ETV Bharat / bharat

हाई कोर्ट का आदेश- परिवार में बेटी से ज्यादा बहू का अधिकार, सरकार बदले अपने नियम - high court order daughter in law has more rights

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आश्रित कोटे में बेटी से बहू को अधिक अधिकार (high court order daughter in law has more rights) होने संबंधी आदेश जारी किया है. कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को आदेश अनुपालन की जिम्मेदारी दी है.

allahabad etv bharat
allahabad etv bharat
author img

By

Published : Dec 7, 2021, 7:52 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आश्रित कोटे में बेटी से अधिक बहू को अधिकार (high court order daughter in law has more rights) होने संबंधी आदेश जारी किया है. कोर्ट ने लाइसेंसी व्यक्ति की मौत पर वारिसों को सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन मामले में पुत्र वधू (विधवा या सधवा) को परिवार में शामिल करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है. पुत्री को परिवार में शामिल करने तथा बहू को परिवार में शामिल न करने के 5 अगस्त 2019 को सचिव खाद्य एवं आपूर्ति द्वारा जारी शासनादेश को भी कोर्ट ने रद कर दिया है. कोर्ट ने पैरा 4(10) व बहू होने के नाते दुकान का लाइसेंस देने से इनकार करने के जिला आपूर्ति अधिकारी के 17 जून 2021 के आदेश को विधि विरुद्ध करार देते हुए भी रद्द कर दिया है.

कोर्ट ने यूपी पावर कॉर्पोरेशन केस में पूर्णपीठ के फैसले के आधार पर सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को नया शासनादेश जारी करने अथवा शासनादेश को ही चार हफ्ते में संशोधित करने का निर्देश दिया है. इस फैसले में पूर्णपीठ ने कहा है कि बहू को आश्रित कोटे में बेटी से बेहतर अधिकार (high court order daughter in law has more rights) है. यह फैसला इस मामले में भी लागू होगा. साथ ही कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को आदेश अनुपालन की जिम्मेदारी दी है.

कोर्ट ने जिला आपूर्ति अधिकारी को नया शासनादेश जारी होने या संशोधित किये जाने के दो सप्ताह में याची को वारिस के नाते सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस देने पर विचार करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने पुष्पा देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

उल्लेखनीय है कि याची की सास के नाम सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस था, जिनकी 11अप्रैल 2021 को मौत हो गई. याची के पति की पहले ही मौत हो चुकी थी. विधवा बहू याची व उसके दो नाबालिग बच्चों के अलावा परिवार में अन्य कोई वारिस नहीं है. याची ने मृतक आश्रित कोटे में दुकान के आवंटन की अर्जी दी, जिसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि 5 अगस्त 2019 के शासनादेश में बेटी को परिवार में शामिल किया गया है, लेकिन बहू को परिवार से अलग रखा गया है. कोर्ट ने शासनादेश में बहू को परिवार से अलग करने को समझ से परे बताया और कहा कि बहू को आश्रित कोटे में बेटी से बेहतर अधिकार प्राप्त है. इसलिए बहू को परिवार में शामिल किया जाए.

पढ़ेंः 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय, कोर्ट ने किया तलब

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आश्रित कोटे में बेटी से अधिक बहू को अधिकार (high court order daughter in law has more rights) होने संबंधी आदेश जारी किया है. कोर्ट ने लाइसेंसी व्यक्ति की मौत पर वारिसों को सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन मामले में पुत्र वधू (विधवा या सधवा) को परिवार में शामिल करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है. पुत्री को परिवार में शामिल करने तथा बहू को परिवार में शामिल न करने के 5 अगस्त 2019 को सचिव खाद्य एवं आपूर्ति द्वारा जारी शासनादेश को भी कोर्ट ने रद कर दिया है. कोर्ट ने पैरा 4(10) व बहू होने के नाते दुकान का लाइसेंस देने से इनकार करने के जिला आपूर्ति अधिकारी के 17 जून 2021 के आदेश को विधि विरुद्ध करार देते हुए भी रद्द कर दिया है.

कोर्ट ने यूपी पावर कॉर्पोरेशन केस में पूर्णपीठ के फैसले के आधार पर सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को नया शासनादेश जारी करने अथवा शासनादेश को ही चार हफ्ते में संशोधित करने का निर्देश दिया है. इस फैसले में पूर्णपीठ ने कहा है कि बहू को आश्रित कोटे में बेटी से बेहतर अधिकार (high court order daughter in law has more rights) है. यह फैसला इस मामले में भी लागू होगा. साथ ही कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को आदेश अनुपालन की जिम्मेदारी दी है.

कोर्ट ने जिला आपूर्ति अधिकारी को नया शासनादेश जारी होने या संशोधित किये जाने के दो सप्ताह में याची को वारिस के नाते सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस देने पर विचार करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने पुष्पा देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

उल्लेखनीय है कि याची की सास के नाम सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस था, जिनकी 11अप्रैल 2021 को मौत हो गई. याची के पति की पहले ही मौत हो चुकी थी. विधवा बहू याची व उसके दो नाबालिग बच्चों के अलावा परिवार में अन्य कोई वारिस नहीं है. याची ने मृतक आश्रित कोटे में दुकान के आवंटन की अर्जी दी, जिसे यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि 5 अगस्त 2019 के शासनादेश में बेटी को परिवार में शामिल किया गया है, लेकिन बहू को परिवार से अलग रखा गया है. कोर्ट ने शासनादेश में बहू को परिवार से अलग करने को समझ से परे बताया और कहा कि बहू को आश्रित कोटे में बेटी से बेहतर अधिकार प्राप्त है. इसलिए बहू को परिवार में शामिल किया जाए.

पढ़ेंः 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय, कोर्ट ने किया तलब

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.