वाराणसी: मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चन्द्रघण्टा है. नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन की आराधना की जाती है. मां चन्द्रघण्टा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं. यह क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं.
परम शांति दायक और कल्याणकारी है मां का यह स्वरूप
मां का यह स्वरूप बहुत ही शांति दायक और कल्याणकारी है. इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है. इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. इनके दस हाथ हैं. इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं. इनका वाहन सिंह है. इनकी मुद्रा युद्ध के लिए सदैव उद्दत रहने की होती है.
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अच्छा नहीं लग रहा कि माता का कपाट बंद है परंतु दर्शन हो गया माता जी का ये अच्छा लगा.
रवि शंकर सोनी, श्रद्धालु
प्रसन्न करने के लिए गुड़हल की माला, चमेली के फूल के साथ सफेद पेड़ा या बर्फी के साथ नारियल चढ़ाया जाता है. माता के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान है और माता की आवाज घंटे की तरह है. उसका अभिप्राय है कि माता भक्तों को निर्भय होने का वरदान देती है.अध्ययन करने वाले छात्र अगर मन से मां की आराधना कर नवरात्र के तीसरे दिन दर्शन करते हैं, उन्हें विनम्रता व ज्ञान की प्राप्ति होती है. नौ देवी में मां चंद्रघंटा देवी है, जो निर्भयता के साथ विनम्रता भी प्रदान करती हैं. इनकी उपासना करने से मणिपुत्रक जागृत होता है.
अंशुरेश्वर,पुजारी चन्द्रघण्टा मंदिर