एनडीए सरकार, बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, तो ये डबल-डबल युवराज अपने-अपने सिंहासन को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
- 3 से 4 साल पहले यूपी के चुनाव में भी डबल-डबल युवराज बस के ऊपर चढ़कर लोगों के सामने हाथ हिला रहे थे. यूपी की जनता ने वहां उन्हें घर लौटा दिया था.वहां के एक युवराज अब जंगलराज के युवराज से मिल गये हैं. यूपी में जो डबल-डबल युवराज का हुआ, वो ही बिहार में होगा.
- दुनिया में आज कोई ऐसा नहीं है, जिसे कोरोना ने प्रभावित न किया हो, जिसका इस महामारी ने नुकसान न किया हो. एनडीए की सरकार ने कोरोना की शुरुआत से ही प्रयास किया है कि वो इस संकटकाल में देश के गरीब, बिहार के गरीब के साथ खड़ी रहे.
- कोरोना के काल में किसी मां को ये चिंता करने की जरूरत नहीं है कि छठ पूजा को कैसे मनाएंगे. अरे मेरी मां! आपने अपने बेटे को दिल्ली मैं बैठाया है, तो क्या वो छठ की चिंता नहीं करेगा!. मां! तुम छठ की तैयारी करो, दिल्ली में तुम्हारा बेटा बैठा है.
- आज के नौजवान को खुद से पूछना चाहिए कि बड़ी-बड़ी परियोजनाएं जो बिहार के लिए इतनी जरूरी थीं, वो बरसों तक क्यों अटकीं रहीं?. बिहार के पास सामर्थ्य तब भी भरपूर था. सरकारों के पास पैसा तब भी पर्याप्त था. फर्क सिर्फ इतना था कि तब बिहार में जंगलराज था.
- पुल बनाने के लिए कौन काम करेगा जब इंजीनियर सुरक्षित नहीं हो? कौन सड़क बनाएगा जब ठेकेदार की जान चौबीसों घंटे खतरे में हो. किसी कंपनी को अगर कोई काम मिलता भी था, तो वो यहां काम शुरु करने से पहले सौ बार सोचती थी. ये है जंगलराज के दिनों की सच्चाई है.
- बिहार के एक गांव की किन्हीं बुजुर्ग महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा है. उसमें एक व्यक्ति उन महिला से पूछता है कि मोदी को काहे खातिर वोट देबो. आखिर मोदी ने तुम्हारी खातिर किया क्या है?
- मैं वो वीडियो देखकर बहुत प्रभावित हुआ. उस गांव कि महिला, उस मां ने उसके सवाल का एक सांस में जवाब देना शुरू कर दिया. जब वो जवाब दे रही थी तो वो जो सवाल पूछने वाला था, उसका चेहरा लटक गया.
- उस महिला ने बिना लाग लपेट के कहा कि मोदी हमारा के नल देहलन, लाइन देहलन, बिजली देहलन, मोदी हमरा के कोटा देहलन, राशन देहलन, पेंसिल देहलन. मोदी हमरा के गैस देहलन. उनका क्यों वोट न देबे, का तौहर के देब.
- ये भी सच है कि बिहार के हज़ारों युवाओं का अलग-अलग कंपीटिशन की कोचिंग में, तैयारी में ऊर्जा, समय और पैसा दोनों लगता है. अब रेलवे, बैंकिंग और ऐसी अनेक सरकारी भर्तियों के लिए एक ही एंट्रेंस एग्ज़ाम की व्यवस्था की जा रही है.
- देश में चौतरफा हो रहे विकास के बीच, आप सभी को उन ताकतों से भी सावधान रहना है, जो अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए देशहित के खिलाफ जाने से भी बाज नहीं आतीं. ये वो लोग हैं जो देश के वीर जवानों के बलिदान में भी अपना फायदा देखने लगते. 2 से 3 दिन पहले पड़ोसी देश ने पुलवामा हमले की सच्चाई को स्वीकारा है. इस सच्चाई ने उन लोगों के चेहरे से नकाब हटा दिया, जो हमले के बाद अफवाएं फैला रहे थे.