यूपी बिहार के मजदूर लाठियों से पिटने के बाद भी ट्रेन से यात्रा करने को विवश हो रहे हैं
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सूरतः जिस शहर से बुलेट ट्रेन गुजरने वाली है, उसके रेलवे प्लेटफॉर्म नंबर चार के दृश्य किसी का भी ध्यान विचलित कर सकता हैं. यूपी और बिहार के मजदूर अपने घर जाने के लिए लाठियां खा रहे हैं, लेकिन वे किसी भी हाल में ट्रेन में चढ़ना चाहते हैं. जनरल डिब्बे में सीट नहीं है, इसलिए वे अपनी जान जोखिम में डालकर 25 घंटे के सफर के लिए डिब्बे के दरवाजे पर लटकने को तैयार हैं. सूरत शहर में उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों लोग रोजगार के लिए आते हैं. जब होली या गर्मी की छुट्टी पड़ती है, तो वे अपने धर चले जाते हैं, लेकिन उस वक्त उनका सफर काफी दयनीय देखा जाता है. ताप्ती गंगा सूरत शहर से यूपी, बिहार के लिए एकमात्र दैनिक ट्रेन है. जबकि उधना-दानापुर, उधना-बनारस और अंत्योदय साप्ताहिक ट्रेनें हैं. लेकिन गर्मी के मौसम में जब लाखों मजदूर अपने घर जाने के लिए रेलवे प्लेटफॉर्म पर आते हैं तो ट्रेन के डिब्बे के अंदर उनकी हालत भेड़-बकरियों जैसी होती है.