हास्य कवियों की सतरंगी महफिल में 'धरे गए नेताजी'
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उत्तर प्रदेश में चुनावी मौसम गुलजार हो चला है. नेताजी के वादे और उनके दावे एक बार फिर सियासी सरगर्मी को बढ़ा रहे हैं. दलबदलू नेताजी ने फिर से दल बदलना शुरु कर दिया है और दोनों की जुबानी जंग ऐसी कि मानो शमशीरें खिंच जाएं. सत्ताधारी नेताजी कभी अब्बा जान बोल कर उनको चिढ़ाने लगते हैं तो कभी जिन्ना के जिन्न को जगा देते हैं. तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी के नेताजी भी कुछ कम नहीं, उनका तंज ऐसा कि सरकार के दांत खट्टे कर दे, कभी टैबलेट सीखने की सलाह देते हैं तो कभी चिलमजीवी बोलकर हौले से मुस्कुरा देते हैं. इसी चुनावी हलचल को लेकर ईटीवी भारत प्रस्तुत करता है हास्य कवियों का व्यंग्यात्मक कार्यक्रम 'धरे गए नेताजी'.