लखनऊ: मुगल म्यूजियम का नाम बदलने पर धर्मगुरुओं और नेताओं ने दी प्रतिक्रियाएं - mughal museum
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लखनऊ: यूपी के सीएम योगी ने आगरा में स्तिथ मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी करने का एलान किया है. सरकार के इस कदम पर विभिन्न समुदायों से लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि सरकार को नाम बदलने की जगह, नए संस्थानों को खोलकर उनके नाम रखने चाहिए. मोहम्मद बिलाल नाम के युवक का कहना है कि मुगल म्यूज़ियम का नाम बदलने पर किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन नाम बदलने से किसी का भला भी नहीं होना है. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इमरान हसन सिद्दकी ने कहा कि नाम बदलने से इतिहास नहीं बदल सकता. भारत में मुगलकाल स्वर्णिम काल था. मुगलों के दौर में मानसरोवर भी भारत का हिस्सा था, लेकिन आज मानसरोवर चीन के हिस्से में है. सरकार में इतनी ताकत नहीं है कि चीन से उसको वापस ले सके. मौलाना इमरान हसन ने कहा कि मुगलकाल में देश सबसे ताकतवर देशों में शुमार था. भारत की सीमा अफग़ानिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक होती थी. वहीं सपा के प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य नाहिद लारी ने कहा कि कोरोना काल में ज्वलंत मुद्दों से भटकाने के लिए योगी जी ने नामों के बदलने की कहानी शुरू की है. नाहिद लारी ने तंज कसते हुए कहा कि योगी जी ने माता-पिता द्वारा प्यार से दिया गया अपना ही नाम बदल दिया. उनके लिए मुगल म्यूज़ियम का नाम बदलना कौन बड़ी बात है. अगर वाकई गुलामी के प्रतीकों को हटाना है तो योगी जी अविलंब मुख्यमंत्री आवास छोड़ लोकतंत्र में बने विधायक निवास दारुल शफा रहें. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीयों को सैकड़ों साल गुलाम बनाया. लिहाज़ा आरएसएस और बीजेपी के जो लोग कोरोना ग्रस्त हैं, उनका इलाज अंग्रेजी दवाओं से नहीं आयुर्वेदिक दवाओं से कराया जाए.