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काशी की 239 वर्ष पुरानी यह रामलीला 9 सितंबर से होगी शुरू, यूनेस्को की धरोहर में भी है शामिल - वाराणसी में रामलीला

239 साल पुरानी विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला (World Famous Ramlila of Ramnagar) 9 सितंबर से शुरू हो रही है. यूनेस्को की अमूर्त विश्व सांस्कृतिक विरासत में शामिल यह रामलीला 31 दिनों तक चलेगी. 9 सितंबर को रावण के जन्म से लेकर 9 अक्टूबर तक पारंपरिक तौर पर लीला का मंचन किया जाएगा.

विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला
विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला
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Published : Sep 7, 2022, 4:18 PM IST

वाराणसी: काशी को अपनी सांस्कृतिक सभ्यता और अनूठेपन के लिए जाना जाता है. इसी अनूठेपन को लेकर काशी की विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला (World Famous Ramlila of Ramnagar) की शुरूआत 9 सितंबर से होने जा रही है. कोरोना के कारण 2 साल तक इस रामलीला पर ब्रेक लगने की वजह से रामलीला प्रेमियों में काफी ज्यादा मायूसी हुई थी लेकिन एक बार फिर से 239 साल पुरानी इस रामलीला की शुरुआत अनंत चतुर्दशी के दिन से होगी. यूनेस्को की अमूर्त विश्व सांस्कृतिक विरासत में शामिल यह रामलीला 31 दिनों तक चलेगी. 9 सितंबर को रावण के जन्म से लेकर 9 अक्टूबर तक पारंपरिक तौर पर लीला का मंचन किया जाएगा.

यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक विरासत में शामिल की गई इस रामलीला का अपना ही महत्व है. यहां की रामलीला देखने के लिए बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग आते हैं. यह लीला गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पर आधारित है. कोरोना महामारी ने रामलीला की इस पुरानी परंपरा पर बीते दो साल ब्रेक लगा दिया था. वर्ष 1783 में काशी नरेश उदित नारायण सिंह ने इस रामलीला की शुरुआत की थी. दुनिया की यह पहली ऐसी रामलीला है, जिसका मंचन पांच किलोमीटर के क्षेत्र में होता है. अलग-अलग दिन अलग-अलग जगहों पर इसका मंचन किया जाता है. यहां लीला को देखने के लिए कुर्सी नहीं लगाई जाती है.

इसे भी पढ़ें-अयोध्या में पौराणिकता के अनुसार संवारे जाएंगे ये धार्मिक स्थल, कुछ ऐसा होगा स्वरूप

पेट्रोमेक्स की रोशनी में होती है रामलीला
उल्लेखनीय है कि रामनगर की रामलीला का आयोजन हर साल अनंत चतुर्दशी से शुरू होता है. हर दिन रामलीला की शुरुआत और समापन नारद वाणी और आरती से होता है. इस बार भी रावण के जन्म के बाद रामबाग पोखरे से क्षीरसागर की झांकी निकाली जाएगी. देव-स्तुति और आकाशवाणी होगी. सबसे बड़ी बात यह है कि 21वीं सदी में भी रामनगर की रामलीला का मंचन पेट्रोमेक्स की रोशनी में होता है. रामलीला में माइक और लाउडस्पीकर का प्रयोग भी नहीं होता है. इसके बावजूद दूर बैठे भक्तों को रामलीला के पात्रों की आवाज साफ सुनाई देती है.

शाम 5 से 9 बजे तक होता है मंचन
रामलीला रोजाना शाम 5 से शुरू होकर रात 9 बजे तक चलेगी. भरत मिलाप रात के 9 बजे से 12 बजे तक चलेगा. राम राज्य की झांकी शाम 5 बजे से सुबह तक चलेगी. यदि बारिश या मौसम खराब होने की वजह से किसी दिन लीला बाधित हुई तो उसके लिए दिन रिजर्व रखा जाएगा. रामलीला के दौरान बिना अनुमति फोटो लेने या टेप रिकॉर्डर लाने की मनाही रहती है.

वाराणसी: काशी को अपनी सांस्कृतिक सभ्यता और अनूठेपन के लिए जाना जाता है. इसी अनूठेपन को लेकर काशी की विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला (World Famous Ramlila of Ramnagar) की शुरूआत 9 सितंबर से होने जा रही है. कोरोना के कारण 2 साल तक इस रामलीला पर ब्रेक लगने की वजह से रामलीला प्रेमियों में काफी ज्यादा मायूसी हुई थी लेकिन एक बार फिर से 239 साल पुरानी इस रामलीला की शुरुआत अनंत चतुर्दशी के दिन से होगी. यूनेस्को की अमूर्त विश्व सांस्कृतिक विरासत में शामिल यह रामलीला 31 दिनों तक चलेगी. 9 सितंबर को रावण के जन्म से लेकर 9 अक्टूबर तक पारंपरिक तौर पर लीला का मंचन किया जाएगा.

यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक विरासत में शामिल की गई इस रामलीला का अपना ही महत्व है. यहां की रामलीला देखने के लिए बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग आते हैं. यह लीला गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पर आधारित है. कोरोना महामारी ने रामलीला की इस पुरानी परंपरा पर बीते दो साल ब्रेक लगा दिया था. वर्ष 1783 में काशी नरेश उदित नारायण सिंह ने इस रामलीला की शुरुआत की थी. दुनिया की यह पहली ऐसी रामलीला है, जिसका मंचन पांच किलोमीटर के क्षेत्र में होता है. अलग-अलग दिन अलग-अलग जगहों पर इसका मंचन किया जाता है. यहां लीला को देखने के लिए कुर्सी नहीं लगाई जाती है.

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पेट्रोमेक्स की रोशनी में होती है रामलीला
उल्लेखनीय है कि रामनगर की रामलीला का आयोजन हर साल अनंत चतुर्दशी से शुरू होता है. हर दिन रामलीला की शुरुआत और समापन नारद वाणी और आरती से होता है. इस बार भी रावण के जन्म के बाद रामबाग पोखरे से क्षीरसागर की झांकी निकाली जाएगी. देव-स्तुति और आकाशवाणी होगी. सबसे बड़ी बात यह है कि 21वीं सदी में भी रामनगर की रामलीला का मंचन पेट्रोमेक्स की रोशनी में होता है. रामलीला में माइक और लाउडस्पीकर का प्रयोग भी नहीं होता है. इसके बावजूद दूर बैठे भक्तों को रामलीला के पात्रों की आवाज साफ सुनाई देती है.

शाम 5 से 9 बजे तक होता है मंचन
रामलीला रोजाना शाम 5 से शुरू होकर रात 9 बजे तक चलेगी. भरत मिलाप रात के 9 बजे से 12 बजे तक चलेगा. राम राज्य की झांकी शाम 5 बजे से सुबह तक चलेगी. यदि बारिश या मौसम खराब होने की वजह से किसी दिन लीला बाधित हुई तो उसके लिए दिन रिजर्व रखा जाएगा. रामलीला के दौरान बिना अनुमति फोटो लेने या टेप रिकॉर्डर लाने की मनाही रहती है.

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