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हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस होगा वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन का सिग्नल, नहीं होगी कोई दुर्घटना

रेलवे डीआरएम लालजी चौधरी ने बताया कि सिग्नल को लेकर वाराणसी में विश्व की हाईटेक टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. इस प्रयोग से प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों के संचालन और आवागमन को नियंत्रित करने में आसानी होगी. साथ ही कुछ ही सेकेंड में ट्रेनों को डाइवर्ट किया जा सकता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 6, 2023, 12:53 PM IST

Updated : Sep 6, 2023, 1:13 PM IST

रेलवे डीआरएम लालजी चौधरी ने बताया.

वाराणसीः ओडिसा के बालासोर में रेल हादसा आज भी हर किसी के जेहन में है. इस दहशत भरे हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. आपस में ट्रेनों की हुई टक्कर ने रेलवे सुरक्षा की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए थे. तमाम दावों पर भी एक बड़ा सवाल था जो रेलवे को आधुनिक रखने की बात करते हैं. ऐसे में ऐसी किसी सिग्नल को लेकर दोबारा कोई घटना न हो इसे लेकर वाराणसी में विश्व की हाईएस्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. इससे रेलवे स्टेशन के सिग्नल को क्लीन रखा जा सकेगा. साथ ही महज 10 सेकंड में गाड़ी को डाइवर्ट भी किया जा सकेगा.

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सिग्नल को लेकर वाराणसी में विश्व की हाईएस्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग.


रेलवे के सिग्नल पर पैनी नजर
भारतीय रेलवे अपने आप को अपडेट करने की लगातार कोशिशें कर रहा है. इसमें नई-नई तकनीकि का प्रयोग किया जा रहा है. यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशनों का विस्तार और विकास करने का काम किया जा रहा है. वहीं, ट्रेनों के सुरक्षित आवागमन को लेकर भी तमाम योजनाएं बनाई जा रही हैं. रेलवे कवच भी उसी में से एक है. अब वाराणसी में एक और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होने जा रहा है जो रेलवे के सिग्नल पर पैनी नजर रखेगा और कुछ ही सेकेंड में ट्रेन को डाइवर्ट करने का काम करेगा. इसके साथ ही वह डेटा कलेक्ट करता रहेगा, जिससे पूरा सिस्टम मॉनिटर होगा.

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हाई टेक्नोलॉजी से लैस होगा वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन.


दुनिया का सबसे स्टैंडर्ड सॉफ्टवेयर कर रहे प्रयोग
'यह पूरी तरीके से कंप्यूटर बेस्ड टेक्नोलॉजी है. इसका सॉफ्टवेयर कोई सामान्य सॉफ्टवेयर नहीं है जैसा कि हम लोग मोबाइल फोन्स में प्रयोग करते हैं. इसका (SIL) सेफ्टी इंटीग्रेशन लेवल लेवल 4 है, जो कि दुनिया का सबसे हाइयेस्ट सेफ्टी स्टैंडर्ड होता है.' ईटीवी भारत को रेलवे डीआरएम लालजी चौधरी ने बताया कि 'यह सॉफ्टवेयर जापान की कंपनी तैयार किया है. इसे आरडीएसओ ने 10 से 12 साल तक टेस्ट किया है. इस सॉफ्टवेयर के 8 सेंसिंग प्लेस हैं, जहां से डेटा इकट्ठा करके अपने सर्वर में अपलोड करता है. यहीं से सारा प्रोसेस होता है. आप कंप्यूटर पर माउस से क्लिक करेंगे तो अपने आप सारी चीजें सेट हो जाएंगी. इससे समय की भी बचत होगी.'

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वाराणसी जंक्शन पर अवैध तरीके से रेलवे ट्रैक पार करता यात्री.
तकनीक में मिलेगा फुल प्रूफ सेफ्टीलालजी चौधरी ने कहा कि 'अगर आपको कोई ट्रेन काशी से लोहता की तरफ भेजनी है तो पहले की अपेक्षा इस काम को करने में सेकेंड भर लगेगा. पांच सेकेंड में रूट तय हो जाएगा, जिससे ट्रेन आगे जा सकेगी. इससे हमारा मूमेंट तेज हो जाएगा. इस उपकरण से हमारी सेफ्टी भी अच्छी हो जाती है. इसमें कोई शॉर्टकट नहीं यूज कर सकता है. फुल प्रूफ सेफ्टी है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए इस सिस्टम को समझाया. लालजी चौधरी ने कहा कि 'अगर शहर में कारें बढ़ जाती हैं तो ट्रैफिक रेगुलेट करने के लिए एक सिस्टम होता है. अधिक भीड़ के लिए सिग्नल का प्रयोग होता है. उस समय सभी के डारेक्शन तय किए जाते हैं.'
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वाराणसी जंक्शन.
ट्रेनों का रूट मैनुअली डायवर्ट नहीं हो सकतारेलवे डीआरएम ने बताया कि जो ट्रेन की पटरियां होती हैं. दो-चार लाइनें आ रही होती हैं. स्टेशन एरिया में कुछ ट्रेनों को रोकना होता है, किसी का पार्सल उतारना होता है. ये सब करने के लिए सिस्टम के तहत करना पड़ता है. ये मैनुअल हो नहीं सकता है. यह आधुनिक सिस्टम इस तरीके की केयर करता है. वह सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों को डायवर्ट करने का काम करता है.' उन्होंने यहा भी कहा कि यह जापानी तकनीकि जरूर है. लेकिन अब यह भारतीय तकनीकि में बदल चुकी है. इससे ट्रेनों का सिग्नल सिस्टम काफी अच्छा हो जाएगा.



सेकेंड में ही ट्रेनों को मिल जाएंगे सिग्नल
रेलवे डीआरएम ने बताया कि रेलवे की रिसर्च विंग और आरडीएसओ की टीम के पास कंपनियों की लिस्टिंग होती है कि कौन-कौन सी कंपनी इस सॉफ्टवेयर को बना सकती है. इनमें से 5-6 कंपनियां भारत में हैं जो अप्रूव्ड हैं.' लालजी चौधरी ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत यहां पर ट्रेनों के परिचालन में सुधार होगा. इसके साथ ही कुछ ही सेकेंड्स में ट्रेनों को सिग्नल मिल सकेंगे. वहीं, प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों के संचालन व आवागमन को नियंत्रित करने में भी आसानी रहेगी. इस सुविधा के होने से कई ट्रेनों को एकसाथ सुरक्षित स्टेशन से पास कराया जा सकेगा. ऐसे में रेलवे की गति और सुरक्षा में वृद्धि देखने को मिलेगी.

सिग्नल से नहीं हो सकती छेड़छाड़
रेलवे अधिकारी ने बताया कि 'इस सॉफ्टवेयर की मदद से सिग्नल आसानी से दिए जा सकेंगे. इसके साथ ही सिग्नल में कोई भी छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा. कैंट रेलवे स्टेशन और यार्ड में नई सिग्नल प्रणाली लगाने की पूरी तैयारी है. रेलवे बोर्ड से अनुमति मिलने का वह इंतजार कर रहे हैं.' उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े वित्तीय संस्थान अपने सिस्टम को अभेद्य बनाने के लिए एसआइएल-वन और टू वर्जन का इस्तेमाल करते हैं. इस समय रेलवे एसआइएल-4 वर्जन का इस्तेमाल कर रही है. वर्तमान में 179 यात्री ट्रेनें रोजाना कैंट स्टेशन आती हैं. इसके साथ ही 80 मालगाड़ी रोजाना स्टेशन से गुजरती है.

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रेलवे डीआरएम लालजी चौधरी ने बताया.

वाराणसीः ओडिसा के बालासोर में रेल हादसा आज भी हर किसी के जेहन में है. इस दहशत भरे हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. आपस में ट्रेनों की हुई टक्कर ने रेलवे सुरक्षा की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए थे. तमाम दावों पर भी एक बड़ा सवाल था जो रेलवे को आधुनिक रखने की बात करते हैं. ऐसे में ऐसी किसी सिग्नल को लेकर दोबारा कोई घटना न हो इसे लेकर वाराणसी में विश्व की हाईएस्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. इससे रेलवे स्टेशन के सिग्नल को क्लीन रखा जा सकेगा. साथ ही महज 10 सेकंड में गाड़ी को डाइवर्ट भी किया जा सकेगा.

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सिग्नल को लेकर वाराणसी में विश्व की हाईएस्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग.


रेलवे के सिग्नल पर पैनी नजर
भारतीय रेलवे अपने आप को अपडेट करने की लगातार कोशिशें कर रहा है. इसमें नई-नई तकनीकि का प्रयोग किया जा रहा है. यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे स्टेशनों का विस्तार और विकास करने का काम किया जा रहा है. वहीं, ट्रेनों के सुरक्षित आवागमन को लेकर भी तमाम योजनाएं बनाई जा रही हैं. रेलवे कवच भी उसी में से एक है. अब वाराणसी में एक और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होने जा रहा है जो रेलवे के सिग्नल पर पैनी नजर रखेगा और कुछ ही सेकेंड में ट्रेन को डाइवर्ट करने का काम करेगा. इसके साथ ही वह डेटा कलेक्ट करता रहेगा, जिससे पूरा सिस्टम मॉनिटर होगा.

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हाई टेक्नोलॉजी से लैस होगा वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन.


दुनिया का सबसे स्टैंडर्ड सॉफ्टवेयर कर रहे प्रयोग
'यह पूरी तरीके से कंप्यूटर बेस्ड टेक्नोलॉजी है. इसका सॉफ्टवेयर कोई सामान्य सॉफ्टवेयर नहीं है जैसा कि हम लोग मोबाइल फोन्स में प्रयोग करते हैं. इसका (SIL) सेफ्टी इंटीग्रेशन लेवल लेवल 4 है, जो कि दुनिया का सबसे हाइयेस्ट सेफ्टी स्टैंडर्ड होता है.' ईटीवी भारत को रेलवे डीआरएम लालजी चौधरी ने बताया कि 'यह सॉफ्टवेयर जापान की कंपनी तैयार किया है. इसे आरडीएसओ ने 10 से 12 साल तक टेस्ट किया है. इस सॉफ्टवेयर के 8 सेंसिंग प्लेस हैं, जहां से डेटा इकट्ठा करके अपने सर्वर में अपलोड करता है. यहीं से सारा प्रोसेस होता है. आप कंप्यूटर पर माउस से क्लिक करेंगे तो अपने आप सारी चीजें सेट हो जाएंगी. इससे समय की भी बचत होगी.'

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वाराणसी जंक्शन पर अवैध तरीके से रेलवे ट्रैक पार करता यात्री.
तकनीक में मिलेगा फुल प्रूफ सेफ्टीलालजी चौधरी ने कहा कि 'अगर आपको कोई ट्रेन काशी से लोहता की तरफ भेजनी है तो पहले की अपेक्षा इस काम को करने में सेकेंड भर लगेगा. पांच सेकेंड में रूट तय हो जाएगा, जिससे ट्रेन आगे जा सकेगी. इससे हमारा मूमेंट तेज हो जाएगा. इस उपकरण से हमारी सेफ्टी भी अच्छी हो जाती है. इसमें कोई शॉर्टकट नहीं यूज कर सकता है. फुल प्रूफ सेफ्टी है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए इस सिस्टम को समझाया. लालजी चौधरी ने कहा कि 'अगर शहर में कारें बढ़ जाती हैं तो ट्रैफिक रेगुलेट करने के लिए एक सिस्टम होता है. अधिक भीड़ के लिए सिग्नल का प्रयोग होता है. उस समय सभी के डारेक्शन तय किए जाते हैं.'
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वाराणसी जंक्शन.
ट्रेनों का रूट मैनुअली डायवर्ट नहीं हो सकतारेलवे डीआरएम ने बताया कि जो ट्रेन की पटरियां होती हैं. दो-चार लाइनें आ रही होती हैं. स्टेशन एरिया में कुछ ट्रेनों को रोकना होता है, किसी का पार्सल उतारना होता है. ये सब करने के लिए सिस्टम के तहत करना पड़ता है. ये मैनुअल हो नहीं सकता है. यह आधुनिक सिस्टम इस तरीके की केयर करता है. वह सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों को डायवर्ट करने का काम करता है.' उन्होंने यहा भी कहा कि यह जापानी तकनीकि जरूर है. लेकिन अब यह भारतीय तकनीकि में बदल चुकी है. इससे ट्रेनों का सिग्नल सिस्टम काफी अच्छा हो जाएगा.



सेकेंड में ही ट्रेनों को मिल जाएंगे सिग्नल
रेलवे डीआरएम ने बताया कि रेलवे की रिसर्च विंग और आरडीएसओ की टीम के पास कंपनियों की लिस्टिंग होती है कि कौन-कौन सी कंपनी इस सॉफ्टवेयर को बना सकती है. इनमें से 5-6 कंपनियां भारत में हैं जो अप्रूव्ड हैं.' लालजी चौधरी ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत यहां पर ट्रेनों के परिचालन में सुधार होगा. इसके साथ ही कुछ ही सेकेंड्स में ट्रेनों को सिग्नल मिल सकेंगे. वहीं, प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों के संचालन व आवागमन को नियंत्रित करने में भी आसानी रहेगी. इस सुविधा के होने से कई ट्रेनों को एकसाथ सुरक्षित स्टेशन से पास कराया जा सकेगा. ऐसे में रेलवे की गति और सुरक्षा में वृद्धि देखने को मिलेगी.

सिग्नल से नहीं हो सकती छेड़छाड़
रेलवे अधिकारी ने बताया कि 'इस सॉफ्टवेयर की मदद से सिग्नल आसानी से दिए जा सकेंगे. इसके साथ ही सिग्नल में कोई भी छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा. कैंट रेलवे स्टेशन और यार्ड में नई सिग्नल प्रणाली लगाने की पूरी तैयारी है. रेलवे बोर्ड से अनुमति मिलने का वह इंतजार कर रहे हैं.' उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े वित्तीय संस्थान अपने सिस्टम को अभेद्य बनाने के लिए एसआइएल-वन और टू वर्जन का इस्तेमाल करते हैं. इस समय रेलवे एसआइएल-4 वर्जन का इस्तेमाल कर रही है. वर्तमान में 179 यात्री ट्रेनें रोजाना कैंट स्टेशन आती हैं. इसके साथ ही 80 मालगाड़ी रोजाना स्टेशन से गुजरती है.

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Last Updated : Sep 6, 2023, 1:13 PM IST
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