प्रयागराज : योग गुरु के नाम से मशहूर स्वामी आनंद गिरि को बुधवार शाम प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया. जनपद न्यायालय में पेशी के बाद कोर्ट ने स्वामी आनंद गिरी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया था. पुलिस अभिरक्षा में गिरि को कोर्ट से सीधे नैनी सेंट्रल जेल पहुंचा दिया गया. यहां पर कोविड प्रोटोकाल के तहत आनंद गिरि को अलग बैरक में रखा गया है. यहां उसे रात में रोटी और आलू की सब्जी खाने के लिए दी गयी, तो सुबह नाश्ते में चना और चाय दिया गया.
मठ और आश्रम से ज्यादा विदेश में रंगीन जिदंगी के लिए चर्चित आनंद गिरि की जेल की सलाखों के पीछे नींद उड़ गई है. जेल में आनंद और आद्या को हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है, जहां तैनात बंदी रक्षकों ने रात भर आनंद को कभी बैठकर इधर-उधर ताकते तो कभी टहलते देखा. आद्या प्रसाद देर रात तक जगा फिर लेट गया था, हालांकि नींद उसे भी नहीं आई. दोनों ने बुधवार शाम खाना नहीं खाया था, लेकिन गुरुवार को नाश्ता भी किया और फिर खाना भी खाया. हालांकि दोनों के चेहरे पर बेचैनी दिखती रही.
बता दें कि पेशी के बाद आनंद गिरी को कचहरी से जेल ले जाया जा रहा था, उस समय बंद गाड़ी में आनंद गिरि ने मीडिया से कहा कि आईजी प्रयागराज केपी सिंह मेरी हत्या करा सकते हैं. फिलहाल यह बात लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि आनंद गिरि ने आईजी केपी सिंह के बारे में ऐसी बात क्यों कही, हालांकि ये जांच का विषय है.
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आनंद गिरि ने अपने अधिवक्ता के जरिए जिला न्यायालय में अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है. उसने एक प्रार्थना पत्र देकर अपनी सुरक्षा की मांग की है. प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि बुधवार को पेशी के दौरान उसके ऊपर हमला और अभद्रता की गई, ऐसे में उसकी जान को खतरा है. जेल से कोर्ट लाते समय और जेल में उन्हें विशेष सुरक्षा प्रदान की जाए.
बता दें कि आनंद गिरि के लिए जेल जाना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले स्वामी आनंद गिरि विदेश में भी जेल की हवा खा चुका है. जेल का खाना खाने का उसका अनुभव पुराना है. वो ऑस्ट्रेलिया की सिडनी जेल में महीनों बिता चुका है. मई 2019 में आनंद गिरि योग की शिक्षा देने ऑस्ट्रेलिया गए था. यहां उसपर दो महिलाओं से अभद्रता व मारपीट करने का आरोप लगा था. इसके बाद सिडनी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
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शिष्य की गिरफ्तारी से परेशान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी इज्जत की परवाह किए बिना शिष्य का साथ दिया था. महंत नरेंद्र गिरि लगातार आनंद गिरी पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए कोर्ट से इंसाफ मिलने की बात कह रहे थे. महंत नरेंद्र गिरि के प्रयासों का ही नतीजा था कि आनंद गिरि सिडनी की जेल से सितंबर महीने में बाइज्जत बरी होकर वापस देश लौट सका था.