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अगर बनिहाल में डॉपलर रडार काम करता तो अमरनाथ त्रासदी टल सकती थी!

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में स्थापित डॉपलर रडार दो साल से अधिक समय से काम नहीं कर रहा है. एक्सपर्ट का ऐसा मानना है कि अगर यह डॉपलर रडार कार्य करता तो शुक्रवार को अमरनाथ गुफा क्षेत्र में त्रासदी से हुए नुकसान को टाला जा सकता था. पढ़ें सौरभ शर्मा की रिपोर्ट..

Doppler radar at Banihal
बनिहाल में डॉपलर रडार
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Published : Jul 9, 2022, 5:23 PM IST

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में दो साल से अधिक समय से डॉपलर रडार काम नहीं कर रहा है. यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ तीर्थ स्थल पर एक दर्जन से अधिक लोगों की दुखद मौतों को रोकने में मदद कर सकती थी. डॉपलर रडार एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) को बनिहाल में 100 किमी के क्षेत्र में रडार की सीमा में बादलों और वर्षा का अधिक सटीक आकलन देता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, इस दुखद घटना पर आईएमडी के वरीष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके जेनामणि ने कहा कि ऐसी घटनाएं आमतौर पर उन क्षेत्रों में होती हैं जहां हमारे पास कोई वेधशाला नहीं है. पवित्र अमरनाथ गुफा क्षेत्र में हमारे अनुमान के मुताबिक 4.30 : 6.30 अपराह्न के बीच 31 मिमी बारिश होनी थी. लेकिन बादल फटने से अचानक भारी बारिश के साथ विकट स्थिति पैदा हो गई. डॉ. जेनामणि ने कहा कि यह ऊंचे इलाकों में कहीं हुआ होगा. इसलिए हमने बारिश की भविष्यवाणी की थी, लेकिन पहाड़ी इलाकों की वजह और तकनीकी कमियों के कारण, कोई भी अवलोकन करना वास्तव में मुश्किल है.

यहां यह ध्यान देने योग्य है कि ऐसे मामलों में, डोप्लर रडार का महत्व बहुत बड़ा है. बताया जा रहा है कि पवित्र गुफाओं से निकटतम डोप्लर रडार बनिहाल में था जो पिछले दो वर्षों से काम नहीं कर रहा है. इस पर डॉ. जेनामनी ने कहा कि यह सच है कि डोप्लर रडार अवलोकन प्राप्त करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. बनिहाल में रडार के खराब होने पर डॉक्टर जेनामनी ने कहा कि इस बारे में श्रीनगर के मौसम विभाग से यह पूछना चाहिए.

रडार पूरे पीर पंजाल रेंज को कवर करने के लिए स्लेटेड है और एक बार काम करने के बाद, 270 किलोमीटर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, अमरनाथ यात्रियों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य सड़क के लिए बेहतर मौसम पूर्वानुमान की भविष्यवाणी करने में भी मददगार होगा. बनिहाल में, यह डॉपलर रडार एक एक्स-बैंड रडार है जिसे पहाड़ी इलाकों में वायुमंडलीय परिवर्तनों तक स्पष्ट पहुंच प्राप्त करने के लिए एक उच्च बिंदु पर स्थापित किया जाना है. यह स्थान डिफेंस जियोइनफॉरमैटिक्स रिसर्च एस्टाब्लिशमेंट (डीजीआरई) के अधीन है. जो काफी ऊंचाई पर, किसी भी गांव से दूर है. आईएमडी के एक वैज्ञानिक ने कहा कि खरीद प्रक्रिया लंबी है. इसमें समय लगता है.

पढ़ें: अमरनाथ हादसा : रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 6 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया, अब तक 16 की मौत

रडार से पूरी पीर पंजाल रेंज को कवर करने की उम्मीद है और एक बार इसके कार्यात्मक होने के बाद, यह 270 किलोमीटर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, अमरनाथ यात्रियों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य सड़क के लिए बेहतर मौसम पूवार्नुमान की भविष्यवाणी करने में भी मददगार होगा. आईएमडी का अपर एयर इंस्ट्रूमेंटेशन डिवीजन फाइनल टच देने पर काम कर रहा है और फिलहाल इसकी टेस्टिंग चल रही है. आईएमडी के महानिदेशक (मौसम विज्ञान) मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि इस दिशा में काम जारी है.

आईएमडी के पास पहलगाम की ओर और बालटाल की ओर से यात्रा मार्ग के साथ-साथ स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) हैं. हालांकि, वे केवल वास्तविक मौसम के लिए डेटा देते हैं, यानी, जो हुआ है उसका ब्योरा. उदाहरण के तौर पर हल्की बारिश, गरज, भारी बारिश, या बर्फ गिरने आदि के लिए यह काम आता है. यह डेटा लंबी अवधि में उपयोगी होता है. डॉपलर रडार से मिलने वाला डेटा, स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन कर्मियों के लिए मददगार है, विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों के लिए, क्योंकि आगामी चरम मौसम की घटना के बारे में अग्रिम जानकारी घातक घटनाओं को रोक सकती है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के मौसम की निगरानी रखने वाले श्रीनगर में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख सोनम लोटस ने कहा कि रडार पहले से ही स्थापित है और आने वाले सप्ताह में इसे चालू कर दिया जाएगा.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में दो साल से अधिक समय से डॉपलर रडार काम नहीं कर रहा है. यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ तीर्थ स्थल पर एक दर्जन से अधिक लोगों की दुखद मौतों को रोकने में मदद कर सकती थी. डॉपलर रडार एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) को बनिहाल में 100 किमी के क्षेत्र में रडार की सीमा में बादलों और वर्षा का अधिक सटीक आकलन देता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, इस दुखद घटना पर आईएमडी के वरीष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके जेनामणि ने कहा कि ऐसी घटनाएं आमतौर पर उन क्षेत्रों में होती हैं जहां हमारे पास कोई वेधशाला नहीं है. पवित्र अमरनाथ गुफा क्षेत्र में हमारे अनुमान के मुताबिक 4.30 : 6.30 अपराह्न के बीच 31 मिमी बारिश होनी थी. लेकिन बादल फटने से अचानक भारी बारिश के साथ विकट स्थिति पैदा हो गई. डॉ. जेनामणि ने कहा कि यह ऊंचे इलाकों में कहीं हुआ होगा. इसलिए हमने बारिश की भविष्यवाणी की थी, लेकिन पहाड़ी इलाकों की वजह और तकनीकी कमियों के कारण, कोई भी अवलोकन करना वास्तव में मुश्किल है.

यहां यह ध्यान देने योग्य है कि ऐसे मामलों में, डोप्लर रडार का महत्व बहुत बड़ा है. बताया जा रहा है कि पवित्र गुफाओं से निकटतम डोप्लर रडार बनिहाल में था जो पिछले दो वर्षों से काम नहीं कर रहा है. इस पर डॉ. जेनामनी ने कहा कि यह सच है कि डोप्लर रडार अवलोकन प्राप्त करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. बनिहाल में रडार के खराब होने पर डॉक्टर जेनामनी ने कहा कि इस बारे में श्रीनगर के मौसम विभाग से यह पूछना चाहिए.

रडार पूरे पीर पंजाल रेंज को कवर करने के लिए स्लेटेड है और एक बार काम करने के बाद, 270 किलोमीटर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, अमरनाथ यात्रियों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य सड़क के लिए बेहतर मौसम पूर्वानुमान की भविष्यवाणी करने में भी मददगार होगा. बनिहाल में, यह डॉपलर रडार एक एक्स-बैंड रडार है जिसे पहाड़ी इलाकों में वायुमंडलीय परिवर्तनों तक स्पष्ट पहुंच प्राप्त करने के लिए एक उच्च बिंदु पर स्थापित किया जाना है. यह स्थान डिफेंस जियोइनफॉरमैटिक्स रिसर्च एस्टाब्लिशमेंट (डीजीआरई) के अधीन है. जो काफी ऊंचाई पर, किसी भी गांव से दूर है. आईएमडी के एक वैज्ञानिक ने कहा कि खरीद प्रक्रिया लंबी है. इसमें समय लगता है.

पढ़ें: अमरनाथ हादसा : रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 6 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया, अब तक 16 की मौत

रडार से पूरी पीर पंजाल रेंज को कवर करने की उम्मीद है और एक बार इसके कार्यात्मक होने के बाद, यह 270 किलोमीटर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, अमरनाथ यात्रियों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य सड़क के लिए बेहतर मौसम पूवार्नुमान की भविष्यवाणी करने में भी मददगार होगा. आईएमडी का अपर एयर इंस्ट्रूमेंटेशन डिवीजन फाइनल टच देने पर काम कर रहा है और फिलहाल इसकी टेस्टिंग चल रही है. आईएमडी के महानिदेशक (मौसम विज्ञान) मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि इस दिशा में काम जारी है.

आईएमडी के पास पहलगाम की ओर और बालटाल की ओर से यात्रा मार्ग के साथ-साथ स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) हैं. हालांकि, वे केवल वास्तविक मौसम के लिए डेटा देते हैं, यानी, जो हुआ है उसका ब्योरा. उदाहरण के तौर पर हल्की बारिश, गरज, भारी बारिश, या बर्फ गिरने आदि के लिए यह काम आता है. यह डेटा लंबी अवधि में उपयोगी होता है. डॉपलर रडार से मिलने वाला डेटा, स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन कर्मियों के लिए मददगार है, विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों के लिए, क्योंकि आगामी चरम मौसम की घटना के बारे में अग्रिम जानकारी घातक घटनाओं को रोक सकती है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के मौसम की निगरानी रखने वाले श्रीनगर में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख सोनम लोटस ने कहा कि रडार पहले से ही स्थापित है और आने वाले सप्ताह में इसे चालू कर दिया जाएगा.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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