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जानें, कौन था करीम लाला, जिसने दाऊद की कर दी थी पिटाई

मुंबई के बहुचर्चित डॉन करीम लाला पर इन दिनों खूब बहस हो रही है. शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया है कि इंदिरा गांधी भी करीम से मिलने आया करती थीं. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया. लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर सर्कुलेट हो गई है, जिसमें इंदिरा गांधी को करीम लाला के साथ दिखाया गया है. कांग्रेस पार्टी ने इस पर कड़ी आपत्ति की है. आइए जानते हैं आखिर कौन है करीम लाला, जिसने कभी दाऊद इब्राहिम की भी खूब पिटाई की थी.

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करीम लाला का चित्र
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Published : Jan 16, 2020, 8:28 PM IST

Updated : Jan 17, 2020, 5:01 PM IST

हैदराबाद : करीम लाला 1960 के दशक में मुंबई का सबसे चर्चित डॉन था. उस समय दो अन्य डॉन का भी नाम लिया जाता है. एक था वरदराजन मुदलियार और दूसरे का नाम हाजी मस्तान था. तीनों माफिया मिलकर काम करते थे. इन्होंने अपने-अपने क्षेत्र बांट रखे थे. ये लोग एक दूसरे के क्षेत्र में दखलंदाजी नहीं करते थे. उस समय इनके इलाकों में जितने भी गैर कानूनी काम होते थे, उनमें ये जरूर संलिप्त रहते थे. हालांकि, इनकी फितरत थी कि ये कुछ लोगों की मदद कर दिया करते थे, जिससे इनकी छवि आम लोगों के बीच कुछ अलग थी.

करीम लाला अफगानी पख्तून था. वह 1920-30 में पेशावर से मुंबई आया था. उसका परिवार द. मुंबई स्थित भिंडी बाजार में रहता था. उसने मुंबई बंदरगाह पर एक मजदूर के रूप में अपना काम शुरू किया. थोड़े ही दिनों में वह पठानों के गैंग में शामिल हो गया. मुंबई बंदरगाह पर सोने चांदी और हीरों की तस्करी शुरू कर दी. शुरुआती दिनों में उसका गैंग गुजराती सेठों के फंसे हुए पैसों की वसूली भी करता था. धीरे-धीरे करीम पठान गैंग का सरगना बन गया. इसके बाद वह पैसे लेकर घर खाली करवाता था. सुपारी लेकर लोगों की हत्या करना उसका व्यवसाय बन गया था. साथ ही कई अन्य गैर कानूनी कामों में वह संलिप्त रहता था. शराब के धंधों में उसे बेहद कामयाबी मिली. उसने मुदलियार और हाजी के साथ मिलकर अपना क्षेत्र बांट लिया था.

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करीम लाला का इतिहास
एक वेबसाइट ने दावा किया है कि करीम मुख्य रूप से डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाजार और मोहम्मद अली रोड के इलाकों में विशेष सक्रिय था. ये सभी बस्तियां मुस्लिम इलाकों के रूप में जानी जाती थी. करीम ने बाद में अपने भतीजे को भी अपने धंधे में शामिल कर लिया.
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करीम लाला का इतिहास

पढ़ें- राउत बयान वापस न लेते तो मैं देता इंदिरा गांधी के खिलाफ सुबूत : सुब्रमण्यम स्वामी

1980 के आस-पास दाऊद इब्राहिम हाजी मस्तान गैंग से जुड़ा. कहा जाता है कि दाऊद ने करीम के इलाके में तस्करी शुरू कर दी थी. इस बात से करीम काफी नाराज हो गया. और उसने दाऊद की पिटाई कर दी थी.

बाद में इस घटना को लेकर दाऊद और करीम के बीच तलवारें खिंच गई थी. करीम ने दाऊद के भाई की हत्या करवा दी. कुछ दिनों बाद दाऊद ने भी करीम के भाई की हत्या कर दी थी. कुछ सालों में ही दाऊद गैंग का वर्चस्व बढ़ने लगा.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 1973 में अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म जंजीर में प्राण का कैरेक्टर उससे मिलता जुलता था. करीम बॉलीवुड की कई हस्तियों को अपने यहां आयोजित पार्टी में बुलाया करता था.

एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार करीम दरबार भी लगाता था. यहां पर मदद मांगने कई लोग आते थे. कुछ लोग शादी के लिए पैसे मांगने आते थे. कुछ लोग अपना फंसा हुआ काम करवाने आते थे. यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर के काम को लेकर भी वह दखल रखता था.

करीम लाला की मौत 2002 में हुई थी.

हैदराबाद : करीम लाला 1960 के दशक में मुंबई का सबसे चर्चित डॉन था. उस समय दो अन्य डॉन का भी नाम लिया जाता है. एक था वरदराजन मुदलियार और दूसरे का नाम हाजी मस्तान था. तीनों माफिया मिलकर काम करते थे. इन्होंने अपने-अपने क्षेत्र बांट रखे थे. ये लोग एक दूसरे के क्षेत्र में दखलंदाजी नहीं करते थे. उस समय इनके इलाकों में जितने भी गैर कानूनी काम होते थे, उनमें ये जरूर संलिप्त रहते थे. हालांकि, इनकी फितरत थी कि ये कुछ लोगों की मदद कर दिया करते थे, जिससे इनकी छवि आम लोगों के बीच कुछ अलग थी.

करीम लाला अफगानी पख्तून था. वह 1920-30 में पेशावर से मुंबई आया था. उसका परिवार द. मुंबई स्थित भिंडी बाजार में रहता था. उसने मुंबई बंदरगाह पर एक मजदूर के रूप में अपना काम शुरू किया. थोड़े ही दिनों में वह पठानों के गैंग में शामिल हो गया. मुंबई बंदरगाह पर सोने चांदी और हीरों की तस्करी शुरू कर दी. शुरुआती दिनों में उसका गैंग गुजराती सेठों के फंसे हुए पैसों की वसूली भी करता था. धीरे-धीरे करीम पठान गैंग का सरगना बन गया. इसके बाद वह पैसे लेकर घर खाली करवाता था. सुपारी लेकर लोगों की हत्या करना उसका व्यवसाय बन गया था. साथ ही कई अन्य गैर कानूनी कामों में वह संलिप्त रहता था. शराब के धंधों में उसे बेहद कामयाबी मिली. उसने मुदलियार और हाजी के साथ मिलकर अपना क्षेत्र बांट लिया था.

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करीम लाला का इतिहास
एक वेबसाइट ने दावा किया है कि करीम मुख्य रूप से डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाजार और मोहम्मद अली रोड के इलाकों में विशेष सक्रिय था. ये सभी बस्तियां मुस्लिम इलाकों के रूप में जानी जाती थी. करीम ने बाद में अपने भतीजे को भी अपने धंधे में शामिल कर लिया.
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करीम लाला का इतिहास

पढ़ें- राउत बयान वापस न लेते तो मैं देता इंदिरा गांधी के खिलाफ सुबूत : सुब्रमण्यम स्वामी

1980 के आस-पास दाऊद इब्राहिम हाजी मस्तान गैंग से जुड़ा. कहा जाता है कि दाऊद ने करीम के इलाके में तस्करी शुरू कर दी थी. इस बात से करीम काफी नाराज हो गया. और उसने दाऊद की पिटाई कर दी थी.

बाद में इस घटना को लेकर दाऊद और करीम के बीच तलवारें खिंच गई थी. करीम ने दाऊद के भाई की हत्या करवा दी. कुछ दिनों बाद दाऊद ने भी करीम के भाई की हत्या कर दी थी. कुछ सालों में ही दाऊद गैंग का वर्चस्व बढ़ने लगा.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 1973 में अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म जंजीर में प्राण का कैरेक्टर उससे मिलता जुलता था. करीम बॉलीवुड की कई हस्तियों को अपने यहां आयोजित पार्टी में बुलाया करता था.

एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार करीम दरबार भी लगाता था. यहां पर मदद मांगने कई लोग आते थे. कुछ लोग शादी के लिए पैसे मांगने आते थे. कुछ लोग अपना फंसा हुआ काम करवाने आते थे. यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर के काम को लेकर भी वह दखल रखता था.

करीम लाला की मौत 2002 में हुई थी.

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जानें, कौन है करीम लाला जिस पर छिड़ी है सियासी लड़ाई

जानें, कौन है करीम लाला जिसने दाऊद की कर दी थी पिटाई

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मुंबई के बहुचर्चित डॉन करीम लाला पर इन दिनों खूब बहस हो रही है. शिवसेना नेता ने दावा किया है कि इंदिरा गांधी भी करीम से मिलने आया करती थीं. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया. लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीरें सर्कुलेट हो गईं हैं, जिसमें इंदिरा गांधी को करीम लाला के साथ दिखाया गया है. कांग्रेस पार्टी ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है. आइए जानते हैं आखिर कौन है करीम, जिसने कभी दाऊद इब्राहिम की भी खूब पिटाई की थी. 

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हैदराबाद :  करीम लाला 1960 के दशक में मुंबई का सबसे चर्चित डॉन था. उस समय दो अन्य डॉन का भी नाम लिया जाता है. एक था वरदराजन मुदलियार और दूसरे का नाम हाजी मस्तान था. एक वेबसाइट के मुताबिक तीनों माफिया मिलकर काम करते थे. इन्होंने अपने-अपने क्षेत्र बांट रखे थे. ये लोग एक दूसरे के क्षेत्र में दखलंदाजी नहीं करते थे. उस समय इनके इलाकों में जितने भी गैर कानूनी काम होते थे, उनमें यह जरूर संलिप्त रहता था. हालांकि, इनकी फितरत थी कि ये कुछ गरीब लोगों की मदद कर दिया करते थे, जिससे इनकी छवि आम लोगों के बीच कुछ अलग थी. 

करीम लाला अफगानी पख्तून था. वह 1920-30 में पेशावर से मुंबई आया था. उसका परिवार द. मुंबई स्थित भिंडी बाजार में रहता था. उसने मुंबई बंदरगाह पर एक मजदूर के रूप में अपना काम शुरू किया. थोड़े ही दिनों में वह पठानों के गैंग में शामिल हो गया. मुंबई बंदरगाह पर सोने चांदी और हीरों की तस्करी शुरू कर दी. शुरुआती दिनों में उसका गैंग गुजराती सेठों के फंसे हुए पैसों की वसूली भी करता था. धीरे-धीरे करीम पठान गैंग का सरगना बन गया. इसके बाद वह पैसे लेकर घर खाली करवाता था. सुपारी लेकर लोगों की हत्या करना उसका व्यवसाय बन गया था. साथ ही कई अन्य गैर कानूनी कामों में वह संलिप्त रहता था. शराब के धंधों में उसे बेहद कामयाबी मिली. उसने मुदलियार और हाजी के साथ मिलकर अपना क्षेत्र बांट लिया था. 

एक वेबसाइट ने दावा किया है कि करीम मुख्य रूप से डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाजार और मोहम्मद अली रोड के इलाकों में विशेष सक्रिय था. ये सभी बस्तियां मुस्लिम इलाकों के रूप में जानी जाती थी. करीम ने बाद में अपने भतीजे को भी अपने धंधे में शामिल कर लिया. 

1980 के आस-पास दाऊद इब्राहिम हाजी मस्तान गैंग से जुड़ा. कहा जाता है कि दाऊद ने करीम के इलाके में तस्करी शुरू कर दी थी. इस बात से करीम काफी नाराज हो गया. और उसने दाऊद की पिटाई कर दी थी. 

बाद में इस घटना को लेकर दाऊद और करीम के बीच तलवारें खिंच गई थी. करीम ने दाऊद के भाई की हत्या करवा दी. कुछ दिनों बाद दाऊद ने भी करीम के भाई की हत्या कर दी थी. कुछ सालों में ही दाऊद गैंग का वर्चस्व बढ़ने लगा.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 1973 में अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म जंजीर में प्राण का कैरेक्टर उससे मिलता जुलता था. करीम बॉलीवुड की कई हस्तियों को अपने यहां आयोजित पार्टी में बुलाया करता था. 

एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार करीम दरबार भी लगाता था. यहां पर मदद मांगने कई लोग आते थे. कुछ लोग शादी के लिए पैसे मांगने आते थे. कुछ लोग अपना फंसा हुआ काम करवाने आते थे. यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर के काम को लेकर भी वह दखल रखता था. 

करीम लाला की मौत 2002 में हुई थी.


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Last Updated : Jan 17, 2020, 5:01 PM IST
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