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कोरोना का असर, इस तरह छठ पूजा करेंगी व्रती महिलाएं

वाराणसी में शुक्रवार को महिलाएं अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी पूजा करेंगी. व्रती महिलाओं का कहना है कि कोरोना के चलते वह इस बार घर पर ही छठ पूजा करेंगी.

छठ पूजा
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Published : Nov 20, 2020, 1:54 PM IST

वाराणसी: जिले में भगवान भास्कर की आराधना का छठ पर्व शुरू हो गया है. शुक्रवार को महिलाएं अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी पूजा करेंगी. कोरोना के कारण यह त्योहार भी काफी प्रभावित हुआ है. इसी वजह से महिलाएं कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए इस बार पूजा अर्चना की तैयारियों में जुटी हैं.

महिलाएं छठ पूजा तैयारियों में जुटी हुई है

छठ पूजा करने वाली महिलाएं बताती हैं कि पूजा पर कोरोना का असर तो पड़ा ही है, लेकिन उनके श्रद्धा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है. उन्होंने बताया कि हम सब कोरोना के डर से ही घर पर पूजा कर रहे हैं. और जो लोग घाट जा भी रहे हैं तो मास्क सेनेटाइज़र के प्रयोग के साथ ही जा रहे हैं. क्योंकि पूजा के साथ सब की सुरक्षा भी जरूरी है.

इस बार महिलाएं घरों पर ही भगवान भास्कर की आराधना कर रही है. महापर्व छठ पर व्रती घर पर बनाए घाट पर खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे. शनिवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत भी संपन्न हो जाएगा. छठ महापर्व के दौरान पीतल और तांबे से बने पात्र से अर्घ्य दिया जाता है. तांबे के पात्र में दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए. वहीं, चांदी, स्टील, शीशा, और प्लास्टिक के पात्र भी वर्जित माने जाते हैं.

वाराणसी: जिले में भगवान भास्कर की आराधना का छठ पर्व शुरू हो गया है. शुक्रवार को महिलाएं अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी पूजा करेंगी. कोरोना के कारण यह त्योहार भी काफी प्रभावित हुआ है. इसी वजह से महिलाएं कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए इस बार पूजा अर्चना की तैयारियों में जुटी हैं.

महिलाएं छठ पूजा तैयारियों में जुटी हुई है

छठ पूजा करने वाली महिलाएं बताती हैं कि पूजा पर कोरोना का असर तो पड़ा ही है, लेकिन उनके श्रद्धा में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है. उन्होंने बताया कि हम सब कोरोना के डर से ही घर पर पूजा कर रहे हैं. और जो लोग घाट जा भी रहे हैं तो मास्क सेनेटाइज़र के प्रयोग के साथ ही जा रहे हैं. क्योंकि पूजा के साथ सब की सुरक्षा भी जरूरी है.

इस बार महिलाएं घरों पर ही भगवान भास्कर की आराधना कर रही है. महापर्व छठ पर व्रती घर पर बनाए घाट पर खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे. शनिवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत भी संपन्न हो जाएगा. छठ महापर्व के दौरान पीतल और तांबे से बने पात्र से अर्घ्य दिया जाता है. तांबे के पात्र में दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए. वहीं, चांदी, स्टील, शीशा, और प्लास्टिक के पात्र भी वर्जित माने जाते हैं.

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