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केरल विमान हादसा : डीजीसीए को 2011 में ही मिली थी हादसे की चेतावनी

कोझीकोड विमान हादसे को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इस दुर्घटना को टाला जा सकता था, अगर डीजीसीए ने 2011 में विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन द्वारा तत्कालीन नागरिक उड्डयन सचिव नसीम जैदी और डीजीसीए प्रमुख भारत भूषण को लिखे पत्र से सबक लिया होता. पढ़िए हमारे संवाददाता तौसीफ अहमद की एक रिपोर्ट...

कोझीकोड विमान हादसा
कोझीकोड विमान हादसा
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Published : Aug 8, 2020, 5:55 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 6:13 PM IST

नई दिल्ली : दुबई से 191 यात्रियों को लेकर आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट शुक्रवार को केरल के कोझीकोड में लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई. इस घटना से पूरा देश में सदमे में है. जानकारों का कहना है कि दुर्घटना को टाला जा सकता था. अगर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 2011 के उस पत्र से सबक लिया होता, जिसमें हवाई अड्डे के रनवे 10 पर टेलविंड परिस्थितियों में विमान की लैंडिंग को लेकर चेतावनी दी गई थी.

वेट (गीले) ऑपरेशन प्रशिक्षण, विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने 17 जून, 2011 को तत्कालीन नागरिक उड्डयन सचिव नसीम जैदी और डीजीसीए प्रमुख भारत भूषण को पत्र में लिखकर कहा था कि रनवे 10 पर उतरने वाली सभी उड़ानें टेलविंड परिस्थितियों में हैं, जिससे बारिश के दौरान सभी विमानों पर दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा है.

उन्होंने कहा कि कोझीकोड रनवे 10 के एक छोर पर न्यूनतम RESA (रनवे एंड सेफ्टी एरिया) और दूसरे छोर पर RESA नहीं है. रनवे स्ट्रिप ICAO (अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन) एनेक्स 14 में रखी गई न्यूनतम चौड़ाई का आधा है.

यह तथ्य डीजीसीए टीम को पता था, जो पिछले कई वर्षों के दौरान निरीक्षण और सुरक्षा का आकलन कर रही है.

उल्लेखनीय है कि इसी पत्र में मंगलुरु में 2010 में हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना का जिक्र भी था.

इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर एविएशन एयरोस्पेस एंड ड्रोन्स के चेयरमैन सनत कौल ने कहा, 'शुक्रवार को लैंडिंग के लिए मौसम की स्थिति खराब थी और लैंडिंग के दौरान टेलविंड भी था, जिसके कारण यह विमान हादसा हुआ.'

उन्होंने कहा, 'क्योंकि मंगलुरु और कालीकट क्षेत्र कमोबेश समान हैं, सरकार कम से कम मॉनसून के मौसम के दौरान हवाई जहाजों के उतरने की अनुमति नहीं देने का फैसला कर सकती थी.'

उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि नागर विमानन मंत्रालय और डीजीसीए ने मंगलुरु दुर्घटना से कुछ नहीं सीखा है.'

शनिवार को डीजीसीए के सूत्रों ने बताया कि कोझीकोड हवाई अड्डे पर शुक्रवार रात दुर्घटनाग्रस्त हुआ एयर इंडिया का विमान टेबलटॉप रनवे की लंबाई से एक किलोमीटर नीचे उतर गया.

एक अन्य विशेषज्ञ मार्क मार्टिन ने कहा कि कोझीकोड में विमान दुर्घटना होनी पहले से तय थी, क्योंकि वहां दुर्घटनाग्रस्त होने की सबसे कठिन परिस्थिति थी. खराब मौसम के कारण उड़ानों को डायवर्ट किया जा सकता था.

पढ़ें - विमान हादसा : चीख-पुकार और एंबुलेंस के सायरन की आवाज से दहल गया क्षेत्र

उतरने के पहले प्रयास के बाद चालक दल विमान को मुंबई, बेंगलुरु या हैदराबाद ले जा सकता था, लेकिन समस्या यह थी कि वे संगरोध के कारण उन्हें वहां नहीं ले जा सकते थे, क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय यात्री थे और किसी को नहीं पता कि उनमें से कितने लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे.

मार्क मार्टिन ने सुझाव दिया कि सभी तटीय हवाई अड्डों में विशेष रूप से पश्चिमी क्षेत्र के लोगों को स्थानांतरित किया जाना चाहिए. हवाई अड्डों के साथ कोई ऊंची इमारत नहीं होनी चाहिए.

बता दें कि केरल के कोझीकोड के करिपुर हवाई अड्डे पर लैंडिग के दौरान एयर इंडिया का बोइंग 737 विमान फिसल गया था. हादसे में पायलट कैप्टन डीवी साठे और को-पायलट समेत 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 120 यात्री घायल हो गए थे. इनमें से 17 की हालत गंभीर है.

विमान हादसा शुक्रवार रात लगभग 7.45 बजे करिपुर में हुआ. एयर इंडिया का यह विमान (IX-1344) वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से कोझीकोड आ रहा था. विमान करिपुर हवाई अड्डे पर उतरने के वक्त फिसला. विमान में तकरीबन 185 यात्री और छह क्रू मेंबर्स सवार थे. हादसा इतना भयानक था कि विमान के आगे का हिस्सा दो टुकड़ों में बंट गया.

नई दिल्ली : दुबई से 191 यात्रियों को लेकर आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट शुक्रवार को केरल के कोझीकोड में लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई. इस घटना से पूरा देश में सदमे में है. जानकारों का कहना है कि दुर्घटना को टाला जा सकता था. अगर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 2011 के उस पत्र से सबक लिया होता, जिसमें हवाई अड्डे के रनवे 10 पर टेलविंड परिस्थितियों में विमान की लैंडिंग को लेकर चेतावनी दी गई थी.

वेट (गीले) ऑपरेशन प्रशिक्षण, विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने 17 जून, 2011 को तत्कालीन नागरिक उड्डयन सचिव नसीम जैदी और डीजीसीए प्रमुख भारत भूषण को पत्र में लिखकर कहा था कि रनवे 10 पर उतरने वाली सभी उड़ानें टेलविंड परिस्थितियों में हैं, जिससे बारिश के दौरान सभी विमानों पर दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा है.

उन्होंने कहा कि कोझीकोड रनवे 10 के एक छोर पर न्यूनतम RESA (रनवे एंड सेफ्टी एरिया) और दूसरे छोर पर RESA नहीं है. रनवे स्ट्रिप ICAO (अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन) एनेक्स 14 में रखी गई न्यूनतम चौड़ाई का आधा है.

यह तथ्य डीजीसीए टीम को पता था, जो पिछले कई वर्षों के दौरान निरीक्षण और सुरक्षा का आकलन कर रही है.

उल्लेखनीय है कि इसी पत्र में मंगलुरु में 2010 में हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना का जिक्र भी था.

इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर एविएशन एयरोस्पेस एंड ड्रोन्स के चेयरमैन सनत कौल ने कहा, 'शुक्रवार को लैंडिंग के लिए मौसम की स्थिति खराब थी और लैंडिंग के दौरान टेलविंड भी था, जिसके कारण यह विमान हादसा हुआ.'

उन्होंने कहा, 'क्योंकि मंगलुरु और कालीकट क्षेत्र कमोबेश समान हैं, सरकार कम से कम मॉनसून के मौसम के दौरान हवाई जहाजों के उतरने की अनुमति नहीं देने का फैसला कर सकती थी.'

उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि नागर विमानन मंत्रालय और डीजीसीए ने मंगलुरु दुर्घटना से कुछ नहीं सीखा है.'

शनिवार को डीजीसीए के सूत्रों ने बताया कि कोझीकोड हवाई अड्डे पर शुक्रवार रात दुर्घटनाग्रस्त हुआ एयर इंडिया का विमान टेबलटॉप रनवे की लंबाई से एक किलोमीटर नीचे उतर गया.

एक अन्य विशेषज्ञ मार्क मार्टिन ने कहा कि कोझीकोड में विमान दुर्घटना होनी पहले से तय थी, क्योंकि वहां दुर्घटनाग्रस्त होने की सबसे कठिन परिस्थिति थी. खराब मौसम के कारण उड़ानों को डायवर्ट किया जा सकता था.

पढ़ें - विमान हादसा : चीख-पुकार और एंबुलेंस के सायरन की आवाज से दहल गया क्षेत्र

उतरने के पहले प्रयास के बाद चालक दल विमान को मुंबई, बेंगलुरु या हैदराबाद ले जा सकता था, लेकिन समस्या यह थी कि वे संगरोध के कारण उन्हें वहां नहीं ले जा सकते थे, क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय यात्री थे और किसी को नहीं पता कि उनमें से कितने लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे.

मार्क मार्टिन ने सुझाव दिया कि सभी तटीय हवाई अड्डों में विशेष रूप से पश्चिमी क्षेत्र के लोगों को स्थानांतरित किया जाना चाहिए. हवाई अड्डों के साथ कोई ऊंची इमारत नहीं होनी चाहिए.

बता दें कि केरल के कोझीकोड के करिपुर हवाई अड्डे पर लैंडिग के दौरान एयर इंडिया का बोइंग 737 विमान फिसल गया था. हादसे में पायलट कैप्टन डीवी साठे और को-पायलट समेत 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 120 यात्री घायल हो गए थे. इनमें से 17 की हालत गंभीर है.

विमान हादसा शुक्रवार रात लगभग 7.45 बजे करिपुर में हुआ. एयर इंडिया का यह विमान (IX-1344) वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से कोझीकोड आ रहा था. विमान करिपुर हवाई अड्डे पर उतरने के वक्त फिसला. विमान में तकरीबन 185 यात्री और छह क्रू मेंबर्स सवार थे. हादसा इतना भयानक था कि विमान के आगे का हिस्सा दो टुकड़ों में बंट गया.

Last Updated : Aug 8, 2020, 6:13 PM IST
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