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शरीर को निरोगी तथा आयु को लंबा करता है प्राणायाम - प्राणायाम के लाभ

प्राणायाम का अर्थ है प्राण यानी ऊर्जा का विस्तार. प्राणायाम का नियमित अभ्यास हमें कई रोगों से बचा कर रखता है, लेकिन बहुत जरूरी है कि प्राणायाम को पूरे नियमानुसार किया जाए.

Benefits of pranayama
प्राणायाम के लाभ
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Published : Oct 14, 2020, 2:19 PM IST

योग हम भारतीयों की सदियों पुरानी परंपरा है. इसके फायदों को देश विदेश के चिकित्सा विज्ञान भी मानते हैं. योग सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखता है. कहा तो यहां तक जाता है कि योग के नियमित अभ्यास से आयु बढ़ती है और जटिल से जटिल रोग भी ठीक हो सकता है. योग क्रिया में सबसे बड़ी भूमिका श्वास की होती है. अभ्यास के दौरान श्वास पर नियंत्रण किसी भी आसन के लिए जरूरी नियम है और प्राणायाम हमें सही तरीके से श्वास लेने में मदद करता है. प्राणायाम किस तरह से हमारे शरीर को फायदा पहुंचाता है तथा इसके नियम क्या है इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने चोइथराम कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल में योग विभाग के एचओडी तथा असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हेमंत शर्मा से बात की.

क्या है प्राणायाम

डॉक्टर शर्मा बताते हैं की प्राणायाम में प्राण का मतलब ऊर्जा यानी जीवन शक्ति है, तथा आयाम का अर्थ है विस्तार. अर्थात प्राणायाम का अर्थ है प्राण यानि ऊर्जा का विस्तार. प्राणायाम करने पर श्वास के जरिए पूरे शरीर में ऊर्जा का विस्तार होता है. प्राणायाम को लेकर लोगों में आमतौर पर यह भ्रम है की यह अपने आप में संपूर्ण योग प्रक्रिया है. लेकिन प्राणायाम तभी फायदा करता है, जब उसका अभ्यास अन्य योग आसनों के साथ किया जाता है. प्राणायाम सम्पूर्ण नाड़ी-प्रणाली को सशक्त करने और संतुलित करने के साथ-साथ आसन-कर्ताओं के मन-मस्तिष्क को भी शांत और स्थिर रखने का कार्य करता है.

प्राणायाम के प्रकार

make healthy body with pranayama
प्राणायाम से बनाएं निरोगी शरीर

डॉ हेमंत शर्मा बताते हैं कि प्राणायाम का अभ्यास सुखासन, सिद्धासन, वज्रासन, अर्ध पद्मासन तथा पद्मासन, किसी भी आसन में बैठकर किया जा सकता है. योग में प्राणायाम के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख किया जाता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. नाड़ी शोधन
    इस प्रक्रिया में सुखासन में बैठकर अंगूठे से अपने दायें नाक की छिद्र को दबाएं और बायें नाक से श्वास बाहर निकालें. इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं. अब इस पूरी प्रक्रिया को 10-15 मिनट तक बार-बार दोहराएं.
  2. उज्जायी प्राणायाम
    इसमें समुद्र की लहरों के जैसे सांसों से आवाज निकालना है. सुखासन या पद्मासन में बैठकर जोर से सांस लें ताकि गले तक से आवाज आए. दूसरे चरण में अपने मुंह को बंद रखें और नाक से सांस बाहर छोड़ें. इसे कुल 10-15 बार करें.
  3. कपालभाति प्राणायाम
    इसमें भी आपको सुखासन या पद्मासन में बैठना है. सामान्य तरीके से 2-3 बार सांस लें. इसके बाद आपको जोर से सांस अंदर लेना है और उतने ही जोर से बार छोड़ना है. आपके सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का असर यहां आपके पेट पर दिखना चाहिए. इस क्रिया को 20-30 बार करें.
  4. दीर्घ प्राणायाम
    इस क्रिया को लेटकर किया जाता है. तेज सांस लें जिससे आपका पेट फूले थोड़ी देर इसी मुद्रा में रहें और फिर धीरे-धीरे सांस बाहर की ओर छोड़ें. दूसरी बार और तीसरी बार आपको और भी गहरी सांस अंदर लेनी है और ऐसे ही थोड़ी देर रोकर उसे बाहर छोड़ना है. इस क्रिया को 5-6 बार करें.
  5. विलोम प्राणायाम
    इसमें दो तरह की क्रिया की जाती है. पहले भाग में आपको सांस लेना है और उसे थोड़ी देर तक रोक कर रखना है और फिर दूसरे भाग में आपको सांस छोड़कर थोड़ी देर रुकना है. इसी प्रक्रिया को 5-6 बार दोहराते रहें.
  6. अनुलोम प्राणायाम
    ये विलोम प्राणायाम के जैसा ही होता है. इसमें भी दोनों नाकों से बारी-बारी से सांस लेना और छोड़ना होता है. एक से सांस लेते समय दूसरे नाक के छिद्र को पूरी तरह से बंद रखें. इस प्रक्रिया को दूसरी नाक से भी सांस लेने के दौरान अपनाएं.
  7. भ्रामरी प्राणायाम
    इस प्राणायाम में आपके आंख और कान दोनों बंद रहते हैं. आप अपने कानों को अपने अंगूठों से बंद करें और अपनी अंगुलियों की मदद से अपनी आंखों को बंद करें. अब ओम का उच्चारण करते हुए एक गहरी सांस लें और छोड़ें. इस प्रक्रिया को 10-15 बार करें.
  8. भस्त्रिका प्राणायाम
    ठंड के दिनों में शरीर को गर्म रखना है, तो इस प्राणायाम को करने से लाभ मिलता है. पैरों को मोड करके आसन ग्रहण करें और तेज गति से सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें. कुछ राउंड के बाद इस प्रक्रिया को धीमा कर दें और ऐसे ही समाप्त करें.
  9. शीतली प्राणायाम
    अपने मुंह से सांस लेते रहें. इस दौरान अपनी जीभ को रोल किए रहें. अपनी ठुड्डी को आगे की तरफ किए रहें और कुछ सेकेंड के लिए अपनी सांसों को रोकें. अब नाक की मदद से सांस बाहर निकालें. इससे आपकी शरीर में ठंडक आती है.

प्राणायाम के लाभ

प्राणायाम का नियमित अभ्यास  नाड़ियों में खून के दबाव को नियंत्रित करता है. इसके अतिरिक्त दमा, एलर्जी, साइनोसाइटिस, पुराना नजला तथा जुकाम आदि रोगों में प्राणायाम बहुत फायदेमंद साबित होता है. प्राणायाम के नियमित अभ्यास से फेफड़ों की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे शरीर की कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलने लगती है. जिसका पूरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है.

प्राणायाम से सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी काफी फायदे होते हैं. तनाव, अवसाद तथा बेचैनी सहित कई मानसिक अवस्थाओं में भी प्राणायाम के अभ्यास से काफी फायदा मिलता है. अस्थमा और हकलाने से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है. कहा तो यहां तक जाता है कि प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आयु लंबी होती है.

योग हम भारतीयों की सदियों पुरानी परंपरा है. इसके फायदों को देश विदेश के चिकित्सा विज्ञान भी मानते हैं. योग सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखता है. कहा तो यहां तक जाता है कि योग के नियमित अभ्यास से आयु बढ़ती है और जटिल से जटिल रोग भी ठीक हो सकता है. योग क्रिया में सबसे बड़ी भूमिका श्वास की होती है. अभ्यास के दौरान श्वास पर नियंत्रण किसी भी आसन के लिए जरूरी नियम है और प्राणायाम हमें सही तरीके से श्वास लेने में मदद करता है. प्राणायाम किस तरह से हमारे शरीर को फायदा पहुंचाता है तथा इसके नियम क्या है इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने चोइथराम कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल में योग विभाग के एचओडी तथा असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हेमंत शर्मा से बात की.

क्या है प्राणायाम

डॉक्टर शर्मा बताते हैं की प्राणायाम में प्राण का मतलब ऊर्जा यानी जीवन शक्ति है, तथा आयाम का अर्थ है विस्तार. अर्थात प्राणायाम का अर्थ है प्राण यानि ऊर्जा का विस्तार. प्राणायाम करने पर श्वास के जरिए पूरे शरीर में ऊर्जा का विस्तार होता है. प्राणायाम को लेकर लोगों में आमतौर पर यह भ्रम है की यह अपने आप में संपूर्ण योग प्रक्रिया है. लेकिन प्राणायाम तभी फायदा करता है, जब उसका अभ्यास अन्य योग आसनों के साथ किया जाता है. प्राणायाम सम्पूर्ण नाड़ी-प्रणाली को सशक्त करने और संतुलित करने के साथ-साथ आसन-कर्ताओं के मन-मस्तिष्क को भी शांत और स्थिर रखने का कार्य करता है.

प्राणायाम के प्रकार

make healthy body with pranayama
प्राणायाम से बनाएं निरोगी शरीर

डॉ हेमंत शर्मा बताते हैं कि प्राणायाम का अभ्यास सुखासन, सिद्धासन, वज्रासन, अर्ध पद्मासन तथा पद्मासन, किसी भी आसन में बैठकर किया जा सकता है. योग में प्राणायाम के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख किया जाता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. नाड़ी शोधन
    इस प्रक्रिया में सुखासन में बैठकर अंगूठे से अपने दायें नाक की छिद्र को दबाएं और बायें नाक से श्वास बाहर निकालें. इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं. अब इस पूरी प्रक्रिया को 10-15 मिनट तक बार-बार दोहराएं.
  2. उज्जायी प्राणायाम
    इसमें समुद्र की लहरों के जैसे सांसों से आवाज निकालना है. सुखासन या पद्मासन में बैठकर जोर से सांस लें ताकि गले तक से आवाज आए. दूसरे चरण में अपने मुंह को बंद रखें और नाक से सांस बाहर छोड़ें. इसे कुल 10-15 बार करें.
  3. कपालभाति प्राणायाम
    इसमें भी आपको सुखासन या पद्मासन में बैठना है. सामान्य तरीके से 2-3 बार सांस लें. इसके बाद आपको जोर से सांस अंदर लेना है और उतने ही जोर से बार छोड़ना है. आपके सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का असर यहां आपके पेट पर दिखना चाहिए. इस क्रिया को 20-30 बार करें.
  4. दीर्घ प्राणायाम
    इस क्रिया को लेटकर किया जाता है. तेज सांस लें जिससे आपका पेट फूले थोड़ी देर इसी मुद्रा में रहें और फिर धीरे-धीरे सांस बाहर की ओर छोड़ें. दूसरी बार और तीसरी बार आपको और भी गहरी सांस अंदर लेनी है और ऐसे ही थोड़ी देर रोकर उसे बाहर छोड़ना है. इस क्रिया को 5-6 बार करें.
  5. विलोम प्राणायाम
    इसमें दो तरह की क्रिया की जाती है. पहले भाग में आपको सांस लेना है और उसे थोड़ी देर तक रोक कर रखना है और फिर दूसरे भाग में आपको सांस छोड़कर थोड़ी देर रुकना है. इसी प्रक्रिया को 5-6 बार दोहराते रहें.
  6. अनुलोम प्राणायाम
    ये विलोम प्राणायाम के जैसा ही होता है. इसमें भी दोनों नाकों से बारी-बारी से सांस लेना और छोड़ना होता है. एक से सांस लेते समय दूसरे नाक के छिद्र को पूरी तरह से बंद रखें. इस प्रक्रिया को दूसरी नाक से भी सांस लेने के दौरान अपनाएं.
  7. भ्रामरी प्राणायाम
    इस प्राणायाम में आपके आंख और कान दोनों बंद रहते हैं. आप अपने कानों को अपने अंगूठों से बंद करें और अपनी अंगुलियों की मदद से अपनी आंखों को बंद करें. अब ओम का उच्चारण करते हुए एक गहरी सांस लें और छोड़ें. इस प्रक्रिया को 10-15 बार करें.
  8. भस्त्रिका प्राणायाम
    ठंड के दिनों में शरीर को गर्म रखना है, तो इस प्राणायाम को करने से लाभ मिलता है. पैरों को मोड करके आसन ग्रहण करें और तेज गति से सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें. कुछ राउंड के बाद इस प्रक्रिया को धीमा कर दें और ऐसे ही समाप्त करें.
  9. शीतली प्राणायाम
    अपने मुंह से सांस लेते रहें. इस दौरान अपनी जीभ को रोल किए रहें. अपनी ठुड्डी को आगे की तरफ किए रहें और कुछ सेकेंड के लिए अपनी सांसों को रोकें. अब नाक की मदद से सांस बाहर निकालें. इससे आपकी शरीर में ठंडक आती है.

प्राणायाम के लाभ

प्राणायाम का नियमित अभ्यास  नाड़ियों में खून के दबाव को नियंत्रित करता है. इसके अतिरिक्त दमा, एलर्जी, साइनोसाइटिस, पुराना नजला तथा जुकाम आदि रोगों में प्राणायाम बहुत फायदेमंद साबित होता है. प्राणायाम के नियमित अभ्यास से फेफड़ों की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे शरीर की कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलने लगती है. जिसका पूरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है.

प्राणायाम से सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी काफी फायदे होते हैं. तनाव, अवसाद तथा बेचैनी सहित कई मानसिक अवस्थाओं में भी प्राणायाम के अभ्यास से काफी फायदा मिलता है. अस्थमा और हकलाने से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है. कहा तो यहां तक जाता है कि प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आयु लंबी होती है.

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