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ज्ञानवापी विवाद के बाद आखिर क्यों बच्चों को पढ़ाया जा रहा वर्शिप एक्ट

ज्ञानवापी मस्जिद (gyanvapi masjid case) और श्रृंगार गौरी (shringar gauri temple case) का मामला काफी सुर्खियों में छाया है. इस मामले को जानने के लिए हर कोई इच्छुक है. शायद यही वजह है कि कोचिंग संस्थान भी अपने छात्रों को वर्शिप एक्ट (study of Worship Act) से जुड़े नियम और एक्ट के बारे में पढ़ा रहे हैं.

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कोचिंग संस्थानों में वर्शिप एक्ट की पढ़ाई
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Published : Sep 20, 2022, 10:28 PM IST

वाराणसी: काशी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (gyanvapi masjid case ) और श्रृंगार गौरी के मामले (shringar gauri temple case) में वाराणसी जिला जज की कोर्ट ने सुनवाई (gyanvapi case hearing) की. कोर्ट ने मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है. अब तक यह मामला इतना बड़ा बन गया है कि हर कोई इसके बारे में जानना चाहता है. यहां तक कोचिंग संस्थान भी अपने छात्रों को वर्शिप एक्ट (study of Worship Act) से जुड़े नियम और एक्ट के बारे में पढ़ा रहे हैं.

वाराणसी के ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी जिला जज कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने ज्ञानवापी कैंपस में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है. जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी. अब अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख तय की गई है.

5 महिलाओं ने मांगी थी पूजा की अनुमति

अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है.

इस केस के बारे में जानने की जरूरत क्यों?

कोचिंग संस्थान में आए गेस्ट शिक्षक ने बताया कि इसकी जरूरत इसलिए है क्योंकि इस एक्ट के द्वारा भारत के कुछ संवैधानिक मूल्यों पर प्रश्न चिन्ह लगा है. सामान्य अध्ययन के विषय में इसके प्रश्न पूछे जा सकते हैं कि वर्शिप एक्ट क्या है? वर्शिप एक्ट के किस प्रावधान के अंतर्गत इस कानून को चुनौती दी गई है. मस्जिद और मंदिर विवाद का किस प्रकार से निस्तारण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि छात्रों को इस मामले में अपडेट करने के लिए विश्लेषकों के माध्यम से जानकारी दिलाई जा रही है.

यह भी पढ़ें: काशी को जल्द मिलेगी 'सोवा रिग्पा' की सौगात, इतनी लागत से तैयार हो रहा अनूठा अस्पताल

छात्रों के लिए यह एक्ट एकदम नया है

छात्रों का कहना है कि ये करेंट का मुद्दा है तो इसे हमारी परीक्षाओं और इंटरव्यू में पूछा जा सकता है. हमें इस एक्ट के बारे में पता ही नहीं था. जब से ज्ञानवापी का मुद्दा उठा है तब से वर्शिप एक्ट 1991 के बारे में पता चला है. हम प्रतियोगी छात्र हैं और करेंट अफेयर्स से जुड़े सवालों में ऐसे सवाल आते रहते हैं. इसलिए हमें इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है.

यूपीएससी और पीसीएस में भी ऐसे प्रश्न बनते हैं

एक अन्य शिक्षक ने बताया कि सामान्य अध्ययन में करेंट का भी पार्ट होता है। संविधान और पॉलिटी भी सिलेबस का पार्ट होता है. गवर्नेंस और समाज भी सिलेबस में पढ़ाया जाता है.यूपीएससी और पीसीएस में भी ऐसे प्रश्न बनते हैं. बहुत संभावना है कि आने वाले मेन्स के एग्जाम में भी इसमें से कोई प्रश्न पूछा जा सकता है.लड़कों की भी मांग है कि वर्शिप एक्ट को लेकर तैयारी क्लीयर करा दी जाए, क्योंकि सवाल किसी भी एंगल से पूछे जा सकते हैं.

प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम

प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम सन् 1991 में पीवी नरसिम्‍हा राव की कांग्रेस सरकार के दौरान लागू किया गया था. इस एक्‍ट के अनुसार 15 अगस्‍त 1947 यानी आजादी से पहले अस्तित्‍व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. इस एक्‍ट में कहा गया है कि अगर कोई इस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो तीन साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: 5 कमरों में पेइंग गेस्ट हाउस संचालित करने का लाइसेंस लेकर बनारस में चल रहे कई होटल और लॉज

प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम

प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम सन् 1991 में पीवी नरसिम्‍हा राव की कांग्रेस सरकार के दौरान लागू किया गया था. इस एक्‍ट के अनुसार 15 अगस्‍त 1947 यानी आजादी से पहले अस्तित्‍व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. इस एक्‍ट में कहा गया है कि अगर कोई इस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो तीन साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

वाराणसी: काशी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (gyanvapi masjid case ) और श्रृंगार गौरी के मामले (shringar gauri temple case) में वाराणसी जिला जज की कोर्ट ने सुनवाई (gyanvapi case hearing) की. कोर्ट ने मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है. अब तक यह मामला इतना बड़ा बन गया है कि हर कोई इसके बारे में जानना चाहता है. यहां तक कोचिंग संस्थान भी अपने छात्रों को वर्शिप एक्ट (study of Worship Act) से जुड़े नियम और एक्ट के बारे में पढ़ा रहे हैं.

वाराणसी के ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी जिला जज कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने ज्ञानवापी कैंपस में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है. जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी. अब अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख तय की गई है.

5 महिलाओं ने मांगी थी पूजा की अनुमति

अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है.

इस केस के बारे में जानने की जरूरत क्यों?

कोचिंग संस्थान में आए गेस्ट शिक्षक ने बताया कि इसकी जरूरत इसलिए है क्योंकि इस एक्ट के द्वारा भारत के कुछ संवैधानिक मूल्यों पर प्रश्न चिन्ह लगा है. सामान्य अध्ययन के विषय में इसके प्रश्न पूछे जा सकते हैं कि वर्शिप एक्ट क्या है? वर्शिप एक्ट के किस प्रावधान के अंतर्गत इस कानून को चुनौती दी गई है. मस्जिद और मंदिर विवाद का किस प्रकार से निस्तारण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि छात्रों को इस मामले में अपडेट करने के लिए विश्लेषकों के माध्यम से जानकारी दिलाई जा रही है.

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छात्रों के लिए यह एक्ट एकदम नया है

छात्रों का कहना है कि ये करेंट का मुद्दा है तो इसे हमारी परीक्षाओं और इंटरव्यू में पूछा जा सकता है. हमें इस एक्ट के बारे में पता ही नहीं था. जब से ज्ञानवापी का मुद्दा उठा है तब से वर्शिप एक्ट 1991 के बारे में पता चला है. हम प्रतियोगी छात्र हैं और करेंट अफेयर्स से जुड़े सवालों में ऐसे सवाल आते रहते हैं. इसलिए हमें इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है.

यूपीएससी और पीसीएस में भी ऐसे प्रश्न बनते हैं

एक अन्य शिक्षक ने बताया कि सामान्य अध्ययन में करेंट का भी पार्ट होता है। संविधान और पॉलिटी भी सिलेबस का पार्ट होता है. गवर्नेंस और समाज भी सिलेबस में पढ़ाया जाता है.यूपीएससी और पीसीएस में भी ऐसे प्रश्न बनते हैं. बहुत संभावना है कि आने वाले मेन्स के एग्जाम में भी इसमें से कोई प्रश्न पूछा जा सकता है.लड़कों की भी मांग है कि वर्शिप एक्ट को लेकर तैयारी क्लीयर करा दी जाए, क्योंकि सवाल किसी भी एंगल से पूछे जा सकते हैं.

प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम

प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम सन् 1991 में पीवी नरसिम्‍हा राव की कांग्रेस सरकार के दौरान लागू किया गया था. इस एक्‍ट के अनुसार 15 अगस्‍त 1947 यानी आजादी से पहले अस्तित्‍व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. इस एक्‍ट में कहा गया है कि अगर कोई इस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो तीन साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम

प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम सन् 1991 में पीवी नरसिम्‍हा राव की कांग्रेस सरकार के दौरान लागू किया गया था. इस एक्‍ट के अनुसार 15 अगस्‍त 1947 यानी आजादी से पहले अस्तित्‍व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. इस एक्‍ट में कहा गया है कि अगर कोई इस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो तीन साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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