हैदराबाद : पूरी दुनिया में फैल चुके कोरोना वायरस को मार्च में महामारी घोषित किया गया था. महामारी की पहचान के बाद से संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष संस्था यूनिसेफ ने भारत में रिकॉर्ड संख्या में बच्चे पैदा होने का अनुमान लगाया है.
इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं की सेवाओं को बरकरार रखने के लिए यूनिसेफ ने सरकार और डोनर्स से अपील भी की है.
गौरतलब है कि कोरोना के चलते पहले से ही मुश्किलों से जूझ रही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह एक नई चुनौती होगी.
मार्च-दिसंबर के बीच भारत में पैदा होंगे 2.1 करोड़ बच्चे
यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रन्स फंड (यूनिसेफ) ने चेताया है कि दुनियाभर में महामारी के दौरान गर्भवती महिलाएं और नवजात बच्चे तंगहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और सेवाओं का सामना करेंगे.
यूनिसेफ ने बताया कि 11 मार्च से 16 दिसंबर तक इस महामारी के दौरान दुनियाभर में 11.6 करोड़ बच्चों का जन्म होने का अनुमान है.
जानकारी के मुताबिक इनमें से सबसे ज्यादा लगभग 2.1 करोड़ बच्चे भारत में पैदा होंगे. वहीं पूरे साल की बात करें तो देश में 2.41 करोड़ बच्चे पैदा होंगे.
समृद्ध देशों के सामने भी है चुनौती
यहां तक कि समृद्ध देशों में भी इस संकट का प्रभाव देखा जा सकता है.
जन्म की अनुमानित संख्या के मामले में छठे सबसे उच्चतम स्तर पर अमेरिका में 33 लाख से अधिक शिशुओं का जन्म 11 मार्च और 16 दिसंबर के बीच होने का अनुमान है.
न्यूयॉर्क में अधिकारी वैकल्पिक बर्थिंग सेंटर की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि अस्पताल में शिशुओं को जन्म देने को लेकर कई महिलाएं चिंतित हैं.
महामारी की घोषणा के बाद से नौ महीनों में शिशुओं के जन्म की अनुमानित संख्या वाले देश :
- भारत : 20.1 मिलियन
- चीन :13.5 मिलियन
- नाइजीरिया : 6.4 मिलियन
- पाकिस्तान : 5 मिलियन
- इंडोनेशिया : 4 मिलियन
गौरतलब है कि यूनिसेफ ने सरकारों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से आने वाले महीनों में लोगों की जान बचाने की भी अपील की है. यूनिसेफ ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि स्वास्थ्यकर्मियों को पर्याप्त मात्रा में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) मिले और कोरोना वायरस की वैक्सीन आने की सूरत में प्राथमिकता के आधार पर यह गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को दी जाए, ताकि वह इस महामारी के दौर में सुरक्षित रह सकें.