वाराणसीः प्रत्येक वर्ष 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है. होम्योपैथी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी पहुंच में सुधार लाना इसका उद्देश्य है. यह दिवस होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.
जिला होम्योपैथी अधिकारी डॉ. रचना श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थापक डॉ. हैनीमैन के 267वें जन्मदिवस पर विश्व होम्योपैथी दिवस 2022 की थीम "पीपुल्स चॉइस ऑफ वेलनेस" है. होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली का मानना है कि शरीर अपने आप ठीक हो सकता है. होम्योपैथी दवा पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों से बनी होती है, क्योंकि इसमें हीलिंग गुण होते हैं. इस दिवस पर, विभिन्न प्रकार के सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं, जिसमें होम्योपैथी के बारे में बेहतर जागरूकता पैदा करना, इसकी पहुंच में सुधार करना और चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक बनाना है.
डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि होम्योपैथी यूनानी शब्द होमो से आया है, जिसका अर्थ है समान और पैथोस दुःख या बीमारी. होम्योपैथी आज दुनिया में सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक उपचारों में से एक है. भारत में होम्योपैथी सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. भारत विश्व स्तर पर सबसे बड़े होम्योपैथी दवा निर्माताओं और व्यापारियों में से एक है.
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उन्होंने बताया कि होम्योपैथी चिंतित और उदास रोगी को ठीक कर सकती है लेकिन रोगी आक्रामक हो जाता है, क्योंकि इसमें धीरे-धीरे सुधार होता है. व्यक्ति को विभिन्न खाद्य विकल्पों का पालन करना चाहिए और दवा लेने के लिए मानसिक स्थिरता होनी चाहिए. होम्योपैथी दवा लेने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है.
होम्योपैथी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ मनीष त्रिपाठी ने बताया कि एलोपैथ, आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों की भांति होम्योपैथी की भी कुछ अलग विशेषताएं हैं. इन्हीं विशेषताओं के कारण आज होम्योपैथी विश्वभर में सौ से भी अधिक देशों में अपनाई जा रही है. भारत होम्योपैथी के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश है. होम्योपैथी दवाओं को विभिन्न संक्रमित और गैर संक्रमित बीमारियों के अलावा बच्चों और महिलाओं की बीमारियों में भी विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है.
होम्योपैथी दवाओं के बारे में धारणा है कि इन दवाओं का असर रोगी पर धीरे-धीरे होता है. इस चिकित्सा प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह रोगों को जड़ से दूर करती है और इन दवाओं के साइड इफेक्ट भी नहीं के बराबर होते हैं. इसके साथ ही यह चिकित्सा प्रणाली बेहद सरल, सस्ती व सुलभ है, जिसको सरकार भी निरंतर बढ़ावा दे रही है.
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि होम्योपैथी दवाएं प्रत्येक व्यक्ति पर अलग तरीके से काम करती है और अलग-अलग व्यक्तियों पर इनका असर भी अलग ही होता है. होम्योपैथी चिकित्सकों की मानें तो डायरिया, सर्दी-जुकाम, बुखार जैसी बीमारियों में होम्योपैथी दवाएं एलोपैथी दवाओं की ही भांति तीव्रता से काम करती हैं लेकिन अस्थमा, गठिया, त्वचा रोगों इत्यादि को ठीक करने में ये दवाएं काफी समय तो लेती हैं लेकिन इन रोगों को जड़ से खत्म कर देती हैं. विभिन्न शोधों के अनुसार कार्डियोवैस्कुलर बीमारी की रोकथाम, मैमोरी पावर बढ़ाने, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने तथा ऐसी ही कुछ अन्य बीमारियों में होम्योपैथी दवाएं अन्य दवाओं की तुलना में ज्यादा कारगर होती हैं.
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