वाराणसी: सनातन धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु व महेश त्रिदेवों में भगवान शिव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के पालनहार, अकाल मृत्युहर्ता तथा सर्वसिद्धिदाता माने गए हैं. भगवान शिवजी की महिमा में फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व (Mahashivratri 2023) हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है. शिवपुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिवजी से इसी दिन हुआ था. पौराणिक मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि के दिन निशा बला में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए थे. इसके फलस्वरूप महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है.
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी, शनिवार को रात्रि 8 बजकर 03 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 19 फरवरी, रविवार को दिन में 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि (महानिशीथकाल रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक) में मध्यरात्रि में भगवान शिवजी की पूजा विशेष पुण्य फलदायी होती हैं. महाशिवरात्रि से ही प्रत्येक माह हर मासिक शिवरात्रि का व्रत प्रारम्भ किया जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के व्रत से सुख- सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
शिव आराधना का विधान: ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को चतुर्दशी तिथि के दिन व्रत उपवास रखकर भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. त्रयोदशी तिथि के दिन एक बार सात्विक भोजन करना चाहिए. व्रतकर्ता को तिल, बेलपत्र व खोर से हवन करने के पश्चात् अपने व्रत का पारण करना चाहिए.
क्या करें शिवजी को अर्पित: भगवान शिवजी का दूध व जल से अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, चन्दन, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर ही पूजा करनी चाहिए. शिवभक्त अपने मस्तिष्क पर भरग और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा का विशेष फल मिलता है.
चार प्रहर की पूजा देगी फल: प्रथम प्रहर में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करें एवं ॐ ह्रीं ईशान्य नमः मन्त्र का जप करें. द्वितीय प्रहर में भगवान शिव का दही से अभिषेक करें तथा ॐ ह्रीं अघोराय नमः मन्त्र का जप करें. तृतीय प्रहर में भगवान शिव का शुद्ध देशी घी से अभिषेक करें साथ हो ॐ ह्रीं वामदेवाय नमः -मन्त्र का जप करें. चतुर्थ प्रहर भगवान शिव का शब्द से अभिषेक करें एवं ॐ ह्रीं सध्योजाताय नमः मन्त्र का जाप करें.
महाशिवरात्रि पर कौन सा पाठ करें: भगवान् शिव की महिमा में शिव चालीसा, शिव स्तुति, शिव-सतनाम, शिव महिम्नस्तोत्र, शिवताण्डव स्तोत्र, रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए तथा शिव के प्रिय पंचाक्षर मन्त्र ॐ नमः शिवाय' का मानसिक जप करना चाहिए. शिवपुराण के अनुसार ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ॐ' इस मन्त्र के जप से सर्वविध कल्याण होता है. महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवजी की पूजा-अर्चना करके रात्रि जागरण करने पर ही व्रत पूर्ण फलदायी माना गया है. व्रत के दिन अपनी दिनचर्या नियमित संयमित रखते हुए भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करके विशेष पुण्यलाभ उठाना चाहिए. महाशिवरात्रि से ही मासिक शिवरात्रि का व्रत प्रारंभ किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि व्रत से सुख-समृद्धि सफलता मिलती है.
राशि के अनुसार पूजा होगी विशेष फलदायी:
1- मेष- भगवान शिव की पूजा गुलाल से करें. ॐ ममलेश्वराय नमः' मन्त्र का जप करें तथा लाल वस्त्र, लाल चंदन, गुरु तांबा, लाल फूल आदि का दान करें.
2- वृषभ- शिवजी का अभिषेक दूध से करें. ॐ नागेश्वराय नमः मन्त्र का जप करें तथा सफेद फूल सफेद चंदन चावल, चांदी भी सफेद वस्त्र आदि का दान करें.
3- मिथुन - शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस से करें. ॐ भूतेश्वराय नमः' मन्त्र का जप करें तथा मूंग, कस्तुरी, कांसा, हरा वस्त्र, पन्ना, सोना, मूंगा, घी का दान करें.
4- कर्क- शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें. महादेव के दस नाम का स्मरण करें सफेद फूल सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, चांदी, मोती दही का दान करें.
5- सिंह- शिवजी का अभिषेक शहद से करें. ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का जप करें तथा लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूँ गुड़ आदि का दान करें.
6- कन्या- शिवजी का अभिषेक गंगाजल या शुद्धजल से करें. श्री शिव चालीसा का पाठ करें तथा हरा फूल कस्तूरी, कांसा, मूंग, वस्त्र, घी, हरा फल का दान करें.
7- तुला- शिवजी का अभिषेक दही से करें. शिवाष्टक का पाठ करें तथा सुगंध, सफेद चंदन, सफेद फूल, चावल चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें.
8- वृश्चिक- शिवजी का अभिषेक दूध व घी से करें. ॐ अंगारेश्वराय नमः मन्त्र का जप करें तथा गेहूँ, गुड़, तांबा, मूंगा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मसूर का दान करें.
9- धनु- शिवजी का अभिषेक दूध से करें. ॐ रामेश्वराय नमः' मन्त्र का जप करें तथा पीला वस्त्र चने की दाल, हल्दी, पीला फल, फूल, सोना, देशी घी का दान करें.
10- मकर- शिव का अभिषेक अनार के रस से करें. श्री शिवसहस्रनाम का पाठ करें तथा तिल, तेल, कालेवर, लोहा, कस्तूरी कुली आदि का दान करें.
11- कुम्भ– शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें. ॐ नमः शिवाय' मन्त्र का जप करें तथा काले काला तिल, उड़द, तिल का रोल छाता आदि का दान करें.
12- मीन- शिवजी का अभिषेक ऋतुफल से करें. ॐ भीमेश्वराय नमः मन्त्र का जप करें तथा चने की दाल, पीला वस्त्र, हल्दी, फूल, पीला फल, सोना आदि का दान करें.